न्यायालय ने केन्द्र से स्थाई कमीशन के संबंध में महिला सैन्य अधिकारियों की स्थिति रिपोर्ट मांगी

By भाषा | Published: November 25, 2020 09:34 PM2020-11-25T21:34:19+5:302020-11-25T21:34:19+5:30

Court seeks status report of women military officers regarding permanent commission from Center | न्यायालय ने केन्द्र से स्थाई कमीशन के संबंध में महिला सैन्य अधिकारियों की स्थिति रिपोर्ट मांगी

न्यायालय ने केन्द्र से स्थाई कमीशन के संबंध में महिला सैन्य अधिकारियों की स्थिति रिपोर्ट मांगी

नयी दिल्ली, 25 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केन्द्र को निर्देश दिया कि भारतीय सेना में शार्ट सर्विस कमीशन में कार्यरत 615 महिला अधिकारियों की स्थिति से उसे अवगत कराया जाये। इन महिला अधिकारियों में से 422 अधिकारियों को स्थाई कमीशन के लिये मानकों के अनुकूल पाया गया था।

शीर्ष अदालत ने यह जानकारी उस समय मांगी जब केन्द्र ने उसे सूचित किया कि सेना में महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन प्रदान करने की प्रक्रिया पूरी हो गयी है और इसके नतीजे घोषित कर दिये गये हैं।

न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी की पीठ ने स्थाई कमीशन के लिए चयनित नहीं की गयीं महिला अधिकारियों की याचिका दिसंबर महीने में सुनवाई के लिये सूचीबद्ध की और केन्द्र से स्थाई कमीशन के लिये आवेदन करने वाली प्रत्येक महिला अधिकारी का विवरण मांगा।

इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही कुछ महिला उम्मीदवारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस पटवालिया ने कहा कि उनकी एक मुवक्किल ने सेवा में 20 साल पूरे कर लिये हैं लेकिन उसे स्थाई कमीशन नहीं दिया गया और अगर न्यायालय एक नयी तारीख निर्धारित करता है तो उस समय तक उसे सेवा से मुक्त कर दिया जायेगा।

उन्होंने कहा कि उनकी दूसरी मुवक्किल अभियांत्रिकी पाठ्यक्रम पूरा कर रही है लेकिन अब उसे स्थाई कमीशन देने से इंकार कर दिया गया है और कोई यह नही बता रहा कि उसे स्थाई कमीशन क्यों नही दिया गया। उन्होंने सुनवाई की अगली तारीख तक यथास्थिति बनाये रखने का अंतरिम आदेश देने का अनुरोध किया।

पीठ ने कहा कि वह केन्द्र का जवाबी हलफनामा देखे या उसे सुने बगैर कोई आदेश नहीं दे सकती है।

केन्द्र की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि उनका हलफनामा लगभग तैयार है ओर एक दिन के भीतर इसे दाखिल कर दिया जायेगा।

महिला अधिकारियों के एक अन्य समूह की ओर से वरिष्ठ अधिवकता मीनाक्षी अरोड़ा ने दावा किया कि मीडिया की खबरों के अनुसार, 615 उम्मीदवारों में से सिर्फ 277 को स्थाई कमीशन दिया गया है।

उन्होंने दलील दी कि कई महिला अधिकारी, जिनका स्थाई कमीशन के लिये चयन नही हुआ है, काफी सम्मानित हैं और सरकार उनकी याचिकाओं पर जवाब दाखिल नहीं कर रही हैं।

अरोड़ा ने कहा कि सैन्य बलों में इसे महिलाओं की आंशिक जीत नहीं रहने दिया जाये। उन्होंने केन्द्र से यह आश्वासन चाहा कि सुनवाई की अगली तारीख तक इन याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई कारवाई नहीं की जायेगी।

पीठ ने केन्द्र की ओर से पेश अधिवक्ता से कहा कि वह यह सुनिश्चित करने का निर्देश प्राप्त करे कि सुनवाई की अगली तारीख तक कोई कार्रवाई नहीं की जायेगी।

केन्द्र की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल संजय जैन ने कहा कि उनका हलफनामा तैयार है, लेकिन नया आवेदन दायर होने की वजह से उसे भी इसमें शामिल करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि सरकार सभी 17 याचिकाकर्ताओं के मामले से न्यायालय को अवगत करायेगी।

पीठ ने कहा कि एक उम्मीदवार ने एम टेक की डिग्री पाठ्यक्रम पूरा कर लिया है और उसके मामले में सरकार को स्वतंत्र रूप से गौर करना चाहिए।

जैन ने कहा कि 615 उम्मीदवारों में से 422 को मानदंडों के आधार पर योग्य पाया गया है।

पीठ ने कहा कि वह इस मामले में दिसंबर में विस्तार से विचार करेगी और इस दौरान केन्द्र को प्रत्येक महिला अधिकारी की स्थिति के बारे में चार्ट पेश करना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने सात जुलाई को केन्द्र को सेना में कार्यरत सभी एसएससी महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन देने संबंधी फैसले पर अमल का निर्देश दिया था।

केन्द्र ने न्यायालय से कहा था कि उसके 17 फरवरी के फैसले का पूरी तरह पालन किया जायेगा।

गौरतलब है कि सैन्य बलों में लैंगिक भेदभाव खत्म करने पर जोर देते हुये उच्चतम न्यायालय ने 17 फरवरी को सेना में महिला अधिकारियों के कमान संभालने का मार्ग प्रशस्त करते हुए केन्द्र को निर्देश दिया था कि तीन महीने के भीतर सभी महिला सैन्य अधिकारियों को स्थायी कमीशन दिया जाये।

न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की अध्यक्षता वाली पीठ ने सरकार की इस दलील को विचलित करने वाला और समता के सिद्धांत के विपरीत बताया था जिसमें कहा गया था कि शारीरिक सीमाओं और सामाजिक चलन को देखते हुए महिला सैन्य अधिकारियों की कमान पदों पर नियुक्ति नहीं की जा रही है।

शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया था कि शॉर्ट सर्विस कमीशन में सेवारत सभी महिला सैन्य अधिकारियों को स्थायी कमीशन दिया जाए, भले ही मामला 14 साल का हो या 20 साल की सेवा का हो।

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Web Title: Court seeks status report of women military officers regarding permanent commission from Center

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