दूसरे धर्म या जाति में विवाह करने वालों को नहीं है डरने की जरूरत, कोर्ट ने सुरक्षा को लेकर सरकार से पूछा ये सवाल
By भाषा | Published: September 20, 2019 06:10 AM2019-09-20T06:10:39+5:302019-09-20T06:10:39+5:30
जिलाधिकारी या संबंधित पुलिस अधीक्षक उन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करेंगे जो ऐसे लोगों के मन में भय पैदा करने की कोशिश करते हैं। साथ ही प्रत्येक जिले में एक विशेष प्रकोष्ठ का गठन किया गया है जहां व्यक्ति इस संबंध में सुरक्षा की मांग कर सकता है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार से कहा है कि वह 31 अगस्त, 2019 को जारी सरकारी आदेश के मुताबिक दूसरे धर्म या जाति में विवाह करने वालों की सुरक्षा के लिए पुलिस द्वारा उठाए गए कदमों से अदालत को अवगत कराए।
सरोज और अन्य लोगों द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा ने अमरोहा के पुलिस अधीक्षक को यह देखने का निर्देश दिया कि क्या सरकारी आदेश के मुताबिक याचिकाकर्ताओं को जरूरी सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है।
मामले की अगली सुनवाई की तारीख 30 सितंबर, 2019 तय करते हुए अदालत ने राज्य सरकार के वकील को यह जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया कि याचिकाकर्ताओं को सुरक्षा देने के लिए पुलिस द्वारा क्या कदम उठाए जा रहे हैं। अंतरजातीय विवाह करने वाले कुछ लोगों की ओर से दायर इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि पुलिस उनकी मदद करने के बजाय वास्तव में उनके परिजनों का उत्पीड़न कर रही है।
हालांकि राज्य सरकार के वकील ने अदालत को आश्वासन दिया कि सरकारी आदेश के मुताबिक याचिकाकर्ताओं को पुलिस द्वारा आवश्यक सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी। 31 अगस्त, 2019 को जारी सरकारी आदेश के मुताबिक, अंतरजातीय या दूसरे धर्म में विवाह करने वाले लोगों को पुलिस सुरक्षा दी जाएगी।
इसके अलावा, जिलाधिकारी या संबंधित पुलिस अधीक्षक उन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करेंगे जो ऐसे लोगों के मन में भय पैदा करने की कोशिश करते हैं। साथ ही प्रत्येक जिले में एक विशेष प्रकोष्ठ का गठन किया गया है जहां व्यक्ति इस संबंध में सुरक्षा की मांग कर सकता है।