कांग्रेस को पीछे कर 'आप' बनना चाहती है मुख्य विपक्षी दल, 2024 में बीजेपी से टक्कर लेंगे, जानें क्या है रणनीति
By शरद गुप्ता | Published: December 5, 2022 05:55 PM2022-12-05T17:55:41+5:302022-12-05T17:57:01+5:30
आम आदमी पार्टी हिमाचल और गुजरात के विधानसभा चुनाव के साथ दिल्ली में भी नगर निगम चुनाव में भाजपा को सीधी चुनौती देती नजर आई.
नई दिल्लीः कभी बिहार और कर्नाटक में मुख्यमंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह में सभी विपक्षी नेताओं के साथ मिलकर हाथ उठाने वाले आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पिछले दिनों स्पष्ट कह दिया कि वे अपनी पार्टी को विपक्षी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनाएंगे.
दिल्ली और पंजाब में सरकार बनाने वाली पार्टी आखिर विपक्षी गठबंधन से दूरी क्यों बना रहे हैं? क्या दिल्ली के शराब घोटाले में चल रही सीबीआई और ईडी की जांच से डर गए हैं या फिर उनकी पार्टी इतनी मजबूत हो गई है कि वह बीजेपी को सभी राज्यों में अकेले टक्कर दे सके?
जिस तरह से आम आदमी पार्टी हिमाचल और गुजरात के विधानसभा चुनाव के साथ दिल्ली में भी नगर निगम चुनाव में भाजपा को सीधी चुनौती देती नजर आई, उससे साफ है कि वह किसी भी जांच से डरने वाली नहीं है. वही दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, गुजरात और कुछ हद तक गोवा को छोड़कर आम आदमी पार्टी का अन्य राज्यों में कोई अस्तित्व नहीं है.
उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में जोर-शोर से उतरी आप का एक भी उम्मीदवार नहीं जीत पाया. 70 सीटों वाली विधानसभा में पार्टी के केवल चार उम्मीदवारों का वोट प्रतिशत ही दहाई में पहुंच पाया. 65 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. उसका ऐसा ही हाल इसी वर्ष हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में हुआ. बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, उत्तर पूर्व के अलावा दक्षिण के राज्यों में भी पार्टी की यही दशा है.
मुख्य विपक्षी दल बनने की इच्छा
आम आदमी पार्टी सूत्रों के अनुसार विपक्षी गठबंधन से दूरी बनाने में केजरीवाल की दूरगामी राजनीति है. यदि गुजरात में बेहतर प्रदर्शन के बाद धीरे-धीरे कांग्रेस की जगह आप देश की मुख्य विपक्षी पार्टी बन सकती है. गोवा, दिल्ली और पंजाब के बाद गुजरात में 6 प्रतिशत से अधिक वोट लाकर उसे राष्ट्रीय पार्टी का तमगा मिलने का भरोसा है.
और भी हैं आसमां
अगले वर्ष होने वाले कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव भी आम आदमी पार्टी जोर शोर से लड़ेगी. इनमें से दो राज्यों में कांग्रेस का शासन है. यदि यहां अपनी सरकार नहीं बचा पाती है तो आम आदमी पार्टी कांग्रेस को हराने के श्रेय में भागीदार बन सकती है. केजरीवाल का लक्ष्य 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी का स्वाभाविक प्रतिद्वंदी बन कर उभरना है.