दिल्ली चुनाव 2020 ग्राउंड रिपोर्ट: किसे वोट देंगी जीबी रोड की महिलाएं, जानें सरकारों से उम्मीद टूटने के बाद भी कैसे लोकतंत्र में जिंदा है भरोसा
By अनुराग आनंद | Published: January 24, 2020 06:48 PM2020-01-24T18:48:23+5:302020-01-26T07:08:18+5:30
ट्रांसजेंडर कमला (बदला हुआ नाम) कहती हैं कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा शादी का अधिकार दिए जाने के बाद मैं खुश हुई थीं। मुझे लगा सरकार भी कोई घोषणा करेंगी। लेकिन, ऐसा कुछ नहीं हुआ। कमला चाहती हैं कि दिल्ली सरकार महिलाओं की तरह ट्रांसजेंडर के लिए बसों में यात्रा फ्री करे। इसके साथ ही वह चाहती हैं कि महिला व पुरुषों की तरह अलग से ट्रांसजेंडरों के लिए शौचालय हो।
दिल्ली में रहने वाले करोड़ों लोग भले ही 8 फरवरी 2020 को दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपनी-अपनी उम्मीदें लिए वोट करेंगे। लेकिन, दिल्ली के ही जीबी रोड (GB Road) में देह व्यापार कर रही हजारों महिलाएं बिना किसी आशा व उम्मीद के चुनाव में मतदान करेंगी। जब दिल्ली की सत्ता के लिए तमाम राजनीतिक दल दिन-रात एक किए हुए हैं।
जब समाज के हर वर्ग के लोग अपनी मांगों को लेकर वोट देने की बात मीडिया के सामने कर रहे हैं। ऐसे में लोकमत न्यूज ने देह व्यापार में लगे दिल्ली समाज के उन हजारों महिलाओं की राय को जानना चाहा जिसे ना तो समाज ना ही सरकार और ना ही मीडिया के लोग सुनना चाहते हैं।
जीबी रोड में रहने वाली आभा (बदला हुआ नाम) बताती हैं कि अंधेरे कमरे में रहते हुए अब मुझे उजाले की किसी से उम्मीद ही नहीं है। आभा की मानें तो हर पांच साल में नेता उसके अंधेरे कमरे के दहलीज तक तो जरूर आते हैं। लेकिन, बंद कमरे के अंदर से आ रही दर्द भरी आवाजों को ना तो वह सुन पाते हैं और ना ही सुनना चाहते हैं। आभा से जब पूछा गया कि दिल्ली में केजरीवाल सरकार बनने के बाद आपकी जिंदगी में क्या कुछ बदलाव आया?
इस सवाल के जवाब में आभा ने कहा कि पानी और बिजली सस्ता हो गया है। ऐसे में केजरीवाल सरकार से हमलोगों को बस इतना ही फायदा मिला है। लेकिन, आभा को यदि किसी राजनीतिक दल से थोड़ी बहुत भी उम्मीद है तो वह आम आदमी पार्टी ही है।
ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ सेक्स वर्कर्स की अध्यक्ष कुसुम कहती हैं कि हम लोगों पर समाज के साथ ही साथ सरकार से भी वह सम्मान नहीं मिल पा रहा है। जिसकी हमलोगों को उम्मीद है। कुसुम की मानें तो किसी भी राजनीतिक दल ने अपने घोषणा पत्र में सेक्स वर्कर महिलाओं की बात नहीं की है। कुसुम की मानें तो देश का विकास तभी संभव है जब समाज का हर वर्ग तरक्की करे।
कुसुम कहती हैं कि दिल्ली की महिलाओं को सुरक्षित करने में हम सेक्स वर्कर की भी काफी अहम योगदान है। आए दिन उसका ऐसे पुरुषों से सामना होता है, जिसके अंदर ना सिर्फ रेपिस्ट सोच होती है बल्कि ये महिलाओं के अंगों व शरीर को लेकर हिंसक भी होते हैं। इसके साथ ही वह कहती हैं कि सेक्स वर्कर्स की पहचान व दूसरे सरकारी कामकाजों के लिए जरूरी कागजों की संख्या कम करनी चाहिए।
कुसुम कहती हैं कि कई महिलाओं को घर-परिवार से निकाल दिया गया है। इसकी वजह से उनके पास बर्थ डेट को लेकर कोई जरूरी कागज नहीं है। कई महिला जो किराये पर रहती है या घर से निकाल दी गई है, उसके पास आवासीय प्रमाण पत्र नहीं है। ऐसे में वह सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाती हैं। यही वजह है कि कुसुम चाहती है कि जिस भी दल की सरकार बने वह इन समस्याओं का समाधान कर दे तो लाखों महिला देश के लोकतंत्र से मिलने वाले फायदे का लाभ उठा पाएंगी।
हालांकि, कुसुम किसे वोट करेंगी उसने यह तो नहीं बताया लेकिन इतना जरूर कहा कि जो सरकार 45 साल की उम्र के बाद की महिलाओं को पेंशन देने की घोषणा करेगी वह उसे वोट देना पसंद करेंगी।
इसी समूह में एक 21 वर्षीय ट्रांसजेंडर कमला (बदला हुआ नाम) से भी हमारी बात हुई। कमला कहती हैं कि ट्रांसजेंडर के लिए कोई सरकार नहीं सोचती है। हमारी संख्या कम है लेकिन हम भी इंसान हैं। इतना बोलते ही कमला के चेहरे में पसीना आ जाता है। उसकी जुबान लड़खड़ाने लगती है और आंखों में पानी भर आता है।
लेकिन, थोड़ा ठहरकर कमला लंबी सांस लेकर कहती हैं कि अपने मां-बाप के घर में ताना सुनने के बाद जिससे प्यार कर शादी की उसने भी ट्रांसजेंडर होने का ताना देकर छोड़ दिया। समाज में ताना सुनने की आदत हो जाने के बाद सरकारों से अब क्या ही उम्मीदें रह जाएंगी।
इसके साथ ही कमला कहती हैं कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा शादी का अधिकार दिए जाने के बाद मैं खुश हुई थीं। मुझे लगा सरकार भी हमारे लिए कोई घोषणा करेंगी। लेकिन, ऐसा कुछ नहीं हुआ। कमला चाहती हैं कि दिल्ली सरकार महिलाओं की तरह ट्रांसजेंडर के लिए बसों में यात्रा फ्री करे। इसके साथ ही वह चाहती हैं कि महिला व पुरुषों की तरह अलग से ट्रांसजेंडरों के लिए शौचालय हो।
कमला यह सब जब बोल रही थीं तो उसका चेहरा लाल था। उसने कहा कि महिला व पुरुष समान रूप से ट्रांसजेंडर की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं। कमला वोट जरूर करेंगी, भले ही उसकी मांगें पूरी हो या ना हो।
एक अन्य सेक्स वर्कर महिला नंदनी (बदला नाम) एक सवाल के जवाब में कहती हैं कि दिल्ली सरकार व महिला आयोग द्वारा यह कहना कि दिल्ली में जीबी रोड जैसे जगहों से सेक्स वर्करों को हटा जाना चाहिए, उनका यह बयान बिल्कुल गलत है। वह कहती हैं कि हम चाहे गरीबी की वजह से ही सही लेकिन हम स्वेच्छा से इस धंधे में हैं। हमें सरकार इस पेशे से अलग कर क्या कोई रोजगार देगी?
वह कहती हैं कि हमारे परिवार ने मुझे छोड़ दिया। एक उम्र के बाद हमारा कोई पूछने वाला नहीं होता है। जो दो-चार पैसे कमाते हैं वही पास रह जाता है। स्वाति मालीवाल यदि ऐसा करती हैं तो निश्चित रूप से हमलोगों की जिंदगी तबाह हो जाएगी। नंदिनी कहती हैं कि समाज व नेताओं के बार-बार ठोकर मारे जाने के बाद भी लोकतंत्र में विश्वास है। इसीलिए दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में भी नंदनी वोट करेंगी। नंदनी किसको वोट करेंगी यह उसने बताने साफ मना कर दिया।
ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ सेक्स वर्कर्स के नेशनल कॉर्डिनेटर अमित का कहना है कि हमलोग सभी दलों से संपर्क कर अपनी बात उन तक पहुंचा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सेक्स वर्कर अपनी मांगों को लेकर एक लिस्ट तैयार कर रही हैं। इन लिस्ट को लेकर हमारी संस्था के लोग सरकार तक जाएंगे। अमित कहते हैं कि दिल्ली में करीब एक लाख सेक्स वर्कर महिलाएं व ट्रांसजेंडर हैं, जो निश्चित रूप से चुनाव के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अमित की मानें तो अब दिल्ली की सेक्स वर्कस अपने अधिकारों को लेकर जागरूक हो गई हैं, हम सकारात्मक सोच के साथ चुनाव में वोट करेंगे।