कोरोना वायरस: दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा संकट, भारत में 40 करोड़ मजदूर गरीबी में फंस सकते हैं

By भाषा | Published: April 8, 2020 12:17 PM2020-04-08T12:17:50+5:302020-04-08T12:17:50+5:30

दिसंबर 2019 से पूरी दुनिया कोरोना वायरस संकट से जूझ रही है. दुनिया के 200 से ज्यादा देशों में फैल चुके कोविड-19 के चलते कई देशों में लॉकडाउन है. भारत में भी 25 मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन लागू है. इसके चलते श्रमिकों पर बुरा असर पड़ा है. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, लॉकडाउन के चलते भारतीय मजदूर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और उन्हें अपने गांवों की ओर लौटने को मजबूर होना पड़ा है.

Coronavirus lockdown cricis 40 crore Indian workers may sink into poverty due to COVID-19 | कोरोना वायरस: दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा संकट, भारत में 40 करोड़ मजदूर गरीबी में फंस सकते हैं

एएनआई फोटो

Highlightsकोरोना वायरस संकट का बुरा असर विकासशील देशों के अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा, सबसे अधिक रोजगार में कटौती अरब देशों में होगीदुनिया भऱ में 200 करोड़ लोग अनौपचारिक क्षेत्र में काम करते हैं, लाखों लोग अब तक कोरोना वायरस के चलते प्रभावित हुए हैं

संयुक्त राष्ट्र के श्रम निकाय ने चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस संकट के कारण भारत में अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले लगभग 40 करोड़ लोग गरीबी में फंस सकते हैं। अनुमान है कि इस साल दुनिया भर में 19.5 करोड़ लोगों की पूर्णकालिक नौकरी छूट सकती है।

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने अपनी रिपोर्ट ‘आईएलओ निगरानी- दूसरा संस्करण : कोविड-19 और वैश्विक कामकाज’ में कोरोना वायरस संकट को दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे भयानक संकट बताया है। आईएलओ के महानिदेशक गाय राइडर ने मंगलवार को कहा, ‘‘विकसित और विकासशील दोनों अर्थव्यवस्थाओं में श्रमिकों और व्यवसायों को तबाही का सामना करना पड़ रहा है। हमें तेजी से, निर्णायक रूप से और एक साथ कदम उठाने होंगे।’’

रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में दो अरब लोग अनौपचारिक क्षेत्र में काम करते हैं। इनमें से ज्यादातर उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में हैं और ये विशेष रूप से संकट में हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 संकट से पहले ही अनौपचारिक क्षेत्र के लाखों श्रमिकों प्रभावित हो चुके हैं।

40 करोड़ मजदूरों पर संकट

आईएलओ ने कहा, ‘‘भारत, नाइजीरिया और ब्राजील में लॉकडाउन और अन्य नियंत्रण उपायों से बड़ी संख्या में अनौपचारिक अर्थव्यवस्था के श्रमिक प्रभावित हुए हैं।’’ रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘भारत में अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में काम करने वालों की हिस्सेदारी लगभग 90 प्रतिशत है, इसमें से करीब 40 करोड़ श्रमिकों के सामने गरीबी में फंसने का संकट है।’’ इसके मुताबिक भारत में लागू किए गए देशव्यापी बंद से ये श्रमिक बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और उन्हें अपने गांवों की ओर लौटने को मजबूर होना पड़ा है।

राइडर ने कहा, ‘‘यह पिछले 75 वर्षों के दौरान अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए सबसे बड़ी परीक्षा है। यदि कोई एक देश विफल होगा, तो हम सभी विफल हो जाएंगे। हमें ऐसे समाधान खोजने होंगे जो हमारे वैश्विक समाज के सभी वर्गों की मदद करें, विशेष रूप से उनकी, जो सबसे कमजोर हैं या अपनी मदद करने में सबसे कम सक्षम हैं।’’ रिपोर्ट के मुताबिक रोजगार में सबसे अधिक कटौती अरब देशों में होगी, जिसके बाद यूरोप और एशिया-प्रशांत का स्थान होगा। 

Web Title: Coronavirus lockdown cricis 40 crore Indian workers may sink into poverty due to COVID-19

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