कोरोना का निदान हर्ड इम्युनिटी से नहीं, वैक्सीन से, कोरोना संक्रमण से 10.20 लाख रोगी ठीक
By एसके गुप्ता | Published: July 30, 2020 07:37 PM2020-07-30T19:37:39+5:302020-07-30T19:37:39+5:30
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ओएसडी राजेश भूषण ने गुरुवार को प्रेसवार्ता में यह बातें कहीं। उन्होंने जानकारी दी कि कोरोना संक्रमण से 10.20 लाख रोगी ठीक हुए हैं और रिकवरी रेट 64.44 फीसदी होकर लगातार सुधर रहा है।
नई दिल्लीः कोरोना का निदान हर्ड इम्युनिटी नहीं, वैक्सीन है। जब तक वैक्सीन इजात नहीं होती तब तक सोशल डिस्टेंसिंग को ही वैक्सीन मानकर चलें।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ओएसडी राजेश भूषण ने गुरुवार को प्रेसवार्ता में यह बातें कहीं। उन्होंने जानकारी दी कि कोरोना संक्रमण से 10.20 लाख रोगी ठीक हुए हैं और रिकवरी रेट 64.44 फीसदी होकर लगातार सुधर रहा है। इस उपलब्धि पर स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियां ने कोरोना उपचार में लगे स्वास्थ्य कर्मियों का हौंसला बढाते हुए न केवल उनकी प्रशंसा की बल्कि खड़े होकर तालियां भी बजाई।
राजेश भूषण ने कहा कि वर्ष 2011 की जनगणना में देश की जनसंख्या 121 करोड़ थी जो वर्ष 2020 में 138 करोड़ पहुंच गई है। इतनी बड़ी जनसंख्या में कोरोना जैसी महामारी का उपचार हर्ड इम्युनिटी से होना, यह सोच और तर्क गलत है।
क्योंकि हर्ड इम्युनिटी विकसित करने के लिए कोरोड़ों रोगों को संक्रमित होकर ठीक होना होगा। जिससे उनके शरीर में हर्ड इम्युनिटी विकसित हो सके। सही तरीका यह है कि लोगों को वैक्सीन देकर उनकी इम्युनिटी को हर्ड बनाया बनाया जाए। इससे लोगों के शरीर में कोरोना संक्रमण से लड़ने की एंटीबॉडी विकसित हो सके।
उन्होंने कहा कि कोरोना से बचाव के लिए दुनिया में 24 वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल फेज और 141 प्री क्लीनिकल स्टेज में हैं। अमेरिका, चीन और ब्रिटेन की तीन वैक्सीन ही क्लीनिकल ट्रायल के तीसरे फेज में हैं। भारत का वैक्सीन ट्रायल पहले और दूसरे फेज में है।
उन्होंने कहा कि विश्व में भारत सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता देश है। ऐसे में कोई अन्य देश पहले वैक्सीन इजात करता है और निर्माण कार्य भारत में होगा तो उसका लाभ देश को मिलेगा। स्वास्थ्य कर्मियों के क्लेम पर राजेश भूषण ने कहा कि 131 परिवारों ने क्लेम किया है। इनमें से 20 केस में पेमेंट हो चुकी है।
64 केस प्रोसेस में हैं और 47 केस अलग-अलग राज्यों के पास हैं। कोरोना के खिलाफ जंग में सबसे ज़्यादा मरने वाले हेल्थ केयर वर्कर महाराष्ट्र, दिल्ली, तेलंगाना से हैं। 21 राज्यों में कोरोना पॉजिटिविटी रेट 10% से कम है। सोलह राज्यों का रिकवरी रेट देश के रिकवरी रेट से बेहतर है। इसमें दिल्ली 88 % के साथ टॉप पर है।