Coronavirus lockdown in India:मां के अंतिम संस्कार में शामिल न होकर जरूरतमंदों को खाना पहुंचाने में लगा रहा ट्रैवेल एजेंट मालिक

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 6, 2020 09:52 PM2020-04-06T21:52:55+5:302020-04-06T21:52:55+5:30

मां का हाल में निधन हो गया और वह मां को आखिरी बार भी देख नहीं सके। चालीस साल के कारोबारी ने रविवार को बताया, “मैंने सोचा था कि मैं लॉकडाउन (बंद) खत्म होने के बाद उनसे मिलूंगा, लेकिन हर चीज वैसी नहीं होती है जैसा हम सोचते हैं।”

Coronavirus lockdown India Travel agent owner engaged delivering food needy instead attending mother's funeral | Coronavirus lockdown in India:मां के अंतिम संस्कार में शामिल न होकर जरूरतमंदों को खाना पहुंचाने में लगा रहा ट्रैवेल एजेंट मालिक

रहमान का कहना था, मेरी जरूरत दिल्ली में है। मुझे यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि किसी की भी मां भूख से नहीं मरे।”

Highlightsरहमान कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू 21 दिन के बंद के दौरान मजदूरों को खाना खिलाने के लिए आश्रम चौक जाने की तैयारी कर रहे थे। राष्ट्रीय राजधानी में ट्रैवल एजेंसी चलाने वाले रहमान की मां का शुक्रवार सुबह इंतकाल (देहांत) हो गया।

नई दिल्लीः शकील-उर-रहमान ने अपनी मां को आखिरी बार दिसंबर में तब देखा था जब वह बिहार के समस्तीपुर से यहां इलाज के लिए आईं थी, लेकिन यह उनकी आखिरी मुलाकात साबित हुई।

उनकी मां का हाल में निधन हो गया और वह मां को आखिरी बार भी देख नहीं सके। चालीस साल के कारोबारी ने रविवार को बताया, “मैंने सोचा था कि मैं लॉकडाउन (बंद) खत्म होने के बाद उनसे मिलूंगा, लेकिन हर चीज वैसी नहीं होती है जैसा हम सोचते हैं।”

रहमान कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू 21 दिन के बंद के दौरान मजदूरों को खाना खिलाने के लिए आश्रम चौक जाने की तैयारी कर रहे थे। राष्ट्रीय राजधानी में ट्रैवल एजेंसी चलाने वाले रहमान की मां का शुक्रवार सुबह इंतकाल (देहांत) हो गया। उनके दोस्तों ने उनसे बिहार जाकर अपनी मां को आखिरी बार देखने को कहा। मगर रहमान का कहना था, मेरी जरूरत दिल्ली में है। मुझे यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि किसी की भी मां भूख से नहीं मरे।”

रहमान के दोस्त मुस्लिम मोहम्मद ने कहा, हम (दोस्त) उन्हें उनके परिवार से मिलने के लिए जाने देने के लिए प्रशासन से गुजारिश कर सकते थे, लेकिन रहमान ने इससे इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि अगर वह मुसीबत में फंसे जरूरतमंद लोगों की मद्द कर सके, तो यही उनकी मां को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। रहमान ने कहा, “उनकी तबीयत कुछ समय से ठीक नहीं थी। हां मैं उनसे मिलना चाहता था, उन्हें आखिरी बार देखना चाहता था, लेकिन सारी इच्छाएं पूरी नहीं होती हैं।”

उनकी मां नौशिबा खातून की तदफीन (दफन) उनके रिश्तेदारों ने कर दी। वहीं रहमान पूरी दिल्ली में जरूरतमंदों, बेघरों और प्रवासी कामगारों को खाने के पैकेट बांट रहे हैं। मोहम्मद ने बताया कि परिवार के एक सदस्य ने शुक्रवार सुबह सात बजे फोन कर के बताया कि उनकी मां का इंतकाल हो गया। इसके कुछ घंटे बाद वह बेघर लोगों को खाना पहुंचाने निकल गए। रहमान और उनके दोस्त अबतक राष्ट्रीय राजधानी के अलग-अलग हिस्सों में करीब 800 परिवारों की मदद कर चुके हैं। 

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