अर्नब की न्यायिक हिरासत पर पुनर्विचार की पुलिस की याचिका पर नौ नवंबर को सुनवाई करेगी अदालत

By भाषा | Published: November 7, 2020 10:27 PM2020-11-07T22:27:27+5:302020-11-07T22:27:27+5:30

Court to hear on November 9 petition for reconsideration of Arnab's judicial custody | अर्नब की न्यायिक हिरासत पर पुनर्विचार की पुलिस की याचिका पर नौ नवंबर को सुनवाई करेगी अदालत

अर्नब की न्यायिक हिरासत पर पुनर्विचार की पुलिस की याचिका पर नौ नवंबर को सुनवाई करेगी अदालत

मुंबई, सात नवंबर रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी की पुलिस हिरासत के बजाय न्यायिक रिमांड के मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती देने वाली पुलिस की याचिका पर रायगढ़ जिले के अलीबाग में सत्र अदालत नौ नवंबर को सुनवाई करेगी।

अलीबाग में जिला सत्र अदालत ने शनिवार को यह आदेश जारी किया। अदालत को सूचित किया गया था बंबई उच्च न्यायालय इस समय मामले में गोस्वामी और दो अन्य आरोपियों-फिरोज शेख तथा नीतेश सारदा की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। उन्होंने अंतरिम जमानत की मांग की है और उनकी गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए इसे चुनौती दी है।

पुलिस ने अपने आवेदन में सत्र अदालत से अनुरोध किया था कि निचली अदालत के आदेश को रद्द किया जाए और तीन आरोपियों को उनकी हिरासत में भेजा जाए।

अलीबाग के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 4 नवंबर को गोस्वामी और दो अन्य आरोपियों को यह कहते हुए 18 नवंबर तक के लिए न्यायिक रिमांड में भेज दिया था कि हिरासत में रखकर पूछताछ की आवश्यकता नहीं है।

गोस्वामी को 53 वर्षीय इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक को कथित तौर पर खुदकुशी के लिए उकसाने के मामले में बुधवार को उनके लोअर परेल स्थित आवास से सुबह के समय गिरफ्तार किया गया था। उन्हें अलीबाग थाने ले जाया गया और बाद में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुनैना पिंगले के समक्ष पेश किया गया।

मजिस्ट्रेट ने बुधवार देर रात आदेशी जारी करते हुए तीनों को पुलिस हिरासत में भेजने से इनकार कर दिया और उन्हें 18 नवंबर तक की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

अलीबाग पुलिस ने गोस्वामी से पूछताछ के लिए 14 दिन की हिरासत की मांग की थी।

गोस्वामी को इस समय एक स्थानीय स्कूल में रखा गया है, जिसे अलीबाग जेल के लिए कोविड-19 केंद्र बनाया गया है।

अन्वय नाइक और उनकी मां कुमोदिनी नाइक द्वारा 2018 में गोस्वामी की कंपनी द्वारा कथित रूप से उनका बकाया भुगतान नहीं किये जाने के कारण आत्महत्या करने का मामला दर्ज किया गया था। 2019 में पुलिस ने मामले को बंद कर दिया था।

लेकिन इस साल मई में, महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने घोषणा की थी कि उन्होंने अन्वय नाइक की बेटी आज्ञा नाइक की शिकायत के बाद मामले में नए सिरे से जांच के आदेश दिए हैं।

संक्षिप्त दलीलों के दौरान, विशेष लोक अभियोजक प्रदीप घरात ने सत्र अदालत को बताया कि मजिस्ट्रेट ने कई तथ्यों पर विचार नहीं किया, जो आरोपी व्यक्तियों की हिरासत में लेकर पूछताछ को उचित ठहराते हैं।

अभियोजक ने कहा कि 2019 में इस मामले को बंद करने के लिए पुलिस द्वारा प्रस्तुत की गई ’सारांश रिपोर्ट अवैध है।

घरात ने कहा, ‘‘मजिस्ट्रेट, क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करने से पहले शिकायतकर्ता (नाइक के परिवार) को याचिका का जवाब देने का अवसर देना चाहिए था। यह नहीं किया गया।’’

उन्होंने कहा कि अदालत को पुलिस हिरासत में गोस्वामी और अन्य को रिमांड पर लेने की अनुमति देनी चाहिए क्योंकि मामले को उसके तार्किक अंत तक ले जाने के लिए हिरासत में लेकर पूछताछ जरूरी है।

सत्र अदालत नौ नवंबर को आरोपियों के वकीलों की दलीलें सुनेगी।

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Web Title: Court to hear on November 9 petition for reconsideration of Arnab's judicial custody

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