तिब्बत के सर्वोच्च बौद्ध गुरु 14वें दलाई लामा आज मना रहे हैं अपना 87वां जन्मदिन

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: July 6, 2022 02:35 PM2022-07-06T14:35:09+5:302022-07-06T14:39:39+5:30

नेहरू सरकार द्वारा निर्वासित 14वें दलाई लामा को शरण देना इतना भारी पड़ा था कि साल 1964 के आते-आते अंत में चीन ने दलाई लामा को शरण देने के लिए भारत को शत्रु मानते हुए अरुणाचल प्रदेश (नेफा) पर हमला तक कर दिया था लेकिन भारत ने चीन हर ज्यादतियों का डटकर सामना करते हुए में हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में दलाई लामा को बाकायदा आधिकारिक शरण दी।

Dalai Lama, the supreme Buddhist guru of Tibet, is celebrating his 87th birthday today | तिब्बत के सर्वोच्च बौद्ध गुरु 14वें दलाई लामा आज मना रहे हैं अपना 87वां जन्मदिन

फाइल फोटो

Highlightsतिब्बत के सर्वोच्च बौद्ध गुरु दलाई लामा आज हुए 87 साल के चीन के खौफ से 31 मार्च 1959 को दलाई लामा ने तिब्बत से भागकर भारत में राजनैतिक शरण लीदलाई लामा मौजूदा दौर में विश्व में शांति, सद्भाव और अहिंसा के सार्वभौमिक प्रतीक हैं

धर्मशाला: देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के वक्त में 31 मार्च 1959 को चीन के खौफ से भारत में शरण लेने वाले तिब्बत के सर्वोच्च बौद्ध गुरु दलाई लामा आज अपना 87वां जन्मदिन मना रहे हैं।

नेहरू सरकार द्वारा निर्वासित 14वें दलाई लामा को शरण देना इतना भारी पड़ा था कि साल 1964 के आते-आते अंत में चीन ने दलाई लामा को शरण देने के लिए भारत को शत्रु मानते हुए अरुणाचल प्रदेश (नेफा) पर हमला तक कर दिया था लेकिन भारत ने चीन हर ज्यादतियों का डटकर सामना करते हुए में हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में दलाई लामा को बाकायदा आधिकारिक शरण दी और लामा आज भी धर्मशाला में निर्वासित तिब्बती सरकार के केंद्रीय तिब्बती प्रशासन को सफलतापूर्वक संचालन कर रहे हैं।

आज उसी धर्मशाला में तिब्बतियों ने बड़े शान और श्रद्धा के साथ दलाई लामा के जन्मदिन का आयोजन किया, जिसे दुनियाभर में फैले हुए उनके भक्त भी मना रहे हैं। धर्मशाला में दलाई लामा के 87वें जन्मदिन के मौके पर भिक्षुओं, भिक्षुणियों, स्कूली छात्रों और विदेशी समर्थकों सहित सैकड़ों तिब्बती मुख्य बौद्ध मंदिर त्सुगलगखांग में इकट्ठा हुए और इस कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी शामिल हुए।

इस मौके पर सिक्योंग पेनपा त्सेरिंग, उनके मंत्रिमंडल के मंत्री और निर्वासित तिब्बती संसद के सदस्य सहित अमेरिकी अभिनेता रिचर्ड गेरे भी मौजूद थे, जिन्होंने दलाई लामा का 87वां जन्मदिन बड़े ही धूमधाम से मनाया।

चीन के भय से निर्वासन का जीवन व्यतित कर रहे दलाई लामा मौजूदा दौर में विश्व में शांति, सद्भाव और अहिंसा के सार्वभौमिक प्रतीक हैं और उन्हें दुनिया के राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक नेताओं के बीच विशिष्ठ लोकप्रियता हासिल है।

बचपन में गेंदुन द्रुप के नाम से जाने वाला बालक आगे चलकर बौद्ध धर्म में 14वें दलाई लामा के तौर पर जो ख्याती प्राप्त की, जिसे चीन छोड़कर आज सारा विश्व सम्मान की नजर से देखता है।

दलाई लामा ने निर्वासन के बाद जिस तरह से पूरी दुनिया के सामने जिस तरह से चीन के अलोकतांत्रिक, धर्म-विरोधी और मानव-विरोधी रवैये की वास्तविक चरित्र को उजागर किया है, वो वाकई चीन के कठोर शासन को दर्शाने के लिए नजीर बना और यही कारण है चीन पूरी दुनिया में मानवीय अत्याचार के लिए कुख्यात है।

साल 1949 में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से चीन की विस्तारवादी नीति का पहला शिकार बना तिब्बत दलाई लामा के जरिये वैश्विक समाज के सामने हमेशा अपनी स्वतंत्रता और स्वायत्ता की बात करता रहता है और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी तिब्बत को भारत और चीन के बीच बफर स्टेट के तौर पर देखा करते थे।

यही कारण था कि नेहरू ने चीन के तिब्बत में विस्तारवादी नीति की विरोध भी किया था। लेकिन चीन ने नेहरू की उम्मीदों को धता बताते हुए धावा बोल दिया। जिसका परिणाम है कि दलाई लामा आज भी अपनी मातृभूमि से दूर भारत में अपना निर्वासित जीवन गुजार रहे हैं। 

Web Title: Dalai Lama, the supreme Buddhist guru of Tibet, is celebrating his 87th birthday today

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