स्वतंत्रता सेनानियों की तलाकशुदा बेटियों की पेंशन पर न्यायालय ने केंद्र सरकार से किया सवाल

By भाषा | Published: March 7, 2021 05:25 PM2021-03-07T17:25:25+5:302021-03-07T17:25:25+5:30

Court questions central government on the pension of divorced daughters of freedom fighters | स्वतंत्रता सेनानियों की तलाकशुदा बेटियों की पेंशन पर न्यायालय ने केंद्र सरकार से किया सवाल

स्वतंत्रता सेनानियों की तलाकशुदा बेटियों की पेंशन पर न्यायालय ने केंद्र सरकार से किया सवाल

नयी दिल्ली, सात मार्च उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछा है कि अगर स्वतंत्रता सेनानियों की अविवाहित या विधवा बेटियों के अलावा उनकी तलाकशुदा बेटियों को भी परिवार पेंशन दी जाती है तो कितना वित्तीय बोझ आएगा।

न्यायमूर्ति यू. यू. ललित और न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ की पीठ ने यह सवाल तब किया जब केंद्र ने इससे कहा कि अगर अदालत ने स्वतंत्रता सेनानियों की अविवाहित या विधवा बेटियों के अलावा तलाकशुदा बेटियों को भी परिवार पेंशन देने की अनुमति दी तो इस पर वित्तीय बोझ पड़ेगा और नए विवाद शुरू हो जाएंगे।

पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘कितना वित्तीय बोझ पड़ेगा? तलाकशुदा बेटियों का मामला बहुत कम है और इस प्रकार न्यूनतम बोझ आएगा। देश में तलाकशुदा बेटियों की संख्या बहुत ही कम है।’’

शीर्ष अदालत इस मसले पर सुनवाई कर रही थी कि क्या तलाकशुदा बेटियां उसी तरह अपने स्वतंत्रता सेनानी पिता के परिवार पेंशन की हकदार हैं जिस तरह से अविवाहित या विधवा बेटियां होती हैं। इस मामले में दो अलग-अलग उच्च न्यायालयों ने अलग-अलग विचार व्यक्त किए हैं।

हिमाचल प्रदेश की निवासी तुलसी देवी (57) ने यह मामला शीर्ष अदालत के संज्ञान में लाया है जिन्होंने पिछले वर्ष उच्च न्यायालय के एक फैसले को चुनौती दी जिसने इस आधार पर उन्हें स्वतंत्रता सेनानी परिवार पेंशन देने की याचिका खारिज कर दी कि नियमों में ऐसा प्रावधान नहीं है।

सुनवाई के दौरान देवी की तरफ से पेश हुए वकील दुष्यंत पाराशर ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी की तलाकशुदा बेटी को विधवा या अविवाहित बेटी की तरह माना जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल के पिता ने देश के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया और आय का स्रोत नहीं होने के कारण वह सुगम जीवन नहीं व्यतीत कर पा रही हैं।

केंद्र की तरफ से पेश हुईं अतिरिक्त सोलीसीटर जनरल माधवी दीवान ने कहा कि अगर परिवार पेंशन की अनुमति दी जाती है तो इससे वित्तीय बोझ बढ़ेगा और नए विवाद शुरू हो जाएंगे।

उन्होंने इस मुद्दे पर और दस्तावेज पेश करने के लिए समय मांगा।

शीर्ष अदालत ने दोनों पक्षों को अतिरिक्त दस्तावेज पेश करने की छूट दे दी और मामले का अंतिम निस्तारण उपयुक्त पीठ के समक्ष अप्रैल के दूसरे हफ्ते में करने के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Court questions central government on the pension of divorced daughters of freedom fighters

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे