रोहतक से दिल्ली सीमा पर चलती-फिरती झोपड़ी, किसानों ने ट्रैक्टर-ट्रालियों को होटल का रूप दिया, जानें खासियत

By बलवंत तक्षक | Published: February 27, 2021 03:47 PM2021-02-27T15:47:12+5:302021-02-27T15:48:45+5:30

नए कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी पर कानून बनाने की मांग को लेकर दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर तकरीबन तीन महीने से किसानों का आंदोलन जारी है.

Delhi border Rohtak moving unique hut reached farmers tractor-trolleys hotel kisan protest haryana punjab | रोहतक से दिल्ली सीमा पर चलती-फिरती झोपड़ी, किसानों ने ट्रैक्टर-ट्रालियों को होटल का रूप दिया, जानें खासियत

मुख्य दरवाजा शीशे का है. ट्राली के भीतर टीवी, एलईडी और अग्नि शमन यंत्र लगाए गए हैं. (file photo)

Highlightsसर्दी के मौसम में शुरू हुआ किसान आंदोलन गर्मी के मौसम में प्रवेश कर चुका है.किसान गाजीपुर आंदोलन स्थल पर गर्मी के मौसम में रहने की व्यवस्था में जुटे हुए हैं. ट्राली को चारों तरफ से लोहे की चादर से कवर किया गया है.

चंडीगढ़ः हरियाणा में रोहतक से दिल्ली बॉर्डर पर पहुंची एक चलती-फिरती झोपड़ी केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों को खूब लुभा रही है.

यह झोपड़ी एक ऑटो के ऊपर बनाई गई है, जो करीब दस फुट लंबी और तीन फुट चौड़ी है. इस झोपड़ी को खुद ऑटो चालक ड्राइव कर बॉर्डर पर पहुंचा है. इसमें कुछ लोगों के ठहरने की भी व्यवस्था की गई है. पहली नजर में यह किसी उत्सव के दौरान निकाली जाने वाली झांकी की तरह नजर आती है.

चलती फिरती झोपड़ी में खाने-पीने की व्यवस्था भी है. चार-पांच लोग इसमें बड़े आराम से बैठ सकते हैं. इसमें गर्मी से बचाव के लिए पंखे भी लगाए गए हैं. गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचे ऑटो चालाक नवीन ने कहा, यह ऑटो हमारे लिए घर की तरह ही है. इसमें हमें घर जैसा आराम महसूस होता है.

ऑटो में बैठकर हम आंधी, बारिश और तेज धूप से बच सकते हैं. इसके भीतर बिजली का भी बंदोबस्त किया गया है. आंदोलनकारी किसानों के लिए हुक्के का भी इंतजाम है. झुग्गी में बैटरी, साउंड सिस्टम और एक साथ तीन मोबाइल चार्ज करने की व्यवस्था है. उधर, कुंडली बॉर्डर पर गर्मी से बचाव के लिए किसानों ने अपनी ट्रैक्टर ट्रालियों को होटल का रूप देना शुरू कर दिया है.

पंजाब में कपूरथला के किसान जितेंद्र सिंह खैरा ने चार लाख रुपए कीमत की 42 फुट लंबी ट्राली पर डेढ़ लाख रुपए खर्च कर एक कमरा सजा लिया है. ट्राली को चारों तरफ से लोहे की चादर से कवर किया गया है. मुख्य दरवाजा शीशे का है. ट्राली के भीतर टीवी, एलईडी और अग्नि शमन यंत्र लगाए गए हैं.

पंजाब से इस तरह की दस ट्रालियां बॉर्डर पर मौजूद हैं. मौसम बदलते देख फगवाड़ा के किसानों ने पराली से सड़क किनारे झोपड़ी तैयार कर ली हैं. लुधियाना और तरनतारन के किसानों ने टैंटों में एसी, कूलर और पंखे फिट कर लिए हैं. गुरदासपुर के किसान राज मान के मुताबिक आंदोलन में शामिल होने के लिए आ रहे किसान पंजाब से दिल्ली के लिए रवाना होने से पहले ही मौसम के हिसाब से अपनी व्यवस्था कर लेते हैं.

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