Coronavirus: लॉकडाउन के कारण इत्र उद्योग को हो रहा करोड़ों रुपए का नुकसान, कई बेरोजगार

By भाषा | Published: April 24, 2020 08:27 PM2020-04-24T20:27:42+5:302020-04-24T20:27:42+5:30

कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में हुए लॉकडाउन की वजह से खुश्बू से दुनिया भर को महकाने वाले कन्नौज के इत्र उद्योग को काफी नुकसान हो रहा है। उद्योग को लॉकडाउन से करीब 300 से 400 करोड रुपए का नुकसान होने का अनुमान है।

Coronavirus: Kannauj's perfume traders suffer huge losses | Coronavirus: लॉकडाउन के कारण इत्र उद्योग को हो रहा करोड़ों रुपए का नुकसान, कई बेरोजगार

इत्र और उससे जुड़े अन्य उत्पादों जैसे कि अगरबत्ती आदि उद्योग को भी भारी नुकसान पहुंचेगा। (फाइल फोटो)

Highlightsकन्नौज के इत्र का इस्तेमाल पूरे देश में अगरबत्ती उद्योग, अच्छे पान मसाले व तंबाकू उद्योग में भी किया जाता है। लखनऊ से तकरीबन 120 किमी दूर स्थित कन्नौज को भारत की इत्र की राजधानी कहा जाता है।

लखनऊ: अपनी खुश्बू से दुनिया भर को महकाने वाले कन्नौज के इत्र उद्योग को लॉकडाउन से करीब 300 से 400 करोड रुपए का नुकसान होने का अनुमान है। इतना ही नहीं इत्र कारोबार से जुड़े हजारों किसान और मजदूर भी बेरोजगार हो गये है। इत्र उद्योग से जुड़े उद्योगपतियों का कहना है कि अगर जल्द हालात ठीक नहीं हुये तो इस नुकसान की भरपाई में बहुत समय लगेगा और इससे इत्र और उससे जुड़े अन्य उत्पादों जैसे कि अगरबत्ती आदि उद्योग को भी भारी नुकसान पहुंचेगा। 

लखनऊ से तकरीबन 120 किमी दूर स्थित कन्नौज को भारत की इत्र की राजधानी कहा जाता है। यहां इत्र और उससे जुड़े अन्य उद्योगों की संख्या करीब 350 है। इसमें से सौ इत्र बनाने की बड़ी ईकाइयां हैं। कन्नौज इत्र व परफ्यूम्स एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष और सचिव पवन त्रिवेदी ने शुक्रवार को बताया,''कन्नौज में गुलाब, बेला, हिना, खस, शमामा मौसरी आदि सैकड़ों किस्म के एक से एक नायाब इत्र बनते हैं और यह इत्र खाड़ी के देशों में तो जाते ही हैं साथ ही साथ यूरोप के कई देशों में भी जाते है। यूरोप के देशों में इसका इस्तेमाल परफ्यूम में मिलाने के लिया किया जाता है, लेकिन खाड़ी देशों में इत्र का इस्तेमाल वहां के अमीर गरीब वर्ग सभी करते है।'' 

त्रिवेदी बताते है, 'कन्नौज का इत्र उद्योग लॉकडाउन से पहले ही काफी मंदा पड. गया था क्योंकि अधिकतर देशों की विमान सेवा बंद हो गयी थी और हमारा इत्र विदेशों में जाना कम हो गया था। लॉकडाउन के बाद तो उद्योग पूरी तरह से ठप्प हो गया है।' कन्नौज के इत्र का इस्तेमाल पूरे देश में अगरबत्ती उद्योग, अच्छे पान मसाले व तंबाकू उद्योग में भी किया जाता है। 

उन्होंने बताया कि इत्र से ही जुड़ा है फूलों का कारोबार। हजारों किसान फूलों की खेती करते है और अपने फूल हमें देते है जिसका इस्तेमाल हम इत्र बनाने में करते है लेकिन जब इत्र ही नहीं बन रहा है तो किसानों का फूल लेकर हम क्या करेंगे ? इस तरह फूलों की खेती करने वाला किसान भी परेशान है। 

कन्नौज इत्र व परफ्यूम्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और सबसे पुराने इत्र व्यापारियों में से एक राजेंद्रनाथ मेहरोत्रा उर्फ राजापूत कहते है कि ''हजारों किसानो का फूल खेतों में ही सड. गया क्योंकि लॉकडाउन के कारण और उससे करीब 15 दिन पहले से इत्र के सारे कारखाने बंद पड़े हैं। हमारे कारखानों के सैकड़ों मजदूरों के पास काम नहीं था लेकिन इसके बावजूद हमने सबको वेतन दिया। अब सरकार ने इत्र कारखानों को काम करने की कुछ ढील दी है लेकिन हम ज्यादा इत्र नहीं बना सकते क्योंकि हमारा इत्र देश के विभिन्न प्रदेशों में तो जाता ही है साथ ही साथ इसकी विदेशों में भी बहुत मांग है। 

मगर चूंकि देश में भी अभी यातायात पूरी तरह से नहीं खोला गया है और विदेशों की विमान सेवा भी बंद है इस लिये अभी हमने काम तो शुरू कर दिया है लेकिन इसे पटरी पर आने में अभी कई महीने लग जायेंगे। त्रिवेदी कहते है कि इत्र उद्योग से परोक्ष अपरोक्ष रूप से करीब 20 हजार लोग जुड़े हुये हैं। अब इस कोरोना वायरस के कारण सभी कहीं न कहीं प्रभावित हुये हैं । 

इसके साथ साथ इस उद्योग में लगे करीब तीस से चार सौ करोड. रूपये का नुकसान भी उठाना पड़ा है कन्नौज के इत्र व्यापारी शशि भूषण गुप्ता बताते है कि ''हम तो छोटे स्तर पर काम करते है और उप्र के व्यापारियों को इत्र की सप्लाई करते हैं लेकिन लॉकडाउन की वजह से कोई व्यापारी आ ही नहीं पा रहा है तो फिर इत्र बिकेगा कैसे ?''

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