Rajasthan ki khabar: स्कूल खुलने की आशंका से अभिभावकों में बेचैनी बढ़ी, स्कूल संचालक भी उलझन में?
By प्रदीप द्विवेदी | Published: June 5, 2020 08:24 PM2020-06-05T20:24:54+5:302020-06-05T20:24:54+5:30
अभिभावकों का मानना है कि जब तक कोरोना को लेकर स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में नहीं आ जाती है, तब तक स्कूल शुरू नहीं किए जाने चाहिए, क्योंकि बच्चों, खासकर छोटे बच्चों को कोरोना वायरस अटैक से बचाना संभव नहीं है, इसलिए इन्हें खतरे में नहीं डाला जाना चाहिए.
जयपुरः राजस्थान में फिलहाल स्कूल बंद हैं, लेकिन जल्दी ही खुलने की आशंका के चलते अभिभावक बेचैन हैं और इन्होंने स्कूल शुरू करने का विरोध भी प्रारंभ कर दिया है.
अभिभावकों का मानना है कि जब तक कोरोना को लेकर स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में नहीं आ जाती है, तब तक स्कूल शुरू नहीं किए जाने चाहिए, क्योंकि बच्चों, खासकर छोटे बच्चों को कोरोना वायरस अटैक से बचाना संभव नहीं है, इसलिए इन्हें खतरे में नहीं डाला जाना चाहिए.
बच्चों को तो घर पर ही नियंत्रित करना आसान नहीं है, तो स्कूल में उनका ध्यान कौन रखेगा. स्कूल में बच्चों से लगातार मास्क का उपयोग, बार-बार हाथ धोने, फिजिकल डिस्टेंस मेंटेन करने सहित विभिन्न सुरक्षा नियमों का पालन कराना बेहद मुश्किल है.
यही नहीं, बच्चों के लिए दो तरफा खतरा भी है, बच्चा स्कूल में संक्रमित हो सकता है और कोरोना वायरस अपने घर तक पहुंचा सकता है, तो घर का संक्रमण वह स्कूल तक भी ले जा सकता है. वयस्क व्यक्ति का तो व्यवस्थित तरीके से इलाज भी संभव है, लेकिन बच्चों का तो इलाज भी आसान नहीं है.
उधर, स्कूल संचालक, स्कूल कब खुलेंगे, को लेकर परेशान हैं. यदि स्कूल नहीं खुलते हैं तो नियमित खर्चों के मद्देनजर स्कूल का अर्थचक्र ही गड़बड़ा जाएगा, विशेषतौर पर स्कूल फीस पर तो प्रश्नचिन्ह लग जाएगा. हालांकि, कई स्कूल ने आॅन लाईन शिक्षण कार्य जारी रखा है, परन्तु न तो इसे लेकर शिक्षक अभ्यस्त हैं और न ही छात्र ठीक से समझ पा रहे हैं.
ऑनलाइन एजुकेशन का एक बड़ा खतरा यह भी है कि ऐसी स्थिति में स्थानीय स्कूल में ही एडमिशन लेना छात्र की बाध्यता नहीं रहेगी, वह देश के किसी भी विद्यालय, विश्वविद्यालय से जुड़ सकता है. बहरहाल, जहां अभिभावक स्कूल खोलने के खिलाफ माहौल तैयार करने में जुटे हैं, वहीं स्कूल आॅन लाईन एजूकेशन के मद्देनजर अपने स्कूल को अपग्रेड करने की कवायद में लगे हैं!