अयोध्या के बाद कृष्ण जन्मभूमि का मामला पहुंचा कोर्ट, शाही ईदगाह मस्जिद हटाने की मांग

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 26, 2020 03:31 PM2020-09-26T15:31:40+5:302020-09-26T15:47:01+5:30

श्रीकृष्ण विराजमान ने भी मथुरा की अदालत में एक सिविल मुकदमा दायर किया है। इसमें 13.37 एकड़ की का स्वामित्व मांगा है और शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की गई है।

Court of Krishna Janmabhoomi reached after Ayodhya, demand for removal of Shahi Idgah Mosque | अयोध्या के बाद कृष्ण जन्मभूमि का मामला पहुंचा कोर्ट, शाही ईदगाह मस्जिद हटाने की मांग

श्रीकृष्ण विराजमान ने भी मथुरा की अदालत में एक सिविल मुकदमा दायर किया है।

Highlightsश्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण विरामजमान के नाम से दीवानी का केस दर्ज किया गया है। काशी और मथुरा में मंदिरों को कथित तौर पर तोड़ कर बनाई गई मस्जिद और मकबरे को मुक्त कराने का सोमवार को निर्णय किया।

मथुराः भगवान राम की नगरी अयोध्या में श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण कार्य प्रारंभ होने के बीच अब भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण विरामजमान के नाम से दीवानी का केस दर्ज किया गया है। 

शुक्रवार को मथुरा की एक अदालत में मुकदमा दायर किया गया, जिसमें कहा गया है कि शाही ईदगाह मस्जिद को मंदिर शहर और कृष्ण जन्मभूमि की पूरी 13.37 एकड़ जमीन के मालिकाना छोड़ देनी चाहिए।साधु संतों के संगठन अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने काशी और मथुरा में मंदिरों को कथित तौर पर तोड़ कर बनाई गई मस्जिद और मकबरे को मुक्त कराने का सोमवार को निर्णय किया।

श्रीकृष्ण विराजमान ने भी मथुरा की अदालत में एक सिविल मुकदमा दायर किया है। इसमें 13.37 एकड़ की का स्वामित्व मांगा है और शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की गई है। ये विवाद भगवान श्रीकृष्ण विराजमान, कटरा केशव देव खेवट, मौजा मथुरा बाजार शहर' के रूप में जो अगले दोस्त रंजना अग्निहोत्री और छह अन्य भक्तों ने दाखिल किया है। लखनऊ के एक वकील अग्निहोत्री ने सुप्रीम कोर्ट सहित विभिन्न अदालतों में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद शीर्षक मुकदमे में हिंदू महासभा का प्रतिनिधित्व किया था।

अधिनियम, 1991 के बावजूद, नागरिक मुकदमा मथुरा अदालत में दायर किया गया था

पूजा के स्थान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के बावजूद, नागरिक मुकदमा मथुरा अदालत में दायर किया गया था। यह अधिनियम 1947 में मौजूद धार्मिक स्थल की यथास्थिति को बदलने वाले मनोरंजक मुकदमों से अदालतों को रोक देता है। हालांकि, इस अधिनियम ने विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि के स्वामित्व पर मुकदमे में छूट दी थी। 

विदित हो कि नवंबर 2019 में जब सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए अपना फैसला सुनाया था, तो उनमें से एक पक्ष श्री राम लल्ला विराजमान थे, जिन्होंने 1989 में अयोध्या में एक सिविल मुकदमा दायर किया था। 

हालांकि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 इस मामले के आड़े आ रहा है जिसमें विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मुकदमेबाजी को लेकर मालकिना हक पर मुकदमे में छूट दी गई थी, लेकिन मथुरा काशी समेत सभी विवादों पर मुकदमेबाजी से रोक दिया था। इस एक्ट में कहा गया है कि 15 अगस्त, 1947 को जो धार्मिक स्थल जिस संप्रदाय का था वो आज, और भविष्य में भी उसी का रहेगा।

मथुरा की कोर्ट में 13.37 एकड़ भूमि को लेकर सिविल मुकदमा दायर किया

श्रीकृष्ण विराजमान ने भी मथुरा की कोर्ट में 13.37 एकड़ भूमि को लेकर सिविल मुकदमा दायर किया। इसके साथ ही बगल से शाही ईदगाह मस्जिद हटाने की मांग की गई है। यह केस मथुरा की अदालत में दायर किया गया है। इस केस में श्रीकृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ जमीन का मालिकाना हक देने और वहां से इदगाह मस्जिद को हटाने की अपील की गई है। यह वाद भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की सखा रंजना अग्निहोत्री एवं छह अन्य लोगों ने दायर किया है।

मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में बनी शाही ईदगाह मस्जिद को जमीन देने को गलत बताते हुए सिविल जज सीनियर डिवीजन छाया शर्मा की कोर्ट में दावा पेश किया गया है। श्रीकृष्ण विराजमान, अस्थान श्रीकृष्ण जन्मभूमि, उनकी सखा लखनऊ निवासी रंजना अग्निहोत्री व त्रिपुरारी त्रिपाठी, दिल्ली निवासी कृष्ण भक्त प्रवेश कुमार, करुणेश कुमार शुक्ला व शिवा जी सिंह, सिद्धार्थ नगर निवासी कृष्ण भक्त राजमणि त्रिपाठी की ओर से पेश किए दावे में कहा गया है कि 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही ईदगाह मस्जिद के बीच जमीन को लेकर समझौता हुआ था।

इसमें तय हुआ था कि मस्जिद जितनी जमीन में बनी है, बनी रहेगी। वादी के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि जिस जमीन पर मस्जिद बनी है, वह श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट के नाम पर है। ऐसे में सेवा संघ द्वारा किया गया समझौता गलत है। उन्होंने मस्जिद को हटाने की मांग की है।

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