नागपुर में होगा नाक से कोवैक्सीन के टीकाकरण का मानवीय परीक्षण, जानिए सबकुछ
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 6, 2021 01:00 PM2021-01-06T13:00:43+5:302021-01-06T13:01:46+5:30
कोविड महामारीः भारत बायोटेक कंपनी का नाक के जरिये दिए जाने वाला कोवैक्सीन का टीका सीधे फेफड़ों तक पहुंचता है. इससे बेहतरीन तरीके से रोग प्रतिकारक शक्ति निर्माण होने का दावा किया जा रहा है.
सुमेध वाघमारे
नागपुरःनाक के जरिये शरीर में लिए जाने वाले कोविड प्रतिबंधक टीका का मानवी परीक्षण देश में पहली बार चार स्थानों पर शुरू होगा.
इसमें राज्य से नागपुर के गिल्लूरकर मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल को शामिल किया गया है. भारत बायोटेक कंपनी का नाक के जरिये दिए जाने वाला कोवैक्सीन का टीका सीधे फेफड़ों तक पहुंचता है. इससे बेहतरीन तरीके से रोग प्रतिकारक शक्ति निर्माण होने का दावा किया जा रहा है.
कोविड के नए विषाणु के निदान से जहां एक तरफ खलबली मची है, वहीं दूसरी तरफ कोविड प्रतिबंधक टीकाकरण का 'ड्राई रन' सफल हो गया है. इसमें ड्रग्ज कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजी) ने भारत में दो कोविड विरोधी टीका को आपातकालीन अनुमति दी है. इसमें सीरम इंस्टीट्यूट का 'कोविशील्ड' और भारत बायोटेक का कोवैक्सीन टीका शामिल है.
भारत में बना कोवैक्सीन टीका पहला स्वदेशी टीका है
भारत में बना कोवैक्सीन टीका पहला स्वदेशी टीका है. इसको अब नाक के जरिये देने का परीक्षण विश्व में पहली बार हो रहा है. अब तक किए गए परीक्षण में 'इंट्रा वैस्कुलर' मतलब धमनी में दी जा रही थी. इस टीकाकरण का पहला व दूसरा चरण राज्य में नागपुर के डॉ. चंद्रशेखर गिल्लूरकर के हॉस्पिटल में पूर्ण किया गया था.
पहले चरण में 55 और दूसरे चरण में 50 स्वयंसेवकों का परीक्षण किया गया. तीसरा चरण रहाटे के निजी हॉस्पिटल में पूर्ण किया गया. इसमें 1600 स्वयंसेवकों को टीका लगाया गया. इस बीच, नागपुर के एक निजी हॉस्पिटल मंे त्वचा के जरिये 'इंट्राडर्मल' टीका का परीक्षण 20 स्वयंसेवकों पर किया गया.
विशेष तौर पर पहले और दूसरे चरण के परिणाम अच्छे निकले. इसके कारण ही नाक के जरिये दिए जाने वाले टीके के परीक्षण के लिए पुन: नागपुर के हॉस्पिटल का चयन होने की जानकारी हॉस्पिटल के संचालक डॉ. गिल्लूरकर ने दी.
वायरस की वजह से फेफड़ों की कार्यक्षमता कम हो जाती है
तेज गति से बनती है एंटीबॉडीज डॉ. गिल्लूरकर ने लोकमत समाचार को बताया कि कोविड वायरस की वजह से फेफड़ों की कार्यक्षमता कम हो जाती है क्योंकि कोरोना का विषाणु नाक, गले के जरिये सीधे फेफड़ों में पहुंचता है. इसलिए अस्थमा जैसी उपचार पद्धति मतलब सीधे नाक के जरिये टीका को फेफड़ों तक पहुंचाए जाने पर वह ज्यादा असरदार साबित होता है.
एक शोध में पाया गया है कि 'इंट्रा वैस्कुलर' की तुलना में नाक के जरिये दिए जाने वाले टीका से एंटीबॉडीज ज्यादा तेज गति से बनती है. इसके पहले नाक के जरिये स्वाइन फ्लू का टीका दिया गया था. -नाक के जरिये दिया जाने वाला टीका कारगर नाक के जरिये दिए जाने वाले टीका की वजह से सीरिंज और अन्य सामग्री की लागत का खर्च कम होता है.
टीकाकरण में बड़ा लाभ हो सकता है
यह टीका लगाना आसान भी है. इससे टीकाकरण में बड़ा लाभ हो सकता है. उपलब्ध जानकारी के अनुसार, लगभग दो करोड़ कोवैक्सीन के 'इंट्रा वैस्कुलर' और कोविशील्ड के लगभग चार से पांच करोड़ टीका बन गए हैं. डॉ. गिल्लूरकर ने कहा कि भारत में पहले चरण में टीकाकरण के लिए 70-80 करोड़ टीका की जरूरत है.
उनका कहना है कि अलग-अलग पर्यायों के बीच नाक के जरिये दिया जाने वाला टीका कारगर साबित हो सकता है. 375 स्वयंसेवकों का परीक्षण नाक के जरिये कोवैक्सीन टीका के मानवी परीक्षण के लिए भारत बायोटेक ने डीसीजी से अनुमति मांगी है. मंजूरी मिलते ही लगभग दो सप्ताह में परीक्षण की शुरुआत होगी.
भारत में चार केंद्रों पर इसका परीक्षण होगा. इसमें नागपुर, हैदराबाद, भुवनेश्वर और पटना केंद्र शामिल हैं. पहले चरण में 375 स्वयंसेवकों का परीक्षण होगा. नागपुर सेंटर को इनमें से 70-80 स्वयंसेवकों के परीक्षण का दायित्व सौंपा जा सकता है. 18 से 55 तक के आयु समूह के लोगों का यह परीक्षण दो चरणों में पूर्ण किया जाएगा. -डॉ. चंद्रशेखर गिल्लूरकर संचालक, गिल्लूरकर मल्टी स्पेशालिटी हॉस्पिटल, नागपुर