kailash mansarovar yatra 2020: यात्रा पर संशय के बादल, तीर्थयात्रा हर साल जून के दूसरे सप्ताह में शुरू...
By भाषा | Published: April 29, 2020 08:05 PM2020-04-29T20:05:14+5:302020-04-29T20:05:14+5:30
कोरोना वायरस के चलते इस बार कुमाऊं के लिपुलेख दर्रे से कैलाश मानसरोवर यात्रा पर संशय बरकरार है। लॉकडाउन के कारण इस पर असर पड़ रहा है। तैयारी सही नहीं है। बता दें कि जून में शुरू होने वाली यात्रा को लेकर मार्च माह से बैठकों का दौर शुरू हो जाता है। इधर, यात्रा मार्ग पर अब भी चार फीट से अधिक बर्फ जमा है।
पिथौरागढ़ः उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे के जरिए होने वाली वार्षिक कैलाश मानसरोवर यात्रा की तैयारियों के अभी तक शुरू न हो पाने के कारण इसके समय से आरंभ होने को लेकर अनिश्चितता के बादल छाए हुए हैं।
मानसरोवर तीर्थयात्रा हर साल जून के दूसरे सप्ताह तक शुरू हो जाती है और इसके लिए तैयारियां भी दो महीने पहले आरंभ हो जाती हैं लेकिन कोविड 19 के प्रसार को कम करने के लिए लागू लॉकडाउन ने इस प्रक्रिया में विलंब कर दिया है।
यात्रा की नोडल एजेंसी कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) के अधिकारियों को भी लॉकडाउन के चलते यात्रा के समय से शुरू होने पर संशय है। केएमवीएन के महाप्रबंधक अशोक जोशी ने कहा कि अगर यात्रा को भारत और चीन सरकारों की तरफ से अनुमति मिल भी जाती है तो समय से यात्रा शुरू करने के लिए तैयारियों के वास्ते नोडल एजेंसी के पास वक्त पर्याप्त नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर यात्रा जून में शुरू होगी तो पैदल मार्ग पर पड़ी बर्फ हटाने के लिए बहुत देर हो गयी है।’’ अधिकारी ने कहा कि बूंदी शिविर से लेकर लिपुलेख दर्रे तक के 35 किलोमीटर लंबे पूरे मार्ग पर बर्फ पड़ी हुई है और उसे हटाने में एक पखवाडे़ से ज्यादा का समय लगेगा।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा यात्रा को आयोजित करना केवल भारत सरकार के हाथ में नहीं है और इसके लिए चीन सरकार की मंजूरी भी चाहिए। केएमवीएन के अलावा पिथौरागढ़ जिला प्रशासन और भारत तिब्बत सीमा पुलिस भी मानसरोवर यात्रा की तैयारियों में शामिल रहते हैं लेकिन इस बार किसी भी एजेंसी को अब तक विदेश मंत्रालय से इस संबंध में कोई निर्देश नहीं मिले हैं और अब तक अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है।
कोविड-19: नाथुला दर्रे के जरिए मानसरोवर यात्रा का आयोजन, सीमा व्यापार नहीं करेगा सिक्किम
सिक्किम के पर्यटन मंत्री बी एस पंत ने बताया कि कोरोना वायरस के कारण इस साल कैलाश मानसरोवर यात्रा और नाथुला दर्रे के जरिए भारत तथा चीन के बीच सीमा व्यापार नहीं होगा। नाथुला दर्रे के जरिए सीमा व्यापार मई में जबकि इस मार्ग से कैलाश मानसरोवर यात्रा जून में शुरू होनी थी।
विदेश मंत्रालय दो अलग-अलग मार्गों लिपुलेख दर्रे (उत्तराखंड) और नाथुला दर्रे (सिक्किम) के जरिए हर साल जून-सितंबर में यात्रा का आयोजन करता है। कैलाश मानसरोवर तिब्बत में है। हर साल सैकड़ों लोग इस यात्रा में भाग लेते हैं। पंत ने बुधवार को पत्रकारों को बताया कि राज्य सरकार ने केंद्र को अपने फैसले से अवगत करा दिया है।
भारत और चीन के बीच नाथुला सीमा व्यापार को चार दशकों से अधिक समय के अंतर के बाद 2006 में फिर से शुरू किया गया जबकि वार्षिक कैलाश मानसरोवर यात्रा दो साल पहले इस मार्ग से शुरू की गई। मंत्री ने कहा, ‘‘सिक्किम का पर्यटन क्षेत्र कोरोना वायरस के कारण बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
राज्य सरकार 10 करोड़ रू से अधिक का राजस्व गंवा रही है।’’ उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के मद्देनजर मार्च के पहले हफ्ते से राज्य में घरेलू और विदेशी पर्यटकों के प्रवेश पर रोक के कारण राजस्व को नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार कोविड-19 के कारण हुए नुकसान का आकलन कर रही है और केंद्र को एक रिपोर्ट भेजेगी।