कांग्रेस की याचिका पर आए फैसले ने सरकार को 19 विधेयकों को बदलने के लिये किया मजबूर
By शीलेष शर्मा | Published: November 14, 2019 04:51 AM2019-11-14T04:51:38+5:302019-11-14T04:51:38+5:30
सर्वोच्च न्यायालय के पांच सदस्यों की पीठ ने कांग्रेस की ओर से जयराम रमेश द्वारा दायर याचिका पर फैसला सुनाते हुये उन सभी संशोधनों को रद्द कर दिया जो ग्रीन ट्रिब्यूनल सहित 19 ट्रिब्यूनलों के नियमों के परिवर्तन के लिये पारित कराये गये थे।
सर्वोच्च न्यायालय के कांग्रेस की याचिका पर दिये फ़ैसले के बाद अब मोदी सरकार को उन सभी 19 विधेयकों में संशोधन करना होगा जो 1 फ़रबरी 2017 को तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वित्त विधेयक के रूप में बजट के साथ राज्य सभा में पारित कराये थे।
13 नवंबर को पांच सदस्यों की पीठ ने कांग्रेस की ओर से जयराम रमेश द्वारा दायर याचिका पर फैसला सुनाते हुये उन सभी संशोधनों को रद्द कर दिया जो ग्रीन ट्रिब्यूनल सहित 19 ट्रिब्यूनलों के नियमों के परिवर्तन के लिये पारित कराये गये थे। दरअसल इन सभी 19 ट्रिब्यूनलों में नियुक्ति के लिये जो नियम पूर्व में स्थापित किये गये थे मोदी सरकार ने उन नियमों को समाप्त कर वेतन ,नियुक्ति की शर्तों को निर्धारित करने का अधिकार संशोधनों के माध्यम से प्रधानमंत्री कार्यालय और प्रधानमंत्री के पास सुरक्षित कर दिये थे।
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार इन सभी 19 ट्रिब्यूनलों में अपने चहेतों को नियुक्त करना चाहती थी चाहे उसके पास आवश्यक शिक्षा और अनुभव हो अथवा नहीं। रमेश ने कहा की इन विधेयकों को मनी बिल के रूप पेश करना गलत था या सही इस पर अदालत ने निर्णय न देकर इसे फ़ैसले के लिये बड़ी बैंच के सामने भेजने का निर्णय किया है।
जयराम रमेश का यह भी आरोप था कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवधि में ट्रिब्यूनलों को कमजोर करने का काम किया है तथा 18 महीनों में जो नियम बनाये वह इस फ़ैसले के बाद गैर कानूनी हो गए हैं और अब सरकार को नये सिरे से नियम बनाने होंगे।
उल्लेखनीय है कि अनुच्छेद 110 के तहत लोकसभा अध्यक्ष किसी विधेयक को वित्त विधेयक घोषित कर सकता है जो दोनों सदनों के लिये बाध्य कारी होता है ,लोकसभा को उसमें संशोधन प्रस्ताव देने और उसके पारित होने पर बदलाव का अधिकार है जबकि राज्य सभा केवल बहस कर सकती है उसे किसी प्रकार के संशोधन कराने का अधिकार प्राप्त नहीं है।