नरेंद्र मोदी सरकार ने मजदूरों का पलायन रोकने के लिए जारी किए 29 हजार करोड़
By हरीश गुप्ता | Published: March 29, 2020 07:57 AM2020-03-29T07:57:49+5:302020-03-29T11:21:00+5:30
गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि इस संकट की घड़ी में मकान मालिक, किरायेदारों से मकान खाली न कराएं. चूंकि इस बाबत कोई कानून अस्तित्व में नहीं है, इसलिए गृह मंत्रालय की अपील का कुछ असर भाजपा शासित राज्यों के अलावा केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में देखा जा रहा है.
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के चलते जबकि पूरा देश लॉकडाउन से गुजर रहा है. लॉकडाउन की घोषणा के साथ ही बेरोजगारी और भुखमरी का सामना करते हुए लाखों प्रवासी कामगारों और बेघर मजदूरों ने राजधानी दिल्ली सहित महानगरों से पैदल ही घरों की ओर कूच शुरू कर दिया था. दुनियाभर की मुश्किलों का सामना करते हुए अनगिनत मजदूर आधे रास्ते में ही हैं कि केंद्र सरकार ने शनिवार को जागते हुए सख्त निर्देश जारी किए कि जो मजदूर जहां हैं, उन्हें वहीं रुकने को कहा जाए.
राज्य सरकारों से घरों की ओर लौटते इन अनगिनत मजदूरों व उनके परिवारों को खाद्य सामग्री की आपूर्ति करने और आसरा देने के लिए कहा गया है. साथ ही इस काम के लिए 29000 करोड़ की रकम मंजूर की गई है. यह राशि आपदा के लिए केंद्र के पास मौजूद विशेष कोष से मुहैया कराई गई है.
केंद्र सरकार के यह कदम उठाने से पहले यूपी और बिहार सरकार ने कहा है कि वह अपने राज्यों के मजदूरों के लिए पर्याप्त व्यवस्था करेगी, इसलिए मजदूर जहां हैं, उन्हें वहीं रुकना चाहिए. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के मजदूरों को उनके गांवों तक पहुंचाने के लिए विशेष बसों की व्यवस्था की है.
मजदूरों के इस तरह एक जगह से दूसरी जगह पलायन ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है. बड़ी संख्या में लोगों के एक-दूसरे के संपर्क में आने से कोरोना के संक्रमण का खतरा बढ़ गया है. लॉकडाउन के मकसद पर सवालिया निशान लग गया है. पलायन पर मजबूर लाखों मजदूरों में से अधिकांश रोजंदारी वाले या गैरसंगठित क्षेत्र से जुड़े हैं.
गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि इस संकट की घड़ी में मकान मालिक, किरायेदारों से मकान खाली न कराएं. चूंकि इस बाबत कोई कानून अस्तित्व में नहीं है, इसलिए गृह मंत्रालय की अपील का कुछ असर भाजपा शासित राज्यों के अलावा केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में देखा जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां मदद की रकम को मंजूरी दी है तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सभी मुख्यमंत्रियों से बातचीत करके शहरों से गांवों की ओर मजदूरों का पलायन रोकने के लिए कहा है. प्रधानमंत्री ने कहा है कि घरों की ओर लौटते मजदूरों की यह समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है.
छोटे-छोटे बच्चों को कंधों पर लेकर सपरिवार सैकड़ों मील चलने को तैयार मजदूरों की दुर्दशा ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है. लॉकडाउन के कारण परेशानी का सामना कर रहे मजदूरों के पलायन को रोकने के काम को अंजाम देने के लिए केंद्र ने नोडल अधिकारी के तौर पर हर राज्य और केंद्रशासित प्रदेश में 16 संयुक्त सचिव स्तरीय अधिकारियों की नियुक्ति की है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी तरह के उपयोगी सामान के परिवहन को पूरे देश में अनुमति पहले ही दे दी है.
राज्य आपदा राहत कोष के नियमों में बदलाव
कोरोना लॉकडाउन के चलते राज्यों की सीमाओं पर फंसे प्रवासी कामगारों और मजदूरों की मदद के लिए केंद्र सरकार ने राज्य आपदा राहत कोष के नियमों में बदलाव किया है. 21 दिन के कोरोना लॉकडाउन के दौरान बेघर मजदूरों के लिए रहने और खाने का इंतजाम अब राज्य सरकारों को करना होगा.
गृह मंत्रालय ने राज्य आपदा राहत कोष के नियमों में बदलाव करते हुए बेघर प्रवासी मजदूरों को भी इसके लाभार्थियों में शामिल कर लिया है. इससे लॉकडाउन के दौरान इनके रहने और खाने की व्यवस्था के लिए राज्यों को इस कोष से धन उपलब्ध होगा. गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव संजीव कुमार जिंदल की ओर से सभी राज्यों के मु्ख्य सचिवों को भेजे पत्र में कहा गया है कि अस्थाई आवास, खाना, कपड़े और चिकित्सीय सेवा जैसी आपदा राहत कायार्ें में बेघर, प्रवासी मजदूर, लॉकडाउन के चलते राहत शिविरों तथा अन्य स्थानों पर फंसे लोगों लोगों पर भी लागू होगी.