ट्विटर इंडिया के पूर्व प्रबंध निदेशक की बढ़ सकती है मुसीबत, यूपी सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने भेजा नोटिस

By भाषा | Published: October 22, 2021 02:20 PM2021-10-22T14:20:12+5:302021-10-22T14:36:50+5:30

गाजियाबाद में बुजुर्ग व्यक्ति अब्दुल शमद सैफी की पिटाई से संबंधित वीडियो के अपलोड किए जाने और उसे सांप्रदायिक रूप दिए जाने के मामले में ये नोटिस मनीष माहेश्वरी को जारी किया गया है।

Court notice to former Managing Director of Twitter on UP's petition | ट्विटर इंडिया के पूर्व प्रबंध निदेशक की बढ़ सकती है मुसीबत, यूपी सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने भेजा नोटिस

ट्विटर के पूर्व प्रबंध निदेशक मनीष माहेश्वरी (फाइल फोटो)

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका पर ट्विटर के पूर्व प्रबंध निदेशक मनीष माहेश्वरी को शुक्रवार को नोटिस जारी किया। इस याचिका में सोशल मीडिया मंच पर उपयोगकर्ता द्वारा साझा की गई कथित सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील वीडियो की जांच के सिलसिले में माहेश्वरी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने की नोटिस रद्द करने के कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गयी है।

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों पर गौर करने के बाद माहेश्वरी को नोटिस जारी किया। ट्विटर ने अगस्त में माहेश्वरी को अमेरिका स्थानांतरित कर दिया था।

पीठ ने कहा, ‘‘ हमने नोटिस जारी कर दिया। हमे मामले पर सुनवाई करने की जरूरत है।’’ इससे पहले, राज्य सरकार ने आठ सितंबर को याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था। याचिका गाजियाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के माध्यम से दायर कराई गई है।

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने पहले दी थी मनीष माहेश्वरी को राहत

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा ट्विटर के प्रबंध निदेशक माहेश्वरी को भेजा गया नोटिस 23 जुलाई को रद्द कर दिया था।

उच्च न्यायालय ने अपराध प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 41 (ए) के तहत जारी नोटिस को ‘‘दुर्भावनापूर्ण’’ करार देते हुए कहा था कि इस पर सीआरपीसी की धारा 160 के तहत गौर किया जाना चाहिए, जिससे गाजियाबाद पुलिस को उनके कार्यालय या बेंगलुरु में उनके आवासीय पते पर ऑनलाइन माध्यम से माहेश्वरी से सवाल पूछने की अनुमति मिली।

सीआरपीसी की धारा 41 (ए) पुलिस को किसी आरोपी को शिकायत दर्ज होने पर उसके सामने पेश होने के लिए नोटिस जारी करने की शक्ति देता है और यदि आरोपी नोटिस का अनुपालन करता है और सहयोग करता है, तो उसे गिरफ्तार करने की आवश्यकता नहीं होगी।

अदालत ने इस बात पर जोर दिया था कि सीआरपीसी की धारा 41 (ए) के तहत क़ानून के प्रावधानों को "उत्पीड़न के हथियार" बनने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और इस मामले में गाजियाबाद पुलिस ने ऐसी कोई सामग्री पेश नहीं की है जो याचिकाकर्ता की प्रथम दृष्टया संलिप्तता को प्रदर्शित करे जबकि पिछले कई दिनों से सुनवाई चल रही है।

बुजुर्ग व्यक्ति अब्दुल शमद सैफी की पिटाई से जुड़ा मामला

गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) पुलिस ने 21 जून को सीआरपीसी की धारा 41-ए के तहत नोटिस जारी कर माहेश्वरी को 24 जून को सुबह साढ़े 10 बजे लोनी बॉर्डर थाने में पेश होने को कहा था, जिसके खिलाफ माहेश्वरी ने कर्नाटक उच्च न्यायालय का रुख किया था। उस समय वह कर्नाटक के बेंगलुरु शहर में ही रह रहे थे।

गौरतलब है कि गाजियाबाद पुलिस ने 15 जून को ट्विटर इंक, ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (ट्विटर इंडिया), समाचार वेबसाइट द वायर, पत्रकार मोहम्मद जुबैर और राणा अय्यूब के अलावा कांग्रेस नेताओं- सलमान निजामी, मस्कूर उस्मानी, शमा मोहम्मद और लेखिका सबा नकवी के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

उन पर एक वीडियो को प्रसारित करने का मामला दर्ज किया गया था, जिसमें एक बुजुर्ग व्यक्ति अब्दुल शमद सैफी ने पांच जून को आरोप लगाया था कि उन्हें कुछ युवकों ने पीटा था और ‘‘जय श्री राम’’ का नारा लगाने के लिए कहा था।पुलिस के मुताबिक, वीडियो को सांप्रदायिक अशांति फैलाने के मकसद से साझा किया गया था।

Web Title: Court notice to former Managing Director of Twitter on UP's petition

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