ओम प्रकाश चौटाला को फिलहाल राहत नहीं, दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका पर आदेश रखा सुरक्षित
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 1, 2022 06:33 PM2022-08-01T18:33:11+5:302022-08-01T18:37:00+5:30
CBI ने चौटाला के खिलाफ 2005 में मामला दर्ज किया था. एजेंसी ने 26 मार्च, 2010 में दाखिल आरोप पत्र में कहा था कि चौटाला ने 1993 से 2006 के बीच आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति जुटाई.
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को फिलहाल राहत नहीं मिली है. दिल्ली हाई कोर्ट ने आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति के मामले में ओम प्रकाश चौटाला को सुनाई गई चार साल जेल की सजा निलंबित करने का अनुरोध करने वाली, उनकी याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया गया है.
चौटाला की पैरवी वरिष्ठ वकील एन हरिहरन ने दिल्ली हाई कोर्ट में की. चौटाला ने दलील दी कि उनकी दोषसिद्धि मामले में उन्हें दी गई सजा को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर फैसला लंबित रहने तक उन्हें रिहा किया जाना चाहिए. इसके बाद न्यायमूर्ति योगेश खन्ना ने कहा, हम उपयुक्त आदेश पारित करेंगे.
सीबीआई ने किया चौटाला का विरोध
चौटाला ने कोर्ट में कहा कि वह पहले ही मामले के सिलसिले में पांच साल जेल में बिता चुके हैं. चौटाला के मुताबिक, वह वैसे भी जमानत के लिए पात्र हैं क्योंकि वह हिरासत में काफी समय रह चुके हैं और याचिका के निपटारे में काफी समय लगेगा जबकि सीबीआई की ओर से पेश हुए वकील अनुपम शर्मा ने सजा निलंबित करने संबंधी चौटाला की याचिका का विरोध किया.
कोर्ट ने मंगवाई ओम प्रकाश चौटाला के जेल रिकॉर्ड
दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले महीने याचिका पर नोटिस जारी किए थे और ओम प्रकाश चौटाला के जेल के रिकॉर्ड मंगाये थे ताकि याचिका लंबित रहने के दौरान उनकी रिहाई के मुद्दे पर फैसला किया जा सके. CBI ने चौटाला के खिलाफ 2005 में मामला दर्ज किया था. एजेंसी ने 26 मार्च, 2010 में दाखिल आरोप पत्र में कहा था कि चौटाला ने 1993 से 2006 के बीच आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति जुटाई.
चौटाला पर मुख्यमंत्री रहते संपत्ति अर्जित करने का आरोप
सीबीआई की FIR के मुताबिक, चौटाला ने 24 जुलाई, 1999 से पांच मार्च 2005 तक हरियाणा का मुख्यमंत्री रहते हुए परिवार और अन्य के साथ साठगांठ कर आय के ज्ञात स्रोत से अधिक चल एवं अचल संपत्ति अर्जित की. यह संपत्ति चौटाला और उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर अर्जित की गई.