केंद्र ने SC को किया सूचित, एहतियाती कदमों से नियंत्रण में कोरोना, फर्जी खबरें सबसे बड़ी बाधक
By भाषा | Published: March 31, 2020 07:07 PM2020-03-31T19:07:07+5:302020-03-31T19:07:07+5:30
केन्द्र ने इस स्थिति रिपोर्ट में सात जनवरी को चीन द्वारा कोरोनावायरस के बारे में घोषणा किये जाने के बाद सरकार द्वारा उठाये गये कदमों का सिलसिलेवार ब्योरा दिया है।
केन्द्र ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि कोरोना वायरस की समस्या से निबटने के लिये सरकार द्वारा समय रहते उठाये गये एहतियाती कदमों की वजह से अभी तक इसे नियंत्रित किया जा सका है लेकिन इस समय इस चुनौती से निबटने के मामले में फर्जी खबरें एकमात्र सबसे बड़ी बाधक बनी हैं।
केन्द्र ने शीर्ष अदालत में मंगलवार को कोरोनावायरस और इससे जुड़े मुद्दों से निबटने के लिये अब तक उठाये कदमों की जानकारी देते हुये एक हलफनामा दाखिल किया है। हलफनामे के साथ न्यायालय में पेश स्थिति रिपोर्ट में केन्द्र ने कहा है कि उसने जांच की क्षमता बढ़ाई है और इस महामारी को देश में फैलने से रोकने के प्रयासों के तहत किसी भी आपात स्थिति का सामना करने के लिये 40,000 वेंटिलेटर खरीदने का आदेश भी दिया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस चुनौती के प्रबंधन में एक मात्र सबसे बड़ी बाधा जानबूझ कर या अनजाने में चल रही फर्जी खबरें या ऐसी अन्य सामग्री है जो जनता के दिलो दिमाग में दहशत पैदा करने में सक्षम हैं। केन्द्र ने कहा है कि वह स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव स्तर के एक अधिकारी के नेतृत्व में एक अलग इकाई गठित करेगी जिसमें एम्स जैसी मान्यता प्राप्त संस्थाओं के प्रमुख चिकित्सक होंगे, जो नागरिकों के प्रत्येक सवाल का जवाब देंगे और कोविड-19 के बारे में सही और वास्तवितक तथ्य उपलब्ध करायेंगे।
रिपोर्ट के अनुसार इस संबंध में तत्काल ही एक विस्तृत स्वरूप तैयार किया जायेगा और वेब पोर्टल के बारे में विस्तार से विवरण होगा जहां से देशवासी सही, वैज्ञानिक और तथ्यात्मक स्थिति की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। केन्द्र ने 21 दिन के लॉकडाउन और कोरोनावायरस महामारी के भय से कामगारों के पलायन के मुद्दे पर दायर दो जनहित याचिकाओं पर शीर्ष अदालत द्वारा दिये गये निर्देश पर अमल करते हुये यह स्थिति रिपोर्ट दायर की है।
केन्द्र ने इस स्थिति रिपोर्ट में सात जनवरी को चीन द्वारा कोरोनावायरस के बारे में घोषणा किये जाने के बाद सरकार द्वारा उठाये गये कदमों का सिलसिलेवार ब्योरा दिया है। इसमें कहा गया है कि सात जनवरी को ही केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव ने सभी राज्यों के स्वास्थ्य सचिवों से कहा कि वे किसी भी आपात स्थिति का सामना करने के लिये अपने यहां पर्याप्त अस्पतालों को तैयार रहने के लिये आवश्यक कार्रवाई करें।
रिपोर्ट के अनुसार 18 जनवरी, 2020 को तीन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर चीन और हांगकांग से आने वाले सारे यात्रियों में बुखार के लक्षणों का पता लगाने के लिये थर्मल स्क्रीनिंग शुरू की गयी और चार मार्च तक स्क्रीनिंग का काम सभी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिये शुरू हो गया।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत जैसे मुस्तैदी के साथ बहुत कम ही देशों ने समय रहते इस मामले में कदम उठाये और इसी का नतीजा है कि हम अभी तक अपने यहां कोविड-19 को फैलने से रोकने में सफल रहे हैं। केन्द्र ने यह भी कहा कि भारत ने बहुत जल्दी और एहतियात के तौर पर कोविड-19 के मामले में फूंक-फूंक कर कदम उठाये और देश में कोरोना वायरस के पहले मामले की पुष्टि होने से पहले ही हमने समय रहते उपाय किये।
रिपोर्ट के अनुसार 19 मार्च को केन्द्र ने 22 मार्च से सारी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर रोक लगाने का निर्णय लिया और इस प्रतिबंध को अब 14 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार देश में इस वायरस के पहले मामले की पुष्टि होने से पहले ही भारत ने यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग शुरू कर दी थी जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन की 27 मार्च, 2020 की स्थिति रिपोर्ट संख्या 67 के अनुसार अधिकांश दूसरे देशों ने इस संक्रमण के दूसरे और तीसरे चरण में प्रवेश के बाद अपने यहां थर्मल स्क्रीनिंग शुरू की।
सरकार ने न्यायालय को सूचित किया कि हवाई अड्डों पर 15.25 लाख यात्रियों की स्क्रीनिंग की गयी जबकि प्रमुख बंदरगाहों और 65 छोटे बंदरगाहों पर 40,000 और सभी सीमा चौकियों पर 20 लाख व्यक्तियों की थर्मल स्क्रीनिंग की गयी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके बाद प्रवेश के स्थान पर ही थर्मल स्क्रीनिंग हुयी और स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्य सरकारों के सहयोग से ‘समेकित बीमारी निगरानी कार्यक्रम ’ के माध्यम से समाज में ऐसे यात्रियो की निगरानी करने की कवायद शुरू की।
रिपोर्ट के अनुसार अभी तक 3,48,000 यात्रियों को उनके लक्षण और जोखिम की स्थिति को देखते हुये चिकित्सकीय निगरानी के दायरे में लाया गया और इसके लक्षणों वाले मामलों में उन्हें अस्पताल में दाखिल करके उनका उपचार किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने कोविड-19 के लिये जांच की क्षमता में युद्धस्तर पर इजाफा किया है और जहां जनवरी, 2020 में इसके लिये पुणे में एक लैब थी वहीं अब 118 लैब अलग अलग स्थानों पर काम कर रही हैं और उनकी क्षमता रोजाना 15000 नमूनों के परीक्षण की है। रिपोर्ट के अनुसार केन्द्र ने 47 निजी प्रयोगशालाहों के साथ तालमेल किया है जिनके देश में 20,000 से ज्यादा केन्द्र हैं और जो कोरोनावायरस के नमूने लेने में सक्षम हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्यों को सरकारी और निजी अस्पतालों में मरीजों को अलग और आईसीयू में रखने के लिये पर्याप्त संख्या में बिस्तर तैयार रखने का निर्देश दिया गया है। उन्हें यह निर्देश भी दिया गया है कि वे कोविड-19 के लिये अस्पतालों और वार्डो को युद्धस्तर पर तैयार करें। केन्द्र के अनुसार कई राज्यों ने इस दिशा में कार्रवाई शुरू कर दी है और मौजूदा अस्पतालों को कोविड-19 के मरीजों के उपचार के लिये परिवर्तित अस्पतालों के रूप में चिन्हित कर दिया है। यही नहीं अनेक खाली पड़ी गैर अस्पताल वाली इमारतों को भी अस्थाई कोविड-19 अस्पताल में तब्दील किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार अभी तक 1.35 लाख आइसोलेशन बिस्तरों की तैयारी की जा चुकी है और रेल के डिब्बों को भी आइसोलेशन बिस्तरों में तब्दील किया जा रहा है।