कोरोना संकटः रैपिड टेस्टिंग किट पर ICMR की पाबंदी बनी पहेली, स्विट्जरलैंड से आयातित किट से भी परीक्षण नहीं
By हरीश गुप्ता | Published: May 18, 2020 06:46 AM2020-05-18T06:46:51+5:302020-05-18T06:46:51+5:30
आईसीएमआर ने 24 मार्च को आरएटी किट खरीद के लिए वैश्विक निविदा जारी की थी और चीन के दो आपूर्तिकर्ताओं के जरिये 5 लाख किट खरीदे गए थे. साथ ही आईसीएमआर ने राज्यों को भी आरएटी किट की सीधी खरीदारी की अनुमति दी थी.
नई दिल्ली: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की ओर से कोविड-19 पॉजिटिव मामलों को तेजी से पता लगाने में सक्षम रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट (आरएटी) किट के उपयोग में असामान्य देरी ने विशेषज्ञों को आश्चर्यचकित किया है. इसके उपयोग पर जारी प्रतिबंध रहस्य में डूबा हुआ है. आईसीएमआर ने पिछले महीने दोषपूर्ण परिणाम आने के बाद चीन की दो कंपनियों की ओर से आपूर्ति किए गए आरएटी किट के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था.
जब आईसीएमआर के एक वरिष्ठ अधिकारी से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा, ''हम अभी भी चीन के आरएटी किट के परिणामों का मूल्यांकन कर रहे हैं. राजस्थान और कुछ अन्य राज्यों में किए गए परीक्षणों की समीक्षा हो रही है.'' जब उनसे पूछा गया कि चीन के किट खराब होने के कारण अन्य देशों से आपूर्ति किए गए आरएटी किट का उपयोग क्यों नहीं किया जा रहा है, इस सवाल पर अधिकारी ने कहा, ''हम आरएटी किट से संबंधित पूरे मुद्दे का विश्लेषण कर रहे हैं.''
उन्होंने इस संबंध में विस्तार से जानकारी देने से इनकार कर दिया. स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस बात से हैरान हैं कि आरएटी किट का पूरी दुनिया में उपयोग हो रहा है और यह केवल 30 मिनट में परिणाम दे सकता है. यही नहीं, इसके जरिये भीड़भाड़ वाले इलाकों में भी बहुत उपयोगी है क्योंकि 250-450 रुपए कीमत वाले एक किट के जरिये 250 लोगों का परीक्षण किया जा सकता है.
आईसीएमआर ने 24 मार्च को आरएटी किट खरीद के लिए वैश्विक निविदा जारी की थी और चीन के दो आपूर्तिकर्ताओं के जरिये 5 लाख किट खरीदे गए थे. साथ ही आईसीएमआर ने राज्यों को भी आरएटी किट की सीधी खरीदारी की अनुमति दी थी. राज्यों ने चीन, दक्षिण कोरिया और स्विट्जरलैंड से किट खरीदे, लेकिन अचानक 6 अप्रैल को राजस्थान और कुछ अन्य राज्यों में ये किट दोषपूर्ण पाए जाने पर इनसे परीक्षण रोक दिए गए.
आईसीएमआर ने न केवल चीन बल्कि अन्य देशों से आए किट के इस्तेमाल पर भी प्रतिबंध लगा दिया. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इससे परीक्षण की रफ्तार और कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई से समझौता किया गया.
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद 50 दिन बाद भी चुप
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद 50 दिन से अधिक समय के बाद भी आरएटी किट मुद्दे पर चुप्पी साधे बैठा है. सूत्रों का कहना है कि सरकार गलत तरीके से चीन को नहीं घेरना चाहती है. भारत स्थित चीन के दूतावास ने अपने देश के किट को दोषपूर्ण परीक्षण परिणाम के लिए दोषी ठहराने का जोरदार विरोध किया था. इस मुद्दे को दबा दिया गया है.