धामपुर शुगर मिल की इकाइयों पर 20 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने के एनजीटी के आदेश पर न्यायालय की रोक
By भाषा | Published: October 14, 2021 05:24 PM2021-10-14T17:24:59+5:302021-10-14T17:24:59+5:30
नयी दिल्ली, 14 अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश स्थित धामपुर शुगर मिल्स लिमिटेड की चार इकाइयों पर पर्यावरण नियमों के उल्लंघन को लेकर 20 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने के राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश पर रोक लगा दी है।
न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी की पीठ ने धामपुर शुगर मिल की अपील पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), केंद्रीय भूमि जल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए), उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) और अन्य को नोटिस जारी किए हैं। इन सभी को छह सप्ताह के भीतर नोटिस का जवाब देना है।
पीठ ने कहा, ‘‘नोटिस जारी कीजिए, जिसका जवाब छह सप्ताह में दिया जाए। इस बीच, प्रत्येक इकाई पर पांच-पांच करोड़ रुपये के जुर्माने के भुगतान तथा प्रतिवादी संख्या एक से तीन तक (धामपुर शुगर मिल्स लिमिटेड) द्वारा दिए जाने वाले 10 लाख रुपये के शुल्क संबंधी आदेश पर स्थगन रहेगा।’’
शीर्ष अदालत ने आठ अक्टूबर के अपने आदेश में यह भी कहा कि नुकसान के आकलन के लिए एनजीटी की ओर से गठित समिति छह सप्ताह की अवधि तक आगे कोई और कदम नहीं उठाएगी।
कंपनी ने एनजीटी के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की थी।
एनजीटी ने धामपुर शुगर मिल्स की जिला संभल स्थित धामपुर शुगर मिल्स, जिला बिजनौर स्थित धामपुर शुगर मिल्स और जिला बिजनौर स्थित धामपुर डिस्टिलरी यूनिट के साथ ही धामपुर शुगर मिल्स, मीरगंज, जिला बरेली पर पर्यावरण नियमों के उल्लंघन को लेकर पांच-पांच करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।
हरित इकाई ने निर्देश दिया था कि जुर्माने का भुगतान एक सितंबर 2021 से 30 दिन के भीतर किया जाना चाहिए।
एनजीटी ने पर्यावरण को पहुंचे नुकसान का आकलन करने के लिए सीपीसीबी, यूपीपीसीबी और संबंधित जिलाधिकारियों की एक समिति भी गठित की थी।
हरित इकाई ने प्रतिवादी संख्या एक से तीन तक (धामपुर शुगर मिल्स लिमिटेड) पर 10 लाख रुपये का वाद शुल्क भी लगाया था और कहा था कि यह राशि एक महीने के भीतर सीपीसीबी के पास जमा की जानी चाहिए जिसका इस्तेमाल पर्यावरण संरक्षण के लिए किया जाएगा।
एनजीटी ने यह आदेश आदिल अंसारी नामक व्यक्ति की याचिका पर दिया था जिसमें पर्यावरण नियमों के उल्लंघन को लेकर कंपनी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने का आग्रह किया गया था।
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