G-20 के संयुक्त बयान से चमगादड़ गायब, जिस मुद्दे पर बैठक उसकी चर्चा तक नहीं, काम कर गया चीनी दबाव
By हरीश गुप्ता | Published: April 29, 2020 06:56 AM2020-04-29T06:56:37+5:302020-04-29T06:56:37+5:30
Coronavirus: बैठक के विषय के अनुरूप केंद्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मसौदा भाषण को भी मंजूरी दी गई. लेकिन बैठक के दौरान मूल विषय यूं गायब हुआ, जैसे गधे के सिर से सींग. दूसरे दशों के साथ भारत ने भी ऐन मौके पर चमगादड़ से दूरी बना ली.
नई दिल्ली: जी-20 देशों ने चीन के चमगादड़ बाजार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए आपात बैठक बुलाई थी. लेकिन इस मुद्दे पर चर्चा ही नहीं हुई और अंत में जारी किए गए संयुक्त बयान से चमगादड़ गायब हो गया. कोरोना वायरस महामारी के मुद्दे पर दुनिया भले ही चीन से नाराज हो लेकिन जी-20 देशों की बैठक के बाद यह शब्दिक जामा-खर्च से ज्यादा कुछ नहीं लगा.
जी-20 के मौजूदा चेयरमैन सऊदी अरब ने सदस्य देशों के कृषि मंत्रियों की आपात बैठक बुलाई, ताकि वैश्विक कोरोना संकट के लिए जिम्मेदार चीन के चमगादड़ बाजार के खिलाफ आवाज उठाई जा सके. अधिकतर देशों का मानना था कि चमगादड़ की बिक्री और इंसानों का उन्हें खाना कोरोना के फैलाव का माध्यम हो सकता है. अत: इस पर पूर्ण पाबंदी लगाई जाना चाहिए. ऐसा चाहने वालों में भारत भी शुमार था.
बैठक के विषय के अनुरूप केंद्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मसौदा भाषण को भी मंजूरी दी गई. लेकिन बैठक के दौरान मूल विषय यूं गायब हुआ, जैसे गधे के सिर से सींग. दूसरे दशों के साथ भारत ने भी ऐन मौके पर चमगादड़ से दूरी बना ली.
बैठक के अंत में जारी 'चमगादड़ मुक्त' संयुक्त बयान में महामारी को नियंत्रित करने के लिए सख्त स्वच्छ और सुरक्षित उपाय के लिए विज्ञान आधारित अंतर्राष्ट्रीय दिशानिर्देश विकसित करने की अपील की गई. काम कर गया चीनी दबाव माना जाता है कि चीन ने पर्दे के पीछे से डाले गए दबाव ने असर दिखाया और बैठक से चमगादड़ का मुद्द ही गायब हो गया. वह यह समझाने में कामयाब रहा कि वह पहले से ही चमगादड़ और जंगली पक्षियों या जानवरों की मानव खपत को हतोत्साहित कर रहा है.
कृषि मंत्री का टिप्पणी से इनकार जब कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि इस तरह के मंचों की आम सहमति है कि यह समय गरीबी और भूखमरी मिटाने पर ध्यान केंद्रित करने का है. उन्होंने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि क्या कृषि मंत्री के अंतिम भाषण में मसौदा भाषण को बदला गया था.