कोर्ट ने कहा- स्त्री के लिए विवाह की सीमा 18 साल तय करना “स्पष्ट भेदभाव” है, केंद्र से जवाब मांगा

By भाषा | Published: August 19, 2019 07:20 PM2019-08-19T19:20:53+5:302019-08-19T19:20:53+5:30

“जहां भारत में पुरुषों को 21 साल का होने के बाद ही शादी की अनुमति है वहीं महिलाओं की शादी 18 की उम्र में ही करने की इजाजत है। यह भेदभाव पितृसत्तात्मक रूढ़ियों पर आधारित है, जिसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। यह महिलाओं के खिलाफ विधि सम्मत और वास्तविक असमानता को बढ़ाता है तथा वैश्विक चलन के पूरी तरह खिलाफ जाता है।”

Court said- it is "clear discrimination" for women to fix 18 years of marriage, seeking answers from center | कोर्ट ने कहा- स्त्री के लिए विवाह की सीमा 18 साल तय करना “स्पष्ट भेदभाव” है, केंद्र से जवाब मांगा

पीठ ने केंद्र को सोमवार को उस जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया।

Highlightsयाचिका में तर्क दिया गया, “यह याचिका महिलाओं के खिलाफ भेदभाव के स्पष्ट एवं जारी रूप को चुनौती देती हैयह रूप है भारत में स्त्री और पुरुष की विवाह के लिए न्यूनतम आयु सीमा में भेदभाव।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्त्री और पुरुष की विवाह की कानूनी उम्र समान करने की मांग वाली जनहित याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने केंद्र को सोमवार को उस जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया जिसमें कहा गया कि स्त्री के लिए विवाह की सीमा 18 साल तय करना “स्पष्ट भेदभाव” है। भारत में पुरुष के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल है।

भाजपा नेता एवं वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की इस याचिका में दावा किया गया है कि स्त्री और पुरुष के लिए तय शादी की न्यूनतम उम्र में यह अंतर पितृसत्तात्मक रूढ़ियों पर आधारित है और इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।

अदालत ने मामले में अगली सुनवाई 30 अक्टूबर तय की है। याचिका में दावा किया गया है कि विवाह की उम्र में यह अंतर लैंगिक समानता के सिद्धांतों, लैंगिक न्याय और महिलाओं की गरिमा के सिद्धांतों का उल्लंघन है। याचिका में तर्क दिया गया, “यह याचिका महिलाओं के खिलाफ भेदभाव के स्पष्ट एवं जारी रूप को चुनौती देती है और यह रूप है भारत में स्त्री और पुरुष की विवाह के लिए न्यूनतम आयु सीमा में भेदभाव।

“जहां भारत में पुरुषों को 21 साल का होने के बाद ही शादी की अनुमति है वहीं महिलाओं की शादी 18 की उम्र में ही करने की इजाजत है। यह भेदभाव पितृसत्तात्मक रूढ़ियों पर आधारित है, जिसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। यह महिलाओं के खिलाफ विधि सम्मत और वास्तविक असमानता को बढ़ाता है तथा वैश्विक चलन के पूरी तरह खिलाफ जाता है।”

याचिका में कहा गया, “यह सामाजिक वास्तविकता है” कि विवाहित महिला से पति की तुलना में अधीनस्थ भूमिका निभाने की उम्मीद की जाती है और यह “सत्ता असंतुलन” इस उम्र के अंतर के कारण और बढ़ जाता है। इसमें कहा गया, “इसलिए कम उम्र की साथी से अपने से बड़े साथी का सम्मान करने और दास की तरह पेश आने की उम्मीद की जाती है जो विवाहित संबंध में पहले से ही मौजूद लैंगिक आधारित अनुक्रम को बढ़ाती है।” 

Web Title: Court said- it is "clear discrimination" for women to fix 18 years of marriage, seeking answers from center

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