Delhi BJP Ranthambore chitan: मंथन बैठक में बड़ा सवाल, किसे मिलेगा विष और कौन करेगा अमृत पान?, दो से तीन बार चुनाव हार चुके नेताओं पर भी लटकी तलवार, 25 सीट पर फोकस
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 1, 2024 03:54 PM2024-10-01T15:54:37+5:302024-10-01T15:55:27+5:30
Delhi BJP Ranthambore chitan: असम के पूर्व राज्यपाल प्रो. जगदीश मुखी ने बीएल संतोष के समक्ष रखा लगातार विधानसभा चुनाव हारने वाले प्रत्याशियों को टिकट नहीं दिए जाने का सुझाव।
सतेन्द्र त्रिपाठी/राहुल शर्मा
राजस्थान के रणथंभौर में भाजपा की चिंतन बैठक के मंथन में निकला विषय किसी के लिए आने वाले विधानसभा चुनाव में विष तो किसी के लिए अमृत हो सकता है। दरअसल दो से तीन बार लगातार दिल्ली विधानसभा का चुनाव हार चुके नेताओं के लिए यह विष का प्याला है। पैराशूट से टिकट पाने वाले नेता और दूसरी विधानसभाओं से आकर चुनाव लड़कर दावेदार की सीट पर सेंध लगाने वालों पर भी गंभीर चर्चा की गई। चिंतन बैठक में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष के समक्ष वरिष्ठ भाजपा नेता व असम के पूर्व राज्यपाल और दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री प्रो. जगदीश मुखी का सुझाव सुनकर बहुत से नेता सन्न रह गए। मसलन जो प्रत्याशी लगातार हारते आ रहे हैं, उन्हें पुनः प्रत्याशी नहीं बनाया जाना चाहिए। सवाल बड़ा है।
लेकिन क्या ऐसे प्रत्याशियों के स्थान पर पार्टी के पास नये प्रभावी चेहरे हैं जिनके बूते पर पार्टी दिल्ली में 1998 के बाद से 2025 में दोबारा कमल खिलाकर दिल्ली में भाजपा की सरकार बना सके। दिल्ली विधानसभा चुनावों की बात करें तो करीब 25 ऐसी विधानसभाएं हैं, जहां भाजपा प्रत्याशी दो से तीन बार लगातार टिकट पाकर एक ही विधानसभा में हारते आ रहे हैं।
खासबात यह भी है कि यदि हार के बाद भी उन्हें टिकट दिए जाने का सिलसिला जारी रहा तो नये चेहरे आखिर कैसे आगे बढ़ पाएंगे। लिहाजा पार्टी को इस विषय पर गंभीर चिंतन करना ही होगा। साथ ही किसी विधानसभा में दूसरी विधानसभा से आकर चुनाव लड़ने और पैराशूट प्रत्याशी उतार कर चुनाव लड़वाने की परम्परा को भी रोका जाना चाहिए।
दरअसल विधानसभा जंपिंग के कारण पांच साल पहले से मेहनत कर रहे सुपात्र प्रत्याशी के स्थान पर दूसरे चेहरे को मैदान में उतारना न केवल पार्टी के लिए नुकसान का कारण बनता है, बल्कि इससे भीतरघात की भी प्रबल संभावना रहती है। दिल्ली भाजपा के 25 हारे प्रत्याशियों की बात करें तो इनमें तीन बार चुनाव हार चुके प्रत्याशियों में मुंडका से मास्टर आजाद सिंह, चांदनी चौक से सुमन कुमार गुप्ता व तिलक नगर से राजीव बब्बर लगातार 2013, 2015 और 2020, जबकि मादीपुर (सुरक्षित) से कैलाश सांखला और सदर बाजार से जय प्रकाश जेपी 2008, 2013 और 2020 में लगातार तीन बार चुनाव हार चुुके हैं।
इनके अलावा 20 भाजपा नेता अलग-अलग विधानसभाओं में वर्ष 2013, 2015 और 2020 में दो बार बतौर प्रत्याशी चुनाव लड़कर हारते आ रहे हैं। इनमें नरेला विधानसभा से नीलदमन खत्री, बादली से विजय भगत, किराड़ी से अनिल झा, शालीमार बाग से रेखा गुप्ता, वजीरपुर से डॉ. महेन्द्र नागपाल, मोती नगर से सुभाष सचदेवा, विकासपुरी से संजय सिंह हैं।
द्वारका से प्रद्युमन राजपूत, मटियाला से राजेश गहलोट, नजफगढ़ से अजीत खरखरी, बिजवासन से सतप्रकाश राणा, दिल्ली कैंट से कंवर सिंह तंवर, कस्तूरबा नगर से रविन्द्र चौधरी, आरके पुरम से अनिल शर्मा, छतरपुर से ब्रह्म सिंह तंवर, देवली (सुरक्षित) से अरविंद कुमार, तुगलकाबाद से विक्रम बिधूड़ी, त्रिलोकपुरी (सुरक्षित) से किरण वैद, बाबरपुर से नरेश गौड़ और गोकुलपुर (सुरक्षित) से रंजीत कश्यप शामिल हैं।