दस लाख के इनामी माओवादी भूषण यादव ने किया सरेंडर, खोली नक्सली संगठनों की पोल, बताया आत्मसमर्पण की वजह
By भाषा | Published: September 20, 2019 06:07 AM2019-09-20T06:07:41+5:302019-09-20T06:07:41+5:30
संगठन के बड़े नेताओं के बच्चे अच्छे और महंगे विद्यालयों में पढ़ाई करते हैं जबकि उनका साथ देने वाले छोटे कैडर के नक्सलियों के बच्चे खिचड़ी परोसे जाने वाले स्कूलों में भी नहीं जा पाते हैं।
झारखंड सरकार की ओर से लगातार जारी नक्सली विरोधी अभियानों के दौरान गुरुवार को दस लाख रुपये के इनामी माओवादी जोनल कमांडर भूषण यादव उर्फ चंद्रभूषण यादव ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। गुमला पुलिस लाइन में आयोजित एक कार्यक्रम में माओवादी नक्सली भूषण ने डीआईजी एवी होमकर, उपायुक्त शशि रंजन और एसपी अंजनी कुमार झा के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।
सरकार की आत्मसमर्पण नीति के तहत उसे 10 लाख रुपये का चेक दिया गया। डीआईजी होमकर ने कहा कि पुलिस अभियान के बढ़ते दबाव और सरकार की आकर्षक आत्मसमर्पण नीति के कारण अब नक्सली बड़ी संख्या में सलाखों के पीछे जा रहे हैं या आत्मसमर्पण करने को मजबूर हैं। उन्होंने बताया कि चंद्रभूषण गुमला, लोहरदगा और लातेहार जिले में 1995-96 से ही सक्रिय रहा है। इसके विरुद्ध तीनों ही जिले में 25 से अधिक मामले दर्ज हैं।
उन्होंने कहा कि नक्सली अपने सिद्धांतों से भटक गए हैं संगठन में महिलाओं और बच्चों के साथ शोषण हो रहा है जिसके कारण संगठन के सक्रिय सदस्य आत्मसमर्पण करने लगे हैं। चंद्रभूषण ने कहा कि लेवी का जो पैसा आता है, ठेकेदारों से जो वसूली की जाती है उसे जन हित में नहीं लगाया जाता है।
संगठन के बड़े नेताओं के बच्चे अच्छे और महंगे विद्यालयों में पढ़ाई करते हैं जबकि उनका साथ देने वाले छोटे कैडर के नक्सलियों के बच्चे खिचड़ी परोसे जाने वाले स्कूलों में भी नहीं जा पाते हैं। इन्हीं हालातों के कारण उसने आत्मसमर्पण का निर्णय लिया।