हाशिमपुरा कांड : दिल्ली हाईकोर्ट ने तीस हजारी कोर्ट के फैसले को पलटा, पीएसी के 16 जवानों को उम्रकैद की सजा
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: October 31, 2018 11:59 AM2018-10-31T11:59:44+5:302018-10-31T11:59:44+5:30
उत्तर प्रदेश के मेरठ के हाशिमपुरा दंगा मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने 42 युवकों की हत्या के मामले में 16 पीएसी जवानों को दोषी ठहराते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई है।
उत्तर प्रदेश के मेरठ के हाशिमपुरा दंगा मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने 42 युवकों की हत्या के मामले में 16 पीएसी जवानों को दोषी ठहराते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई है। निचली अदालत के फैसले को बदलते हुए आज हाईकोर्ट ने सभी आरोपी 16 पीएसी जवानों को दोषी ठहराया है।
कोर्ट ने कहा है कि सबूतों के अभाव में निचली अदालत ने इन्हें बरी कर दिया था, लेकिन अब कोर्ट के सामने पर्याप्त सबूत पेश किए गए हैं जिनके आधार पर सभी आरोपी दोषी करारे जाते हैं। 21 जुलाई 2015 को इससे पहले मामले की सुनवाई में हाईकोर्ट ने जांच एजेंसी और बरी किए गए 16 पीएसी के जवानों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। जिसके बाद 6 सिंतबर को हाईकोर्ट ने इस मामले पर फैसला सुरक्षित रखा था।
1987 Hashimpura mass murders case: Delhi High Court sets aside the trial court judgement that had acquitted 16 Provincial Armed Constabulary (PAC) officials. Convicts all the accused, sentences them to life imprisonment pic.twitter.com/dk9xxcXF7L
— ANI (@ANI) October 31, 2018
निचली अदालत ने किया था बरी
दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने मार्च महीने में सुबूतों के अभाव में हाशिमपुरा नरसंहार के 16 आरोपियों को बरी कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) और अन्य पक्षकारों ने चुनौती याचिका दायर की थी। जिस पर हाईकोर्ट ने बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की उस याचिका पर भी फैसला सुरक्षित रखा था, जिसमें उन्होंने इस मामले में तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदंबरम की भूमिका की जांच की मांग की थी।
जानें क्या है मामला
मामला साल 1987 है जब रिजर्व पुलिस बल प्रोविंशियल आर्म्ड कॉन्स्टेबुलरी (PAC) के जवानों ने 42 मुस्लिम युवकों को कथित तौर पर उनके घरों से उठाकर उनकी हत्या कर दी थी। जिसके बाद करीब 28 साल बाद दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने आरोपियों को सबूत ना होने का हवाला देकर बनी कर दिया था।