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कोविड महामारीः मुश्किल घड़ी में हर सोच सकारात्मक हो, भय को दूर करना होगा

By अनुभा जैन | Updated: April 28, 2021 16:48 IST

देश में कोरोना वायरस संक्रमण के एक दिन में रिकॉर्ड 3,60,960 नये मामले सामने आए हैं जिसके बाद संक्रमण के कुल मामले 1,79,9,267 हो गए हैं।

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ठळक मुद्देमृतक संख्या दो लाख को पार कर गई है। आंकड़ों के मुताबिक 1,48,17,371 लोग संक्रमण से उबर चुके हैं।कोविड-19 से स्वस्थ होने की राष्ट्रीय दर और घटकर 82.33 प्रतिशत हो गई है।

जयपुरः देश भर में कोविड से हाल खराब है। हर दिन लाखों मामले आ रहे हैं। लोग मुश्किल से गुजर रहे हैं। 

देश भर कई सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। लोगों को जागरूक किया जा रहा है। मास्क, दो गज की दूरी सहित कई कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। राजस्थान चैंबर ऑफ कॉमर्स व इंडस्ट्रीज के मानद संयुक्त सचिव और पत्रकार अनुभा जैन ने कहा कि एक विचार या सोच ऊर्जा उत्पन्न करती है। इसलिए इस महामारी की मुश्किल घड़ी में हर सोच सकारात्मक और अपने अच्छे अनुभवों से जुडी होनी चाहिए, ताकि शरीर में सही ऊर्जा का संचालन हो।

वक्ताओं में राजस्थान चैंबर ऑफ कॉमर्स व इंडस्ट्रीज के मानद महासचिव केएल जैन मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित थे। महामारी की मुश्किल घड़ी में भावनाओं पर संयम रखते हुए सहनशीलता से नकारात्मक विचारों पर नियंत्रण रखते हुए जीवन में आगे बढ़ने के मंत्र और कुछ अन्य मेडीटेशन व एनर्जी बढ़ाने की विधाएं भी बताई।

आज हम अनिश्चितता और चिंता के बेहद मुश्किल घड़ी से निकल रहे हैं। ऐसे समय मे गुस्से के मनोभाव के साथ दर्द और डर आदि के विभिन्न अन्य भाव हमारे अंदर छुपे हुये हैं, जिनको नियंत्रण में रखने की जरूरत है। जब परिस्थितियां हमारे नियंत्रण से बाहर हो तो हमें उन कार्यों पर ध्यान देने की जरूरत है, जिन पर हमारा नियंत्रण हो। इस अकेलेपन की मुश्किल घड़ी को हमे अपने आप को पहचानने और स्थितियों से कुछ नया सीखने की जरूरत है।

डा.केएल जैन ने कहा कि इस परीक्षा के समय में हर व्यक्ति को उसके रोजगार की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। स्टरेस प्रबंधन के द्वारा हमें सरकार की जारी कोविड प्रोटोकॉल गाइडलाइन्स को सख्ती से अपनाते हुये इस महामारी को देश से दूर करना होगा।

कोरोना के भय को कम करने की आवश्यकता है। उपस्थित दर्शकों ने पैनल से विषय से जुडे प्रश्न किये। इस अवसर पर उपस्थित दर्शकों में तुलसी दास भाटिया ने खाली समय का सदुपयोग करते हुये बच्चों को जैनिसम और गीता के सिद्वांतों की शिक्षा देने पर बल दिया। 

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