कोरोना की तह तक पहुंचने का दावा हुआ खारिज, गुजरात की लैब के दावे से आईसीएमआर असहमत
By हरीश गुप्ता | Published: April 18, 2020 07:04 AM2020-04-18T07:04:06+5:302020-04-18T07:04:06+5:30
नई दिल्ली: देश के शीर्ष अनुसंधान संस्थान इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने गुजरात सरकार के बायोटेक्नालॉजी रिसर्च सेंटर के कोरोना की तह तक पहुंचकर महामारी के रहस्य की परतें खोलने के दावे को खारिज कर दिया है. उल्लेखनीय है कि गुजरात के इस सेंटर ने गुरुवार को दावा किया था कि कोरोना वायरस के नौ म्यूटेशंस (परिस्थिति के मुताबिक बदलाव की क्षमता) का पता लगा लिया गया है.
इससे उम्मीद जगी थी कि अब जल्द ही कोरोना वायरस से निपटने के लिए टीका तैयार कर लिया जाएगा. कुछ वैज्ञानिकों की राय में तो इससे सार्स जैसे अन्य घातक वायरसों की तरह इस वायरस की स्वत: मृत्यु का रास्ता साफ करना आसान हो जाएगा. गुजरात के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव हरित शुक्ला ने कहा कि जीनोम सिक्वेंसिंग की जानकारी से इस वायरल इन्फेक्शन के लिए 'ड्रग स्ट्रेटेजी' के साथ-साथ टीका बनाना आसान हो जाएगा.
आईसीएमआर के चीफ साइंटिस्ट और प्रवक्ता डॉ. रमन आर. गंगाखेडकर ने कहा है कि फिलहाल किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी. उन्होंने कहा, ''चीन, इटली और ईरान से भारत में कोरोना वायरस की कई किस्मों ने प्रवेश किया था. हमारे अध्ययन ने बताया कि चीन से आया हुआ वायरस इटली से आए हुए वायरस से अलग है. हां, चीन और ईरान से आए वायरसों में कुछ समानता है. वायरस की किस्मों में म्यूटेशंस को लेकर ऐसे में किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता.''
डॉ. गंगाखेडकर ने गुजरात की प्रतिष्ठित लैब की उम्मीदों पर यह कहते हुए पानी सा फेर दिया कि वायरसों की 3000 किस्म मौजूद हैं. ''लेकिन, म्यूटेशंस वाले वायरस बहुत कम हैं और सिक्वेंसेस के लिए अध्ययन जारी है.'' बताया था उल्लेखनीय उपलब्धि इससे पहले बुधवार शाम को गुजरात के मुख्यमंत्री कार्यालय ने इसका जिक्र 'उल्लेखनीय उपलब्धि' के तौर पर किया था.
बाद में गांधीनगर स्थित गुजरात के अनुसंधान केंद्र के डायरेक्टर डॉ सीजी जोशी ने कहा था कि गुजरात के एक मरीज से लिए गए कोविड-19 के नमूने में जो नौ म्यूटेेशंस देखे गए हैं, उनमें से छह तो कोरोना महामारी से ग्रस्त विभिन्न देशों में भी देखे गए हैं. उन्होंने दावा करते हुए कहा था, ''लेकिन हमारी सिक्वेंसिंग में तीन म्यूटेशंस पहली बार देखे गए हैं. यह इस बात की ओर इशारा करता है कि वायस तेजी से म्यूटेशन करता है. म्यूटेशन कई बातों पर निर्भर होता है और इस मामले में और अध्ययन जारी है.''