Coronavirus: सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी मंजूरी वाली सभी प्रयोगशालाओं में COVID-19 संक्रमण की मुफ्त जांच के निर्देश दिए

By भाषा | Published: April 9, 2020 05:53 AM2020-04-09T05:53:21+5:302020-04-09T05:53:21+5:30

शीर्ष अदालत ने कहा कि निजी अस्पतालों और प्रयोगशालाओं को राष्ट्र के समक्ष उत्पन्न इस संकट से निबटने के लिये कोरोना वायरस महामारी के प्रसार पर अंकुश पाने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। कोरोना वायरस से जुड़े एक अन्य मामले में इसी पीठ ने कहा कि महामारी से निपटने में डॉक्टर और चिकित्साकर्मी अग्रिम मोर्चे पर काम कर रहे हैं।

Coronavirus: Court directs free screening of COVID-19 infection in all laboratories with government approval | Coronavirus: सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी मंजूरी वाली सभी प्रयोगशालाओं में COVID-19 संक्रमण की मुफ्त जांच के निर्देश दिए

सुप्रीम कोर्ट की इमारत। (फाइल फोटो)

Highlightsआम आदमी को बड़ी राहत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को निर्देश दिया कि सरकार से मंजूरी प्राप्त सभी सरकारी और निजी प्रयोगशालाओं में कोविड-19 के संक्रमण की जांच मुफ्त में की जानी चाहिए।न्यायालय ने केन्द्र को तत्काल ही इस संबंध में निर्देश जारी करने को कहा। वर्तमान में निजी प्रयोगशालाओं को कोरोना वायरस की जांच के लिए 4,500 रुपये शुल्क लेने की अनुमति दी गयी है।

आम आदमी को बड़ी राहत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को निर्देश दिया कि सरकार से मंजूरी प्राप्त सभी सरकारी और निजी प्रयोगशालाओं में कोविड-19 के संक्रमण की जांच मुफ्त में की जानी चाहिए। न्यायालय ने केन्द्र को तत्काल ही इस संबंध में निर्देश जारी करने को कहा। वर्तमान में निजी प्रयोगशालाओं को कोरोना वायरस की जांच के लिए 4,500 रुपये शुल्क लेने की अनुमति दी गयी है।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट की पीठ ने कोविड-19 की जांच मुफ्त में कराने के लिये वकील शशांक देव सुधि द्वारा दायर एक जनहित याचिका की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई के बाद केन्द्र को इस बारे में निर्देश दिये। पीठ ने कहा कि कोविड-19 से संबंधित जांच एनएबीएल से मान्यता प्राप्त या फिर विश्व स्वास्थ संगठन या भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद से मंजूरी प्राप्त किसी एजेंसी द्वारा ही करायी जानी चाहिए।

शीर्ष अदालत ने कहा कि निजी अस्पतालों और प्रयोगशालाओं को राष्ट्र के समक्ष उत्पन्न इस संकट से निबटने के लिये कोरोना वायरस महामारी के प्रसार पर अंकुश पाने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। कोरोना वायरस से जुड़े एक अन्य मामले में इसी पीठ ने कहा कि महामारी से निपटने में डॉक्टर और चिकित्साकर्मी अग्रिम मोर्चे पर काम कर रहे हैं।

न्यायालय ने केंद्र को उनके लिए पर्याप्त पीपीई और सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया । अदालत ने कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी ‘‘योद्धा’’ हैं । वहीं केंद्र ने अदालत को आश्वस्त किया कि वह पीपीई और अन्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए समुचित कदम उठा रही है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को लोकसभा एवं राज्यसभा में विपक्ष समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बैठक की और कोरोना वायरस के कारण देश में उत्पन्न स्थिति और इसके संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सरकार द्वारा इसे तेजी से फैलने से रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर चर्चा की ।

इस दौरान, विपक्ष के कई नेताओं ने डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए पीपीई की कमी के मुद्दे भी उठाए। पीठ ने अपने चार पृष्ठ के आदेश में कहा, ‘‘अत: हम यह अंतरिम निर्देश देते हैं: (1) मंजूरी प्राप्त सरकारी प्रयोगशाला या स्वीकृत निजी प्रयोगशाला में होने वाली कोविड-19 से संबंधित जांच नि:शुल्क होगी।

केन्द्र और अन्य प्राधिकारी इस संबंध में तत्काल निर्देश जारी करेंगे और (2) कोविड-19 से संबंधित ये परीक्षण एनएबीएल से मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं या फिर विश्व स्वास्थ संगठन या आईसीएमआर से मंजूरी प्राप्त किसी एजेंसी में ही होने चाहिए।’’

न्यायालय ने कहा कि विश्व स्वास्थ संगठन द्वारा कोविड-19 को 11 मार्च को महामारी घोषित किये जाने से पहले ही यह संक्रमण कई देशों में फैल चुका था ओर इस समय करीब दो सौ देश इस महामारी की चपेट में हैं। शीर्ष अदालत ने भारत की अत्यधिक आबादी का जिक्र करते हुये कहा, ‘‘दुनिया भर में कोविड-19 महामारी से जान गंवाने वालों की संख्या में वृद्धि के साथ ही इसके मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।

भारत सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा अनेक कदम उठाये जाने के बावजूद हमारे देश में मरीजों और इसकी वजह से हो रही मौतों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है।’’ न्यायालय ने अधिवक्ता शशांक देव सुधि की जनहित याचिका पर ये निर्देश जारी किये। सुधि ने निजी अस्पतालों और प्रयोगशाओं में कोविड-19 की जांच की कीमत 4,500 रूपए निर्धारित करने संबंधी भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के 17 मार्च के परामर्श पर सवाल उठाते हुये देश में सभी नागरिकों के लिए यह परीक्षण मुफ्त में करने का सरकार और प्राधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया था।

स्वास्थ्य मंत्रालय के संवाददाता सम्मेलन में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वैज्ञानिक रमन आर गंगाखेडकर ने बताया कि देश में अब तक कोरोना संक्रमण की जांच के लिये 1,21,271 परीक्षण हो चुके हैं। इनमें पिछले 24 घंटों के दौरान किये गये 13,345 परीक्षण शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि देश में आईसीएमआर की प्रयोगशालायें बढ़कर 139 हो गयी हैं जबकि निजी क्षेत्र की 65 प्रयोगशालाओं को भी कोविड-19 के परीक्षण करने की मंजूरी दे दी गयी है। पीठ ने कहा, ‘‘हमें याचिकाकर्ता की दलीलों में पहली नजर में वजन नजर आता है कि राष्ट्रीय आपदा के समय निजी प्रयोगशालाओं को कोविड-19 की जांच के लिये 4,500 रूपए लेने की अनुमति देना देश की बड़ी आबादी के वश की बात नहीं है और किसी भी व्यक्ति को जांच की कीमत अदा करने में सक्षम नहीं होने के कारण कोविड-19 की जांच कराने से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।’ ’

न्यायालय ने केन्द्र के इस कथन का भी संज्ञान लिया कि सरकारी प्रयोगशालायें कोविड-19 की जांच मुफ्त कर रही हैं। न्यायालय ने कहा कि संकट की इस घड़ी में निजी अस्पतालों और निजी प्रयोगशालाओं को अपनी सेवायें उपलब्ध करा कर इस महामारी पर अंकुश पाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। पीठ ने इस याचिका पर सरकार को नोटिस जारी कर उससे दो सप्ताह में जवाब मांगा है। साथ ही पीठ ने स्पष्ट किया कि इस सवाल पर बाद में विचार किया जायेगा कि क्या कोविड-19 की जांच करने वाली निजी प्रयोगशालायें इन परीक्षण पर आने वाला खर्च प्राप्त करने की हकदार हैं।

Web Title: Coronavirus: Court directs free screening of COVID-19 infection in all laboratories with government approval

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