दिल्ली सिंहासन: 1993 से अब तक दिल्ली में बने पांच मुख्यमंत्री, जानें किसने कितने दिन चलाई सरकार
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 22, 2020 02:12 PM2020-01-22T14:12:01+5:302020-01-22T14:12:01+5:30
दिल्ली में पहली बार विधानसभा का चुनाव 1952 में हुआ था। इस दौरान कांग्रेस के चौधरी ब्रह्म पहले अंतरिम मुख्यमंत्री बने थे। चौधरी साहब दिल्ली की सत्ता में 1952 से 1955 तक रहे जिसके बाद 1955 में गुरुमुख निहाल सिंह दिल्ली के अंतरिम मुख्यमंत्री बने। आपको बता दें कि गुरुमुख निहाल सिंह न सिर्फ कांग्रेस के दिग्गज नेता थे बल्कि राजस्थान के पहले राज्यपाल भी थे।
दिल्ली विधानसभा चुनाव होने में करीब दो सप्ताह बचा है। ऐसे में सभी राजनीतिक दल सत्ता में आने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं। 8 फरवरी को चुनाव होने के बाद 11 फरवरी को यह साफ हो जाएगा कि दिल्ली में किसकी सरकार बनेगी। इसी कड़ी में लोकमत आपको दिल्ली की सत्ता पर बैठने वाले मुख्यमंत्रियों व दिल्ली की राजनीतिक इतिहास को सिलसिलेवार तरह से बताएगा, जिसे आप जानना चाहते हैं।
देश की राजधानी दिल्ली को 1966 में पहली बार महानगर पालिका बनाया गया। इसके पहले ही दिल्ली में पहली बार विधानसभा का चुनाव 1952 में हुआ था। इस दौरान कांग्रेस के चौधरी ब्रह्म पहले अंतरिम मुख्यमंत्री बने थे। चौधरी साहब दिल्ली की सत्ता में 1952 से 1955 तक रहे जिसके बाद 1955 में गुरुमुख निहाल सिंह दिल्ली के अंतरिम मुख्यमंत्री बने। आपको बता दें कि गुरुमुख निहाल सिंह न सिर्फ कांग्रेस के दिग्गज नेता थे बल्कि राजस्थान के पहले राज्यपाल भी थे।
1993 में मदन लाल खुराना बने सीएम
संविधान में संशोधन के बाद वर्ष 1993 में दिल्ली विधानसभा के लिए चुनाव हुए। भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली। भारतीय जनता पार्टी के मदनलाल खुराना मुख्यमंत्री चुने गए। दिल्ली के तीसरे मुख्यमंत्री के नाते खुराना से लोगों को काफी उम्मीदें थी। उन्होंने काम भी किए। 1996 में हवाला मामले में नाम आने के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा।
1996 में मदन लाल खुराना बने सीएम
1996 के बहुचर्चित हवाला मामले में मदनलाल खुराना का नाम आने के बाद उन्हे भारी मन से मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा। भाजपा ने व्हिप जारी कर साहिब सिंह वर्मा को मुख्यमंत्री बनवाया। साहिब सिंह वर्मा के कार्यकाल में पार्टी की हालत दिल्ली में खराब हो गई। पार्टी के अंदर ही वर्मा का विरोध होने लगा। विधानसभा का कार्यकाल 1998 तक था। चुनाव के पहले भारतीय जनता पार्टी ने एक और मुख्यमंत्री बदल दिया।
1998 में सुषमा स्वराज दिल्ली की सत्ता पर बैठी
1998 में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा दिलवाकर सुषमा स्वराज को अक्टूबर 1998 में मुख्यमंत्री बनाया। इस तरह सुषमा स्वराज दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी। चुनाव में भाजपा को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। भाजपा के कई दिग्गज चुनाव हार गए। सुषमा स्वराज बड़ी मुश्किल से जीत पाई।
1998 में शीला की सत्ता में वापसी
दिसंबर 1998 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस जीतकर आई। शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री चुना गया। उन्होंने अपना एक कार्यकाल पूरा किया और 2003-2008 में हुए चुनावों में दूसरी और तीसरी बार जीतकर वे फिर मुख्यमंत्री बनीं। 15 साल के अपने कार्यकाल में शीला दीक्षित ने दिल्ली का चेहरा बदल कर रख दिया। इस दौरान हुए भ्रष्टाचार के चलते 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सहित शीला दीक्षित बुरी तरह चुनाव हार गई। इस चुनाव के बाद देश की राजनीति की दिशा ही बदल गई और अरविंद केजरीवाल की पार्टी आम आदमी की पार्टी का उदय हुआ।
2013 में आंदोलन के गर्भ से अरविंद उदय
2013 में हुए दिल्ली की पांचवी विधानसभा में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। राज्यपाल ने सबसे बड़े दल के नाते भाजपा को सरकार बनाने को कहा। भाजपा ने बहुमत न होने का हवाला देकर सरकार बनाने से मना कर दिया। इसके बाद बदले घटनाक्रम के तहत कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल की पार्टी को सर्मथन देकर सरकार बनवा दी। उस समय देश के सबसे चहते अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने। 49 दिन सरकार बनाने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। दिल्ली में विधानसभा भंग कर राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। इस बीच कई बार सरकार बनाने की कोशिश परदे के पीछे होती रही पर सरकार नहीं बन सकी।