भारत में कोरोना वैक्सीन से नहीं हुई किसी की भी मौत, तीन दिन में 3.81 लाख लोगों को लगा टीका
By नितिन अग्रवाल | Published: January 19, 2021 07:35 AM2021-01-19T07:35:53+5:302021-01-19T07:51:10+5:30
भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ जारी टीकाकरण से किसी की भी मौत की सूचना नहीं है। सरकार की ओर से ये बात कही है। कुछ लोगों में मामूली रिएक्शन की बात जरूर सामने आई है। हालांकि, सरकार के अनुसार इससे घबराने की कोई बात नहीं है।
नई दिल्ली: दुनिया के सबसे बड़े कोरोना वैक्सीनेशन कार्यक्रम के तहत तीन दिन में देश में 3.81 लाख से ज्यादा लोगों को वैक्सीन दे दी गई. हालांकि कोरोना वैक्सीन के दुष्प्रभावों की आशंकाएं शांत होने का नाम नहीं ले रही हैं.
देश के सबसे बड़े अस्पताल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने इन आशंकाओं को सिरे से खारिज किया और सरकार ने वैक्सीन से होने वाली मौत की खबरों को गलत बताया.
'मामूली साइड इफैक्ट से डरने की जरूरत नहीं'
एम्स निदेशक गुलेरिया के अनुसार वैक्सीन के मामूली साइड इफेक्ट जरूर हो सकते हैं, लेकिन इनसे डरने की जरूरत नहीं है.
वैक्सीन के दुष्प्रभावों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी दवाई का कुछ एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है. ऐसा क्रोसिन, पैरासिटामोल जैसी आम दवाओं से भी हो सकता है लेकिन ऐसे में परेशान होने की जरूरत नहीं है.
उन्होंने स्पष्ट किया कि वैक्सीन का ऐसा कोई दुष्प्रभाव नहीं होगा जिसके परिणामस्वरूप मौत हो जाए. गुलेरिया ने कहा कि इससे शरीर में हल्का दर्द, टीका वाले स्थान पर दर्द या हल्की सूजन और हल्का बुखार हो सकता है. दस प्रतिशत से भी कम लोगों में गंभीर समस्याओं के रूप में शरीर पर चकत्ते निकल सकते हैं.
तीन दिन में 3.81 लाख को लगा कोरोना का टीका
टीकाकरण के तीसरे दिन शाम पांच बजे तक 3.81 लाख से अधिक स्वास्थ्यकर्मियों को कोरना वैक्सीन दे दी गई. सोमवार को कुल 1,48,266 लोगों को टीका लगा, जिसमें से सबसे अधिक 36,888 लोगों को कर्नाटक और 22,579 को ओडिशा में टीका लगाया गया. दिल्ली में टीका लगवाने वालों की संख्या 3111 थी.
580 को साइडइफैक्ट, 7 लोगों की हो रही निगरानी
स्वास्थ्य मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार तीन दिनों में टीका लगवाने के बाद कुल 580 लोगों को गंभीर परेशानियां हुईं, लेकिन ज्यादातर को कुछ घंटों के बाद छुट्टी दे दी गई.
कुल सात लोगों को अस्तपाल में भर्ती करना पड़ा. इनमें से दिल्ली, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ में एक-एक और कर्नाटक में दो लोगों को चिकित्सकीय देखरेख में रखा गया है.