नागरिकता संशोधन कानून प्रदर्शन: दिल्ली CM अरविंद केजरीवाल ने गृहमंत्री अमित शाह से मांगा मिलने का समय
By स्वाति सिंह | Published: December 16, 2019 01:31 PM2019-12-16T13:31:21+5:302019-12-16T13:31:21+5:30
इससे पहले रविवार को अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल अनिल बैजल से बात की और उनसे दक्षिण दिल्ली में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों के बाद सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए हरसंभव कदम उठाने का अनुरोध किया।
दिल्ली की यूनिवर्सिटी जामिया हिंसा के बाद राजनीति गलियारे में आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है। इसी बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गृहमंत्री अमित शाह से मिलने का समय मांगा है। उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से लिखा 'दिल्ली की बिगड़ी क़ानून व्यवस्था को लेकर मैं बहुत चिंतित हूँ। दिल्ली में तुरंत शांति बहाल की जाए- इसके लिए गृह मंत्री अमित शाह जी से मिलने का समय माँगा है।'
इससे पहले रविवार को अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल अनिल बैजल से बात की और उनसे दक्षिण दिल्ली में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों के बाद सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए हरसंभव कदम उठाने का अनुरोध किया। केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार शांति बहाल करने के लिए अपनी ओर से हरसंभव कोशिश कर रही है।
Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal: I am very worried over the worsening law and order situation in Delhi. To ensure peace returns to the city immediately, I have sought time from Home Minister Amit Shah for a meeting. (file pic) pic.twitter.com/XvO5mG89zp
— ANI (@ANI) December 16, 2019
मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘माननीय उपराज्यपाल से बात की और उनसे सामान्य स्थिति एवं शांति बहाल करने के लिए हरसंभव कदम उठाने का आग्रह किया। हम अपनी ओर से हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। हिंसा करने वाले असली बदमाशों की पहचान होनी चाहिए और उन्हें सजा मिलनी चाहिए।’’
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की हिंसा अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा, ‘‘किसी को भी हिंसा में शामिल नहीं होना चाहिए। किसी भी तरह की हिंसा स्वीकार्य नहीं है। प्रदर्शन शांतिपूर्ण होने चाहिए।’’ पुलिस ने बताया कि रविवार दोपहर को प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प हो गई और उन्होंने न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में तीन सार्वजनिक बसों और दमकल की एक गाड़ी में आग लगा दी। इसमें एक पुलिसकर्मी और दो दमकलकर्मी घायल हो गए।
बता दें कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों पर रविवार की रात को की गई पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में सोमवार को एक याचिका दायर की गई। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि, “मामले को फौरन सुने जाने की कोई आवश्यकता नहीं है।”
याचिका में छात्रों पर कथित तौर पर गोली चलाने समेत अन्य पुलिस कार्रवाई की न्यायिक जांच का अनुरोध किया गया है। साथ ही इसमें घायल छात्रों का उचित इलाज कराने एवं उनके लिए मुआवजे की भी मांग की गई है। अधिकारियों के मुताबिक संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के पास न्यू फ्रैंड्स कॉलोनी में पुलिस के साथ झड़प के बाद चार सरकारी बसों और दो पुलिस वाहनों को आग के हवाले कर दिया।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों के प्रदर्शन के दौरान यह सारा विवाद पैदा हुआ। लेकिन बाद में छात्रों के एक निकाय ने कहा कि हिंसा और आगजनी से छात्रों का कोई लेना-देना नहीं हैं और आरोप लगाया कि “कुछ तत्व” प्रदर्शन में शामिल हो गए और इसको “बाधित” किया।
हिंसा के ठीक बाद, जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मुख्य प्रॉक्टर वसीम अहमद खान ने दावा किया कि दिल्ली पुलिस बिना किसी इजाजत के जबरन परिसर में घुसी और छात्रों एवं स्टाफ कर्मचारियों की पिटाई कर उन्हें जबरन परिसर से बाहर किया गया। पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए, विश्वविद्यालय की कुलपति नज्मा अख्तर ने कहा कि जो छात्र पुस्तकालय के अंदर थे उन्हें बाहर निकाल लिया गया है और वे सुरक्षित हैं।