देश में कोरोना संक्रमण के कुल मामले 1251 हुए, 32 लोगों की मौत, 101 हुए ठीक
By रामदीप मिश्रा | Published: March 30, 2020 11:53 PM2020-03-30T23:53:32+5:302020-03-31T05:59:26+5:30
कोरोना वायरसः स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने संक्रमण को रोकने के लिए घोषित लॉकडाउन के असर के विश्लेषण के आधार पर बताया कि भारत में संक्रमण के बढ़ने की गति विकसित देशों की तुलना में कम है।
नई दिल्लीः देश में कोरोना वायरस से संक्रमण के सोमवार तक 1251 मामले मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 32 मरीजों की मौत हो गई है, जबकि 101 मरीज ठीक हो गए हैं और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। इसके अलावा 1117 मरीजों का फिलहाल इलाज किया जा रहा है और उन्हें क्वारंटाइन किया गया है। बताया गया है कि अबतक एयरपोर्ट पर 15 लाख, 24 हजार, 266 लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है।
इससे पहले स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने संक्रमण को रोकने के लिए घोषित लॉकडाउन के असर के विश्लेषण के आधार पर बताया कि भारत में संक्रमण के बढ़ने की गति विकसित देशों की तुलना में कम है।
उन्होंने कहा कि भारत में संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ने की गति और इससे जुड़े आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि देश में संक्रमण के मामले 100 से 1000 तक पहुंचने में 12 दिन लगे, जबकि विकसित देशों में इस अवधि में संक्रमित मरीजों की संख्या 3500 से 8000 तक पहुंच गई। इससे स्पष्ट है कि भारत में इसके संक्रमण की दर तुलनात्मक रूप से कम है।
उन्होंने कहा कि इस स्थिति को नियंत्रण में रखने में प्रमुख योगदान, लॉकडाउन के दौरान लोगों की एक दूसरे से सुरक्षित दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) बनाये रखना है। अग्रवाल ने हालांकि इस बात पर जोर दिया कि इसका शत-प्रतिशत पालन सुनिश्चित किये जाने पर ही स्थिति को नियंत्रित किया जा सकेगा।
अग्रवाल ने कहा कि जिन देशों में कोरोना के संक्रमण का प्रकोप ज्यादा है उनमें एक संक्रमित व्यक्ति ने कम से कम सौ लोगों को संक्रमित किया इसलिये वहां इसके संक्रमण ने महामारी का रूप धारण किया। भारत को इस स्थिति से बचाने के लिये लॉकडाउन का प्रत्येक व्यक्ति को पूरी तरह से पालन करना होगा।
संवाददता सम्मेलन में गृह मंत्रालय की संयुक्त सचित पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने बताया कि मंत्रालय देशव्यापी लॉकडाउन कि नियमित निगरानी कर रहा है। देश के सभी इलाकों में लोगों की आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सामान्य रूप से हो रही है।
उन्होंने कहा कि शहरों से अपने गांव की ओर वापस लौटे प्रवासी मजदूर, जो मार्ग में फंसे हैं, उन्हें भोजन और आश्रय की सुविधा देने के लिये सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं। साथ ही जो मजदूर अपने काम की जगह पर मौजूद हैं, उनका वेतन या पारिश्रमिक समय पर देने और मकान मालिकों द्वारा किराया न वसूलने हेतु भी आवश्यक निर्देश जारी कर दिए गए हैं।