कोरोना का असर, दूसरे सबसे बड़े अखाड़े का कुंभ से हटने का फैसला, मेले के समापन की हो सकती है आज घोषणा
By विनीत कुमार | Published: April 16, 2021 08:24 AM2021-04-16T08:24:08+5:302021-04-16T08:27:47+5:30
कोरोना संक्रमण का असर कुंभ मेले पर नजर आ रहा है। पिछले 5 दिनों में ही करीब 1700 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। वहीं निर्वाणी अखाड़ा के महामंडलेश्वर कपिल देव दास की महामारी से मौत हो गई।
निर्वाणी अखाड़ा, चित्रकूट के महामंडलेश्वर कपिल देव दास की गुरुवार को कोरोना से हुई मौत के बाद अब निरंजनी अखाड़े ने बड़ा फैसला लिया है। हरिद्वार कुंभ में शामिल संतों के 13 अखाड़ों में से एक निरंजनी अखाड़े ने कोविड-19 के बढ़ते मामलों और राज्य में खराब होती स्थिति के मद्देनजर आयोजन से हटने का फैसला किया है।
इस संबंध में घोषणा गुरुवार को की गई। निरंजनी अखाड़ा के सचिव रवींद्र पुरी ने बताया, ‘मुख्य शाही स्नान 14 अप्रैल को मेष संक्राति के साथ संपन्न हो गया। हमारे अखाड़ा में कई लोगों में कोविड-19 के लक्षण सामने आ रहे हैं। ऐसे में हमारे लिए कुंभ मेला संपन्न हो गया।’
बता दें कि महाकुंभ से अब तक 20 से अधिक संत और 5 दिन के अंदर 1700 लोगों की कोविड जांच की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी भी कोविड-19 संक्रमित हैं। उनका एम्स ऋषिकेश में उपचार चल रहा है।
बहरहाल, निरंजनी अखाड़ा के सचिव रवींद्र पुरी ने हरिद्वार महाकुंभ में आए अखाड़े के सभी संत-महात्माओं से अपने-अपने छत्र कमंडल लेकर मूल स्थान की ओर प्रस्थान करने का अनुरोध किया है।
श्रीमहंत रवींद्र पुरी ने कहा है कि 27 अप्रैल चैत्र पूर्णिमा का स्नान सभी संत प्रतीकात्मक रूप से करेंगे। इस दिन तक संतों की भीड़ नहीं रहेगी, सिर्फ प्रमुख संत अकेले कुंभ स्नान करेंगे. अब कोई शाही जुलूस नहीं निकलेगा और ना ही शाही स्नान होगा।
आनंद अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी ने भी अपने अखाड़े के कुंभ की समाप्ति की घोषणा की उन्होंने कहा कि चैत्र पूर्णिमा का स्नान अखाड़े के स्थानीय संत प्रतीकात्मक रूप में करेंगे।
कुंभ मेले पर अखाड़ा परिषद की आज बैठक
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्री महंत हरिगिरि ने कहा कि जिन आखाड़ों ने अपने-अपने कुंभ की समाप्ति की घोषणा की है। वह उसका स्वागत करते हैं। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि यह आखाड़ा परिषद का निर्णय नहीं है।
वहीं, अखाड़ा परिषद की इस मुद्दे पर आज बैठक होने वाली है। सूत्रों का कहना है कि बैठक के बाद कुंभ के समापन की घोषणा की जा सकती है। आनंद और महानिर्वाणी अखाड़ों के साथ वैष्णव अखाड़े ने भी निरंजन अखाड़े के फैसले से सहमति जताई है। शैव पंथ के सबसे पुराने अखाड़े की बैठक महामंडलेश्वर अवधेशानंद की मौजूदगी में कल होगी।
गौरतलब है कि कोविड-19 की वजह से हरिद्वार कुंभ की अवधि घटाकर मात्र एक महीने रखी गई थी जबकि सामान्य परिस्थितियों में हर 12 साल में लगने वाले वाला कुंभ मेला मध्य जनवरी से अप्रैल तक चलता है।
(पीटीआई इनपुट के साथ)