न्यायालय अखिल भारतीय बार परीक्षा नियम, 2010 के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के लिये तैयार
By भाषा | Published: January 18, 2021 09:53 PM2021-01-18T21:53:29+5:302021-01-18T21:53:29+5:30
नयी दिल्ली, 18 जनवरी उच्चतम न्यायालय ने अखिल भारतीय बार परीक्षा नियम, 2010 को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को केन्द्र और बार काउंसिल आफ इंडिया को नोटिस जारी किये। इन नियमों के तहत अदालतों में वकालत करने के इच्छुक प्रत्येक अधिवक्ता के लिये यह परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य होता है।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने इन नियमों को निरस्त करने के लिये ठाणे निवासी पार्थसारथी महेश सराफ की याचिका पर नोटिस जारी किये। पीठ ने इन नियमों पर रोक लगाने के आवेदन पर भी नोटिस जारी किये हैं और मामले को तीन सप्ताह बाद सूचीबद्ध किया है।
इस याचिका में कहा गया है कि बार काउंसिल आफ इंडिया द्वारा 2010 में बनाये गये इन नियमों से अधिवक्ता कानून का उल्लंघन होता है। याचिका में इन नियमों को मनमाना और गैरकानूनी बताते हुये कहा गया है कि बतौर अधिवक्ता पंजीकरण कराये जाने के बाद भी एक वकील को इस परीक्षा को उत्तीर्ण करने के लिये बाध्य किया जाता है।
याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत में इस मामले का फैसला होने तक बार काउंसिल आफ इंडिया द्वारा 24 जनवरी और 21 मार्च को आयोजित की जा रही परीक्षाओं पर अंतरिम रोक लगाने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया है।
वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता वी के बीजू ने पीठ से कहा कि बार काउंसिल आफ इंडिया बगैर किसी कानूनी प्रावधान के ही इस साल परीक्षा करा रही है।
इस तरह की परीक्षा की किसी अनिवार्यता के बारे में बीसीआई के अधिकार पर सवाल उठाते हुये याचिका में अनुरोध किया गया है कि याचिकाकता को पहले से ही बतौर अधिवक्ता पंजीकृत होने के आधार पर वकालत करने की अनुमति प्रदान की जाये।
याचिका में इस साल की परीक्षा के लिये बीसीआई की प्रेस विज्ञप्ति निरस्त करने का भी अनुरोध किया गया है।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।