यूपी: निजामपुर में पहली बार दलित की घोड़ी पर निकली बारात, कड़ी सुरक्षा के बीच हुई शादी
By स्वाति सिंह | Published: July 16, 2018 05:00 PM2018-07-16T17:00:30+5:302018-07-16T17:21:55+5:30
हाथरस के संजय जाटव और कासगंज की शीतल की शादी रविवार शाम धूमधाम से हुई। निजामपुर गांव में पहुंचा दूल्हा घोड़ी पर सवार होकर अपनी दुल्हन के घर गया।
कासगंज, 16 जुलाई: उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले के पास निजामपुर गांव में पहली बार रविवार को एक दलित दुल्हे की बारात निकली है। यहां दलित जोड़े की शादी पुलिस की कड़ी निगरानी में हुई है। खबरों कि मानें तो यहां बरातियों की संख्या से ज्यादा संख्या सुरक्षा में पुलिसकर्मी लगे थे। हाथरस के संजय जाटव और कासगंज की शीतल की शादी रविवार शाम धूमधाम से हुई। निजामपुर गांव में पहुंचा दूल्हा घोड़ी पर सवार होकर अपनी दुल्हन के घर गया।
Dalit groom takes out wedding procession after 80 years in Kasganj's Nizampur village under police protection. Bride says, 'Upper caste people in the village said that this has never happened & threatened to attack us. We're less scared as we've got police protection.' (15.07.18) pic.twitter.com/9taYsO8O72
— ANI UP (@ANINewsUP) July 15, 2018
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पहले इस तरह के आरोप लग रहे थे कि दलित दूल्हे के घोड़ी पर चढ़ने को लेकर गांव के उच्च जाति के लोगों को आपत्ति थी लेकिन पुलिस ने ऐसी किसी भी आपत्ति की बात को पूरी तरह से खारिज कर दिया। कासगंज के पुलिस अधीक्षक पवित्र मोहन त्रिपाठी ने बताया कि हाथरस का संजय कासगंज के निजामपुर गांव की नीलम से इसी वर्ष 30 अप्रैल को शादी करना चाहता था लेकिन चूंकि लड़की नाबालिग थी इसलिए उसे शादी की इजाजत नहीं दी गई।
इस बीच गांव में यह अफवाह फैल गयी कि चूंकि लड़का दलित है और गांव में अधिक संख्या उच्च वर्ग के लोगों की है इसलिए उच्च वर्ग के लोग दलित लड़के को घोड़ी पर नहीं बैठने देना चाहते। जिसके बाद संजय ने इस मामले में पहले जिला प्रशासन से गुहार लगाई थी।
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एएसपी त्रिपाठी ने कहा कि उच्च वर्ग के विरोध की बात गलत थी। लड़की नाबालिग थी इसलिये शादी की इजाजत प्रशासन द्वारा नहीं दी गयी थी। अब जब लड़की बालिग हो गयी तो कल शाम संजय हाथरस से बारात लेकर आया। उसके साथ करीब 150 बराती आये थे। दूल्हे और बरातियों के डर को कम करने के लिये पुलिस के सुरक्षा घेरे में बरात निकाली गयी और गांव के किसी भी उच्च जाति के व्यक्ति ने इसका कोई विरोध नही किया।
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(भाषा इनपुट के साथ)