कोरोना वायरसः किराएदार-मकान मालिक मुद्दे पर केन्द्र सरकार की चुप्पी देश को बहुत भारी पड़ेगी?
By प्रदीप द्विवेदी | Published: May 9, 2020 03:20 PM2020-05-09T15:20:46+5:302020-05-09T15:20:46+5:30
सबसे बड़ा मुद्दा किराएदार और मकान मालिक का है. कुछ दिनों से इन दोनों पक्षों में विवाद की खबरें आ रही हैं. आगे स्थिति और गंभीर होने की आशंका है, इसलिए इस संबंध में तुरंत कानूनी निर्णय लिया जाना चाहिए.
कोरोना संकट के कारण सारी व्यवस्थाएं अस्तव्यस्त हो गई हैं, लेकिन जब भी स्थिति सामान्य होने लगेगी, कुछ मुद्दे इससे भी बड़ा संकट पैदा कर देंगे. यदि समय रहते इन पर केन्द्र सरकार ने प्रायोगिक और व्यवहारिक निर्णय नहीं लिए तो देश को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी.
सबसे बड़ा मुद्दा किराएदार और मकान मालिक का है. कुछ दिनों से इन दोनों पक्षों में विवाद की खबरें आ रही हैं. आगे स्थिति और गंभीर होने की आशंका है, इसलिए इस संबंध में तुरंत कानूनी निर्णय लिया जाना चाहिए.
इस वक्त दोनों के पक्ष साफ हैं- एक- किराएदार की समस्या यह है कि उसकी इनकम बंद है, वह कहां से किराया देगा? जब कामकाज सामान्य होगा तब भी उसकी इंकम अचानक तो बढ़ नहीं जाएगी, ऐसी स्थिति में वह पुराना बकाया और नया किराया कहां से देगा? दुकानदारों की स्थिति तो और भी खराब है. दुकानों का किराया बहुत ज्यादा है और लाॅकडाउन में भी बिजली के बिल जैसे खर्चे जारी हैं. होल सेलर बगैर पैसे माल देंगे नहीं तथा जिनका उधार बाकी है, वे उधार चुकाएंगे नहीं, दुकानदार किराया कहां से निकालेंगे और घर कैसे चलाएंगे?
दो- मकान, दुकान मालिक यदि किराया नहीं लेंगे, तो वे अपना घर कैसे चलाएंगे? खासकर सीनियर सिटीजन, जिनकी जिंदगी केवल भाड़े की आय पर निर्भर है, उनका क्या होगा?
जाहिर है, इस संबंध में केन्द्र सरकार को अविलंब कानून बनाने की जरूरत है, केवल निर्देश देने या अपील करने से काम नहीं चलेगा.
इस कोरोना संकटकाल में किराएदार और मकान मालिक, दोनों की मानवीय जिम्मेदारी है, लिहाजा अगले दो वर्षों के लिए किराया आधा कर देना चाहिए, जिसका सामान्य स्थिति होने के एक माह बाद से किराएदार भूगतान प्रारंभ करे या फिर मकान, दुकान खाली कर दे. बैंकों को किराएदारों को सरकार की गारंटी पर किराए के सापेक्ष पर्सनल लोन देने के निर्देश दिए जाएं!