चीन पर नकेल कसेगा भारत, CHINA की एंटीबैक्टीरिया दवा सिप्रोफ्लोक्सासिन डाइड्रोक्लोराइड पर लगेगा एंटी-डंपिंग शुल्क
By भाषा | Published: June 16, 2020 07:07 PM2020-06-16T19:07:08+5:302020-06-16T19:59:19+5:30
भारत धीरे-धीरे चीन को सबक सिखाने को ठान लिया है। केंद्र सरकार चीन की एंटीबैक्टीरिया दवा सिप्रोफ्लोक्सासिन डाइड्रोक्लोराइड पर एंडी-डंपिंग शुल्क लगा सकता है। डीजीटीआर ने संतुति कर दी है।
नई दिल्लीः सस्ते आयात से घरेलू उद्योग को बचाने के लिए भारत चीन की एंटीबैक्टीरिया दवा सिप्रोफ्लोक्सासिन डाइड्रोक्लोराइड पर एंडी-डंपिंग शुल्क लगा सकता है।
आरती ड्रग्स लिमिटेड ने चीन से दवा के आयात पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाने की याचिका दायर की थी। इस संबंध में वाणिज्य मंत्रालय की जांच शाखा व्यापार उपाय महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने अपनी शुरुआती जांच के तहत चीन के उत्पाद पर अस्थाई रूप से एंटी-डंपिंग शुल्क लगाने की सिफारिश की। इस सिफारिश के तहत 0.94 डॉलर प्रति किलोग्राम से 3.29 डॉलर प्रति किलोग्राम तक शुल्क लगाने की बात कही गई है।
इंग्लैंड में शोधकर्ताओं का कहना है कि पहला ऐसा प्रमाण मिला है कि एक दवा कोविड-19 के मरीजों को बचाने में कारगर हो सकती है। डेक्सामेथासोन नामक स्टेराइड के इस्तेमाल से गंभीर रूप से बीमार मरीजों की मृत्यु दर एक तिहाई तक घट गयी । मंगलवार को नतीजों की घोषणा की गयी और जल्द ही अध्ययन को प्रकाशित किया जाएगा। अध्ययन के मुताबिक सख्ती से जांच करने और औचक तौर पर 2104 मरीजों को दवा दी गयी और उनकी तुलना 4321 मरीजों से की गयी, जिनकी साधारण तरीके से देखभाल हो रही थी।
दवा के इस्तेमाल के बाद श्वसन संबंधी मशीनों के साथ उपचार करा रहे मरीजों की मृत्यु दर 35 प्रतिशत तक घट गयी। जिन लोगों को ऑक्सीजन की सहायता दी जा रही थी उनमें भी मृत्यु दर 20 प्रतिशत कम हो गयी। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ता पीटर होर्बी ने एक बयान में कहा, ‘‘ये काफी उत्साहजनक नतीजे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मृत्यु दर कम करने में और ऑक्सीजन की मदद वाले मरीजों में साफ तौर पर इसका फायदा हुआ। इसलिए ऐसे मरीजों में डेक्सामेथासोन का इस्तेमाल होना चाहिए।
डेक्सामेथासोन दवा महंगी भी नहीं है और दुनियाभर में जान बचाने के लिए इसका प्रयोग किया जा सकता है ।’’ हाल में इसी अध्ययन में कहा गया था कि मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन कोरोना वायरस के उपचार में उपयोगी नहीं है। अध्ययन के तहत इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड में 11,000 से ज्यादा मरीजों को शामिल किया गया था।