सीएम केजरीवाल बोले- संविधान के खिलाफ है सुप्रीम कोर्ट का फैसला, ऐसे कैसे चलाएंगे सरकार
By आदित्य द्विवेदी | Published: February 14, 2019 01:30 PM2019-02-14T13:30:38+5:302019-02-14T13:50:17+5:30
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जनता ने हमें चुनकर भेजा है लेकिन हमें काम नहीं करने दिया जा रहा है।
उप राज्यपाल बनाम दिल्ली सरकार विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सीएम केजरीवाल ने लोकतंत्र के खिलाफ बताया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनता ने 70 में से 67 सीटें देकर हमें कुर्सी पर बिठाया था लेकिन हमें काम नहीं करने दिया जा रहा। केजरीवाल ने कहा कि जो सरकार अधिकारियों का तबादला नहीं कर सकती तो हम कैसे सरकार चलाएंगे। उन्होंने कहा कि चार साल के अंदर हमने रोज लड़-लड़कर काम करवाया। फाइलें क्लियर कराने के लिए अगर 10 दिन का अनशन करना पड़े तो ऐसे कैसे दिल्ली का विकास होगा।
केजरीवाल ने कहा कि इस समस्या का समाधान एक ही है। अब दिल्ली के लोगों के हाथ में चाबी है। मेरी दिल्ली के लोगों से अपील है कि इस चुनाव में प्रधानमंत्री बनाने के लिए वोट मत देना। जो भी सरकार बनेगी हम संसद में उसे बाध्य करेंगे कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलवाए।
एक चपरासी को भी दिल्ली का मुख्यमंत्री ट्रांसफर नही कर सकता। मुख्यमंत्री के पास अगर एक चपरासी तक को ट्रांसफर करने की ताकत नही है तो मुख्यमंत्री कैसे काम करेगा? : @ArvindKejriwal#DelhiGovtVsCentre#SupremeCourtpic.twitter.com/vsp2EGvEk2
— AAP (@AamAadmiParty) February 14, 2019
सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया
जस्टिस एके सीकरी की अगुवाई वाली बेंच ने अधिकांश विवाद पर स्थिति स्पष्ट कर दी है लेकिन अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग पर दोनों जजों की एकराय नहीं बन सकी। सुप्रीम कोर्ट ने सर्विस मैटर, पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और लैंड से जुड़े मामले पर फैसला सुनाया। सर्विस मुद्दे पर जस्टिस सीकरी और जस्टिस भूषण की राय अलग-अलग थी इसलिए इसे तीन जजों की संवैधानिक पीठ के पास भेजने का फैसला लिया गया है।
न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ हालांकि भ्रष्टाचार निरोधक शाखा, जांच आयोग गठित करने, बिजली बोर्ड पर नियंत्रण, भूमि राजस्व मामलों और लोक अभियोजकों की नियुक्ति संबंधी विवादों पर सहमत रही। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र की उस अधिसूचना को भी बरकरार रखा कि दिल्ली सरकार का एसीबी भ्रष्टाचार के मामलों में उसके कर्मचारियों की जांच नहीं कर सकता। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि लोक अभियोजकों या कानूनी अधिकारियों की नियुक्ति करने का अधिकार उप राज्यपाल के बजाय दिल्ली सरकार के पास होगा।
क्या है मामला?
गृह मंत्रालय ने 21 मई 2015 को एक नोटिफिकेशन जारी करके कहा था कि सर्विस मैटर, पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और लैंड से जुड़े मामले उप-राज्यपाल के अधिकार क्षेत्र में रहेंगे। ब्यूरोक्रेट की सर्विस के मामले में इसमें शामिल थे। इस नोटिफिकेशन ने दिल्ली सरकार की शक्तियों को बिल्कुल सीमित कर दिया था। इसके खिलाफ केजरीवाल ने अदालत में गुहार लगाई।