बिहार में कोविड, मरीजों की संख्‍या 90553, सबसे अधिक चपेट में युवा वर्ग, पटना में अलर्ट, 529 केस

By एस पी सिन्हा | Published: August 12, 2020 06:38 PM2020-08-12T18:38:01+5:302020-08-12T18:38:20+5:30

राज्‍य में अभी तक मिले मरीजों की संख्‍या 90553 हो चुकी है. जबकि मौत का आंकड़ा 474 तक पहुंच चुका है. राजधानी पटना 529 नये मामलों के साथ टॉप पर बना हुआ है. पटना देश के सर्वाधिक कोरोना प्रभावित जिलों में शामिल हो चुका है.

Coronavirus lockdown covid Bihar number patients 90553 youth group most vulnerable alert in Patna 529 cases | बिहार में कोविड, मरीजों की संख्‍या 90553, सबसे अधिक चपेट में युवा वर्ग, पटना में अलर्ट, 529 केस

रैपिड एंटीजन किट से लगातार जांच में तेजी लाई जा रही है और डिमांड आधारित जांच चल रही है.

Highlightsरोज 83 हजार से ज्यादा जांच होने लगी है और जल्‍दी ही इसे बढ़ाकर एक लाख से ज्यादा कर दिया जाएगा. संभावना जताई जा रही है कि अगले सप्ताह से रोज एक लाख जांच शुरू हो जाएगी. वैसे रोज 83 हजार से ज्यादा जांच के बाद भी प्रदेश दूसरे कई राज्यों से पीछे है. बिहार में 9855 लोगों की जांच प्रति 10 लाख लोगों पर संभव हो पाई है. जबकि, बंगाल में 11683, उत्तर प्रदेश में 14266 लोगों की जांच प्रति 10 लाख लोगों पर हो रही है.

पटनाः बिहार में कोरोना से लगातार हालात विस्‍फोटक हो रहे हैं. सरकार की लाख कोशिशों के बीच भी कोरोना थमने का नाम नहीं ले रहा है. कोरोना विस्‍फोट का ताजा हाल यह है कि आज यहां फिर 3741 नये मामले मिले हैं.

इसके साथ राज्‍य में अभी तक मिले मरीजों की संख्‍या 90553 हो चुकी है. जबकि मौत का आंकड़ा 474 तक पहुंच चुका है. राजधानी पटना 529 नये मामलों के साथ टॉप पर बना हुआ है. पटना देश के सर्वाधिक कोरोना प्रभावित जिलों में शामिल हो चुका है.

हालांकि, खास बात यह भी है कि राज्‍य में इन दिनों कोरोना की जांच लगतार बढ़ रही है. अब रोज 83 हजार से ज्यादा जांच होने लगी है और जल्‍दी ही इसे बढ़ाकर एक लाख से ज्यादा कर दिया जाएगा. कोरोना संक्रमण की जांच की बात करें तो बिहार में विगत 15 दिनों में जांच में तेजी आई है.

संभावना जताई जा रही है कि अगले सप्ताह से रोज एक लाख जांच शुरू हो जाएगी

संभावना जताई जा रही है कि अगले सप्ताह से रोज एक लाख जांच शुरू हो जाएगी. वैसे रोज 83 हजार से ज्यादा जांच के बाद भी प्रदेश दूसरे कई राज्यों से पीछे है. बिहार में 9855 लोगों की जांच प्रति 10 लाख लोगों पर संभव हो पाई है. जबकि, बंगाल में 11683, उत्तर प्रदेश में 14266 लोगों की जांच प्रति 10 लाख लोगों पर हो रही है.

स्वास्थ्य विभाग की मानें तो अगले सप्ताह तक बिहार को दो और कोबास मशीनें मिलने की संभावना है. इसके बाद रोज एक लाख से ज्यादा जांच संभव हो जाएगी. इधर रैपिड एंटीजन किट से लगातार जांच में तेजी लाई जा रही है और डिमांड आधारित जांच चल रही है.

इसबीच, यह भी बात सामने आ रही है कि राज्य में कोरोना संक्रमण के सबसे कम शिकार बच्चे और 60 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति हैं. इनमें भी अबतक बच्चे बुजुर्गों की तुलना में एक फीसदी कम संक्रमित हुए हैं. स्वास्थ्य विभाग के आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बिहार में 0-10 साल की आयु समूह में शामिल बच्चे राज्य के कुल संक्रमितों में मात्र चार फीसदी ही है. जबकि पांच फीसदी कोरोना संक्रमित मरीज 60 वर्ष से अधिक उम्र के है.

राज्य में 0 से 10 साल की उम्र वाले 3008 बच्चे कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं

विभाग के अनुसार राज्य में 0 से 10 साल की उम्र वाले 3008 बच्चे कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं. वहीं, 65 वर्ष से अधिक उम्र वाले 4736 बुजुर्ग कोरोना संक्रमण से संक्रमित हुए हैं. बताया जाता है कि राज्य में सबसे अधिक 21 से 30 साल के युवा कोरोना संक्रमित हुए हैं.

राज्य के कोरोना संक्रमित मरीजों में 28 फीसदी इसी आयु समूह के संक्रमित मरीज है. जबकि 24 फीसदी कोरोना संक्रमित मरीज 31 से 40 वर्ष के आयु समूह वाले व्यक्ति हैं. जबकि राज्य में 11 से 20 साल के किशोर और 51 से 60 साल के व्यक्ति समान रूप से कोरोना संक्रमित हुए हैं.

दोनों आयु समूह के 11-11 फीसदी संक्रमित मरीज की पहचान की गई है. सूत्रों के अनुसार राज्य में 24 फीसदी कोरोना संक्रमित मरीज की पहचान 31 से 40 साल के आयु समूह वाले वर्ग से की गई है. यह उच्च जोखिम वाले 21 से 30 साल के व्यक्तियों के समूह के बाद सबसे अधिक संक्रमण के शिकार हुए हैं.

बिहार ने 14.7 दिनों का दोहरीकरण रिकॉर्ड किया

जिस तरह से महामारी बिहार में फैल रही है, ये चिंता का समय है. बिहार ने 14.7 दिनों का दोहरीकरण रिकॉर्ड किया है, जबकि राष्ट्रीय औसत 23.6 दिन है. ऐसी बातें लगातार सामने आ रही हैं कि जो लोग परीक्षण में पॉजिटिव आए हैं, उन्हें अस्पताल में बेड खोजने के लिए संघर्ष करना पड़ा है. जिन आम लोगों में गंभीर लक्षण विकसित हुए हैं, वे मेडिकल सुविधा तक पहुंचने में असमर्थ हैं.

उन्हें समय पर वेंटिलेटर नहीं प्राप्त हो पाया या प्लाज्मा दान नहीं प्राप्त कर पाए. इसके साथ सबसे बडी चुनौती यह भी आ रही है कि लोग भी कोरोना से सुरक्षा के नियम का गंभीरता से पालन नहीं कर रहे. एक और बडी बात यह है कि स्वयं स्वास्थ्य कर्मी भी संक्रमित होने के डर से कई बार सही सेवा नहीं प्रदान कर पा रहे हैं.

कांटेक्ट ट्रेसिंग की प्रक्रिया बहुत हद तक सीमित

साथ ही कांटेक्ट ट्रेसिंग की प्रक्रिया बहुत हद तक सीमित है. बिहार में देश में सबसे कम परीक्षण दर है- प्रति मिलियन लोगों पर 7,917 परीक्षण, जबकि राष्ट्रीय औसत 18,086 है. अन्य राज्यों की तरह, बिहार आरटी-पीसीआर परीक्षणों के बजाय एंटीजन परीक्षणों में लगा है.

आरटीपीसीआर संक्रमण पहचानने का एक अधिक सटीक तरीका है. वहीं, जनसंख्या की दृष्टि से बिहार भारत का तीसरा सबसे बडा राज्य है. राज्य का जनसंख्या घनत्व 1102 है जो कि राष्ट्रीय औसत 382 की तुलना में काफी अधिक है. जनसंख्या घनत्व अधिक होने के कारण महामारी से निपटने में और ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही है.

डब्ल्यूएचओ के अनुसार हर 1,000 व्यक्ति पर एक डॉक्टर होना चाहिए. जबकि बिहार में प्रति 1,000 लोगों पर 0.39 डॉक्टर उपलब्ध हैं और केवल 0.11 बेड. सबसे कम डॉक्टर-मरीज अनुपात और प्रति रोगी अस्पताल के कम से कम बेड की वजह से बिहार कोविड-19 संकट से निपटने के लिए बुरी स्थिति में है.

Web Title: Coronavirus lockdown covid Bihar number patients 90553 youth group most vulnerable alert in Patna 529 cases

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