न्यायालय ने चारधाम परियोजना पर उच्चाधिकार प्राप्त समिति की रिपोर्ट पर संबंधित पक्षों से मांगा जवाब
By भाषा | Published: January 18, 2021 09:57 PM2021-01-18T21:57:35+5:302021-01-18T21:57:35+5:30
नयी दिल्ली, 18 जनवरी उच्चतम न्यायालय ने उत्तराखंड में भारत-चीन सीमा तक सड़कों को चौड़ा करने के बारे में चारधाम राजमार्ग परियोजना निगरानी समिति की रिपोर्ट पर सोमवार को संबंधित पक्षकारों को जवाब या आपत्ति, अगर कोई हो, दाखिल करने का निर्देश दियो।
सामरिक महत्व की 900 किमी लंबी चारधाम परियोजना का मकसद उत्तराखंड में स्थित चारों पवित्र नगरों- यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ- में सभी मौसमों के अनुकूल संपर्क सड़कों का निर्माण करना है।
केन्द्र ने शीर्ष अदालत से अनुरोध किया है कि वह सामरिक जरूरतों और बर्फ हटाने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुये दो लेन की (10 मीटर चौड़ी) सड़क विकसित करने की 21 सदस्यीय उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बहुमत से की गयी सिफारिश स्वीकार करे।
न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन, न्यायमूर्ति के एम जोसेफ और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने इस मामले को आगे विचार के लिये 27 जनवरी को सूचीबद्ध कर दिया है। इससे पहले, गैर सरकारी संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोन्साल्विज ने कहा कि उन्हें इस रिपोर्ट के बारे में जवाब दाखिल करने के लिये वक्त चाहिए।
केन्द्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि शीर्ष अदालत के पिछले साल दो दिसंबर के निर्देशानुसार उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने15-16 दिसंबर, 2020 की बैठक में सड़क चौड़ी करने के मामले पर विचार किया। समिति ने 31 दिसंबर को अपनी रिपोर्ट न्यायालय को सौंपी।
केन्द्र ने कहा है , ‘‘सड़क चौड़ी करने के मुद्दे पर उच्चाधिकार प्राप्त समिति की रिपोर्ट एक बार फिर खंडित है और इसके 21 सदस्यों में (इसके 16 सदस्यों और इसमें शामिल किये गये सदस्यों) ने भारतीय सड़क कांग्रेस के प्रावधानों और 15 दिसंबर, 2020 के संशोधित परिपत्र के अनुसार सामरिक महत्व और बर्फ हटाने की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुये दो लेन की सड़क (10 मीटर चौड़ी) विकसित करने की सिफारिश की है।
हलफनामे में सरकार ने कहा है कि समिति के अध्यक्ष रवि चोपड़ा (अल्पमत रिपोर्ट) अभी भी सुरक्षा जरूरतों और भारत-चीन सीमा पर, अगर हुआ तो, बाहरी आक्रमण का मुकाबला करने के लिये रक्षा बलों की आवश्यकता को नजरअंदाज करते हुये सड़क 5.5 मीटर चौड़ी रखने संबंधी सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के 23 मार्च 2018 के परिपत्र पर भी जोर दे रहे हैं।
केन्द्र ने कहा है कि समिति की बहुमत की रिपोर्ट में सामाजिक, आर्थिक और सामरिक जरूरतों के साथ ही पर्यावरण संरक्षण से संबंधित मुद्दों को ध्यान में रखते हुये ही इस मामले में एक व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया है।
केन्द्र ने न्यायालय से उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बहुमत की रिपोर्ट स्वीकार करने का अनुरोध किया है। सरकार ने कहा है कि इस समिति ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के 23 मार्च, 2018 के परिपत्र में 15 दिसंबर, 2020 को किये गये संशोधन स्वीकार कर लिये हैं।
केन्द्र ने कहा कि बहुमत की रिपोर्ट ने सैन्य बलों के साथ ही स्थानीय आबादी के सुगमता से आवागमन सुनिश्चित करने के लिये चौड़ी सड़क के बारे में 15 दिसंबर, 2020 का परिपत्र स्वीकार करने की सिफारिश की है।
न्यायालय ने दो दिसंबर, 2020 को चारधाम राजमार्ग परियोजना की निगरानी के लिये गठित उच्चाधिकार समिति को दो सप्ताह के भीतर बैठक करके भारत-चीन सीमा क्षेत्र में सड़कों को सात मीटर तक चौड़ा करने के लिये रक्षा मंत्रालय के आवेदन सहित विभिन्न आवेदनों पर विचार करने का निर्देश दिया था।
रक्षा मंत्रालय ने इस आवेदन में शीर्ष अदालत के आठ सितंबर के आदेश मे सुधार करने का अनुरोध किया है। न्यायालय ने इस आदेश में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को 5.5 मीटर चौड़े राजमार्ग के निर्माण के बारे में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के 2012 परिपत्र का पालन करने के लिये कहा था जिसमे कुछ मानक निर्धारित किये गये थे।
रक्षा मंत्रालय ने अपने आवेदन में कहा है कि वह आठ सितंबर के आदेश में सुधार और यह निर्देश चाहता है कि ऋषिकेष से माना, ऋषिकेष से गंगोत्री और टनकपुर से पिथौरागढ़ के राजमार्ग को दोहरी लेन के रूप में विकसित किया जाये।
इससे पहले, अगस्त, 2019 में शीर्ष अदालत ने पर्यावरण से जुड़े मसले पर गौर करने के लिये उच्चाधिकार समिति गठित करने के राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश में सुधार करते हुये चारधाम राजमार्ग परियोजना को हरी झंडी दी थी।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।