migrant crisis: रेल पटरी पर चर रहे थे 20 कामगार, बाल-बाल बचे, विशेष रेलगाड़ी से मजदूरों के शव गांव पहुंचे

By भाषा | Published: May 9, 2020 09:18 PM2020-05-09T21:18:36+5:302020-05-09T21:18:36+5:30

महाराष्ट्र के बाद झारखंड के 20 प्रवासी कामगार बाल-बाल बच गए। रेल पटरी पर पैदल जा रहे थे। इस बीच महाराष्ट्र से विशेष रेलगाड़ी से सभी मजदूर के शव गांव पहुंच गया। गांव का माहौल देखने लायक था। हर किसी के आंख नम था।

Corona virus India lockdown Migrant 20 workers grazing tracks narrowly escaped dead bodies laborers arrived village special train | migrant crisis: रेल पटरी पर चर रहे थे 20 कामगार, बाल-बाल बचे, विशेष रेलगाड़ी से मजदूरों के शव गांव पहुंचे

निरीक्षण यान के चालक ने पटरियों पर लोगों को देखकर तत्काल आपातकालीन ब्रेक लगाया। इन लोगों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। (file photo)

Highlightsश्रमिक किसी तरह धार्मिक स्थान तारापीठ पहुंचे थे और उसके बाद शुक्रवार रात पैदल ही झारखंड के लिए रवाना हो गए।रात में करीब 9.30 बजे जब वे एक पुल पर थे, तभी विपरीत दिशा से रेलवे का एक निरीक्षण यान सामने आ गया।

सूरीः पश्चिम बंगाल से झारखंड लौट रहे 20 प्रवासी श्रमिक उस समय बाल बाल बच गए जब वे रेल पटरियों पर पैदल जा रहे थे और एक नदी के ऊपर बने पुल पर रेलवे का निरीक्षण यान उनके सामने आ गया।

अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि श्रमिक किसी तरह धार्मिक स्थान तारापीठ पहुंचे थे और उसके बाद शुक्रवार रात पैदल ही झारखंड के लिए रवाना हो गए। उन्होंने बताया कि रात में करीब 9.30 बजे जब वे एक पुल पर थे, तभी विपरीत दिशा से रेलवे का एक निरीक्षण यान सामने आ गया।

निरीक्षण यान के चालक ने पटरियों पर लोगों को देखकर तत्काल आपातकालीन ब्रेक लगाया। इन लोगों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। चालक की सूचना मिलने पर जीआरपी की एक टीम वहां पहुंची और उन लोगों को बीरभूम जिले में नलहाटी लेकर आयी। अधिकारियों के अनुसार उन लोगों को झारखंड भेजने की व्यवस्था की जा रही है। उल्लेखनीय है कि एक दिन पहले ही महाराष्ट्र के औरंगाबाद में मालगाड़ी की चपेट में आने से 16 प्रवासी श्रमिकों की मौत हो गयी थी। 

लॉकडाउन के चलते ट्रेन या कोई और साधन नहीं मिलने के कारण उन्होंने महाराष्ट्र से मध्य प्रदेश में अपने घर आने के लिए पैदल यात्रा शुरू की थी, लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था वे अपने घर तो पहुंचे लेकिन जिंदा नहीं बल्कि विशेष रेलगाड़ी में एक शव के रूप में। एक पुलिस अधिकारी ने शनिवार को बताया कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में रेल हादसे में मारे गये मध्य प्रदेश के 16 प्रवासी श्रमिकों के शव दो डिब्बों में पहले एक विशेष रेलगाड़ी में जबलपुर तक लाये गए फिर आगे शहडोल और उमरिया लाए गये।

उन्होंने बताया कि पांच शवों को लेकर एक बोगी दोपहर करीब तीन बजे उमरिया पहुंची। उमरिया के जिलाधिकारी ने शवों को एम्बुलेंस में उनके गांव भेजने की व्यवस्था की। उमरिया जिले के पांच मृतक युवक मामन और चिल्हारी गांव के रहने वाले हैं जबकि दूसरी बोगी 11 शवों को लेकर लगभग चार बजे शहडोल पहुंची। स्थानीय सांसद हिमाद्री सिंह और वरिष्ठ अधिकारी रेलवे स्टेशन पर मौजूद थे। शहडोल जिले के 11 मृतक शाहरगढ़ और अंतोली गांव के रहने वाले थे।

शहडोल और उमरिया दोनों जिलों के कुछ अधिकारी एम्बुलेंस में शवों के साथ संबंधित गांवों तक गये और परिजन को सांत्वना दी। मृतकों के पैतृक गांवों में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। गौरतलब है कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में रेल की पटरियों पर सो रहे 16 प्रवासी मजदूरों की शुक्रवार सुबह एक मालगाड़ी की चपेट में आने से मौत हो गई थी।

20 मजदूरों के इस समूह में केवल चार ही जीवित बचे क्योंकि ये पटरियों से दूर सो रहे थे। भुसावल की ओर पैदल जा रहे ये मजदूर मध्य प्रदेश लौट रहे थे। पुलिस से बचने के लिये वे रेल की पटरियों के किनारे चल रहे थे और थकान के कारण पटरियों पर ही सो गए थे। ये सभी महाराष्ट्र के जालना की एक इस्पात कारखाने में काम करते थे और कोविड-19 लॉकडाउन के कारण बेरोजगार होने के बाद मध्य प्रदेश में अपने घरों को लौट रहे थे।

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