राजद्रोह मामलाः डीएमसी के पूर्व प्रमुख जफरुल इस्लाम खान को राहत, अग्रिम जमानत

By भाषा | Published: July 31, 2020 04:22 PM2020-07-31T16:22:28+5:302020-07-31T16:22:28+5:30

दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व प्रमुख जफरुल इस्लाम खान को अग्रिम जमानत दी है। सुनवाई करते हुए उनसे जरूरत पड़ने पर जांच में शामिल होने को कहा।

Delhi High Court grants anticipatory bail to ex-DMC chief Zafarul Islam Khan in treason case | राजद्रोह मामलाः डीएमसी के पूर्व प्रमुख जफरुल इस्लाम खान को राहत, अग्रिम जमानत

राजद्रोह मामले में डीएमसी के पूर्व प्रमुख को अग्रिम जमानत मिली

Highlights दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग (डीएमसी) के पूर्व प्रमुख जफरुल इस्लाम खान को राजद्रोह के एक मामले में शुक्रवार को अग्रिम जमानत दे दी है। वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई करते हुए 72 वर्षीय खान को राहत दी और उनसे जरूरत पड़ने पर जांच में शामिल होने को कहा।

नई दिल्ली:दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग (डीएमसी) के पूर्व प्रमुख जफरुल इस्लाम खान को राजद्रोह के एक मामले में शुक्रवार को अग्रिम जमानत दे दी। न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई करते हुए 72 वर्षीय खान को राहत दी और उनसे जरूरत पड़ने पर जांच में शामिल होने को कहा। आयोग में खान का कार्यकाल हाल ही में समाप्त हुआ है।

न्यामूर्ति ने आदेश सुनाते हुए कहा, “याचिकाकर्ता (खान) को गिरफ्तारी की सूरत में 50,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि का जमानती देने की शर्त पर अग्रिम जमानत दी जाती है।” खान की ओर से पेश हुईं अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने अदालत को बताया कि खान ने पहले ही अपना लैपटॉप पुलिस को सौंप दिया है और कई बार वह जांच में शामिल हुए हैं।

अभियोजक एम पी सिंह ने कहा कि उन्हें पुलिस से निर्देश प्राप्त हुए हैं कि खान की आगे की जांच के लिए जरूरत नहीं है। अदालत खान द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उनकी उम्र, स्वास्थ्य जोखिमों और कोरोना संक्रमण के खतरे का हवाला देते हुए राजद्रोह के मामले में अग्रिम जमानत का अनुरोध किया गया। अदालत ने इससे पहले उन्हें 31 जुलाई तक अंतरिम जमानत दी थी और पुलिस से इस दौरान कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने को कहा था।

खान ने, 28 अप्रैल को सोशल मीडिया पर अपने आधिकारिक पेज से एक पोस्ट डाली थी, जिसमें कथित तौर पर राजद्रोही एवं घृणास्पद टिप्पणियां थी। दो मई को, एक शिकायत के आधार पर, दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने खान के खिलाफ राजद्रोह और विभिन्न समूहों के बीच धर्म, नस्ल, जन्मस्थान, निवास और भाषा के आधार पर घृणा भाव फैलाने के कथित अपराधों के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए और 153ए के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी।

खान ने अग्रिम जमानत इस आधार पर मांगी कि वह एक सरकारी कर्मचारी हैं और 72 वर्ष के वरिष्ठ नागरिक हैं जिसे दिल की बीमारी और उच्च रक्तचाप की समस्या है और उनके कोविड-19 की चपेट में आने की आशंका है तथा उनकी उम्र एवं स्वास्थ्य स्थिति के कारण उनके स्वास्थ्य पर घातक परिणाम हो सकते हैं।

अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर, रत्ना अपनेंदर और सौतिक बनर्जी के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया, “ऐसी परिस्थितियों में, उन्हें इस तुच्छ एवं अपुष्ट मामले में गिरफ्तारी और दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण देने की तत्काल जरूरत है ताकि उनके जीवन के अधिकार को संरक्षित रखा जा सके।

” याचिका में पुलिस को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि खान की गिरफ्तारी होने पर उन्हें तत्काल जमानत पर रिहा किया जाए और उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाए। इसमें यह भी निर्देश देने का अनुरोध किया गया कि खान का लैपटॉप और मोबाइल जब्त न किया जाए। याचिका में दावा किया गया कि खान ने कोई अपराध नहीं किया है और प्राथमिकी उन्हें डराने एवं परेशान करने की मंशा से दर्ज की गई है। 

Web Title: Delhi High Court grants anticipatory bail to ex-DMC chief Zafarul Islam Khan in treason case

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