चीन और पाकिस्तान से लड़े गए युद्धों का रिकॉर्ड हो सकेगा सार्वजनिक, रक्षा मंत्रालय ने नई नीति को दी मंजूरी

By अभिषेक पारीक | Published: June 12, 2021 05:19 PM2021-06-12T17:19:03+5:302021-06-12T17:34:17+5:30

रक्षा मंत्रालय ने युद्ध से जुड़े रिकॉर्ड को सार्वजनिक करने के लिए नीति को मंजूरी दे दी है। युद्ध इतिहास को गोपनीयता सूची से हटाकर प्रकाशित करने, संग्रह करने और अवर्गीकृत करने के लिए नीति लाई गई है।

Defence Ministry has approved policy on archive and declassify histories of wars and operations | चीन और पाकिस्तान से लड़े गए युद्धों का रिकॉर्ड हो सकेगा सार्वजनिक, रक्षा मंत्रालय ने नई नीति को दी मंजूरी

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह। (फाइल फोटो)

Highlightsयुद्ध से जुड़े रिकॉर्ड को सार्वजनिक करने के लिए नीति को मंजूरी दे दी है। सरकार के पास संवेदनशील रिकॉर्ड को रोकने की शक्ति बनी रहेगी। सरकार तय कर सकेगी कि कौनसी रिकॉर्ड सार्वजनिक होगी और कौनसी नहीं। 

रक्षा मंत्रालय ने शनिवार को युद्ध से जुड़े रिकॉर्ड को सार्वजनिक करने के लिए नीति को मंजूरी दे दी है। युद्ध इतिहास और विभिन्न  युद्ध अभियानों से जुड़े इतिहास को गोपनीयता सूची से हटाकर प्रकाशित करने, संग्रह करने और अवर्गीकृत करने के लिए नीति लाई गई है। जिसके तहत आधिकारिक रूप से अगले पांच सालों में सब कुछ दर्ज कर राष्ट्रीय अभिलेखागार को सौंप दिया जाएगा। हालांकि सरकार के पास ऐसे किसी भी संवेदनशील रिकॉर्ड को रोकने के लिए शक्तियां बनी रहेंगी। 

रक्षा मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान में उल्लेख किया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा मंत्रालय द्वारा युद्ध संचालन इतिहास के संग्रह, अवर्गीकरण और संकलन/प्रकाशन की नीति को मंजूरी दे दी है। जिसके तहत रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले प्रत्येक संगठन जैसे सर्विसेज, एकीकृत रक्षा कर्मचारी, असम राइफल्स और भारतीय तटरक्षक से जुड़े दस्तावेजों जैसे युद्ध डायरी, कार्यवाही के पत्र और रिकॉर्ड बुक सहित अन्य अभिलेखों को इतिहास प्रभाग को मुहैया कराया जाएगा। जिससे इतिहास प्रभाग इन्हें सुरक्षित रखेगा, संग्रह करेगा और इतिहास लिखेगा। 

संबंधित प्रतिष्ठान की होगी जिम्मेदारी

रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, 'पब्लिक रिकॉर्ड एक्ट 1993 और पब्लिक रिकॉर्ड रूल्स 1997 के अनुसार रिकॉर्ड को सार्वजनिक करने का जिम्मा संबंधित प्रतिष्ठान का है।'

25 साल बाद सार्वजनिक हो रिकॉर्ड

इस नीति के अनुसार, सामान्य तौर पर रिकॉर्ड को 25 साल के बाद सार्वजनिक किया जाना चाहिए। बयान के अनुसार युद्ध/अभियान इतिहास के संग्रह के 25 साल या उससे पुराने रिकॉर्ड का संग्रह विशेषज्ञों द्वारा जांच कराने के बाद उसे राष्ट्रीय अभिलेखागार को सौंपा जाना चाहिए।

सरकार को तय करने का अधिकार

हालांकि इसका यह मतलब कतई नहीं है कि कोई भी रिकॉर्ड अपने आप सार्वजनिक हो जाएगा। सरकार यह तय कर सकती है कि राष्ट्रीय अभिलेखागार के साथ कौनसी रिपोर्ट साझा की जाए और कौनसी नहीं। 

Web Title: Defence Ministry has approved policy on archive and declassify histories of wars and operations

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