Coronavirus: ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों के साथ बैठक की जयशंकर, आरोग्य सेतु एप, COVID19 और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज पर प्रकाश डाला
By भाषा | Published: April 28, 2020 08:08 PM2020-04-28T20:08:44+5:302020-04-28T20:08:44+5:30
विदेश मंत्री ने कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर भारत द्वारा शुरू की गई पहल आरोग्य सेतु एप और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि WHO द्वारा महामारी घोषित किए जाने से पहले ही भारत ने आवश्यक कदम उठाए।
नई दिल्लीः भारत ने मंगलवार को ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में इस बात पर जोर दिया कि कोरोना वायरस महामारी के कारण उत्पन्न संकट के प्रभाव को कम करने के लिये कारोबार को समर्थन देने की जरूरत है ताकि इससे मुकाबला करने के साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जा सके कि आजीविका का नुकसान नहीं हो।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये आयोजित पांच प्रमुख देशों के ब्रिक्स समूह के विदेश मंत्रियों की बैठक में यह बात कही। बैठक में कोरोना वायरस महामारी से निपटने में आपसी सहयोग को और अधिक गहरा बनाने पर जोर दिया गया। उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक ढांचे को आकार प्रदान करने में इस समूह की महत्वपूर्ण भूमिका है।
ब्रिक्स (ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीका) एक प्रभावशाली समूह है जो 3.6 अरब लोगों का प्रतिनिधित्व करता है। इस समूह का कुल जीडीपी 16 हजार 600 अरब डालर है । ब्रिक्स समूह के सभी देश अभी कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित हैं । जयशंकर ने कहा, ‘‘ हमें कोरोना वायरस संकट के मद्देनजर कारोबार की मदद करने और यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि लोग अपना जीविकोपार्जन नहीं गवांएं । ’’ उन्होंने कहा कि इस महामारी और इससे उत्पन्न चुनौतियों ने बहुस्तरीय व्यवस्था में सुधार की जरूरत को रेखांकित किया है।
विदेश मंत्री ने कहा कि महामारी के कारण न केवल लोगों के स्वास्थ्य एवं मानवता के समक्ष खतरा उत्पन्न हुआ है बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी गंभीर प्रभाव पड़ा है। इसके कारण वैश्विक कारोबार और आपूर्ति श्रृंखला में भी बाधा आई है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी की वजह से सभी क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है जिससे रोजगार एवं आजीविका को नुकसान की स्थिति उत्पन्न हो गई है । उन्होंने कहा कि ऐसे में कारोबार, खास तौर पर लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्यमों को समर्थन दिये जाने की जरूरत है। बैठक में चीन के विदेश मंत्री वांग यी, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और ब्राजील के विदेश मंत्री अर्नेस्टो अराउजोवेरे ने हिस्सा लिया ।
EAM highlighted initiatives taken early by India in wake of #COVID19 incl Aarogya Setu Citizen App & Pradhan Mantri Garib Kalyan Package. He highlighted that much before COVID was declared public health emergency of int'l concern by WHO, India instituted measures to check it:MEA https://t.co/HOmvD2Tyvn
— ANI (@ANI) April 28, 2020
बांग्लादेश अकेले रोहिंग्या शरणार्थियों की जिम्मेदारी नहीं उठा सकता : विदेश मंत्री
बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमिन ने कहा है कि उनके देश ने सीमित संसाधनों के बावजूद म्यांमा से आए शरणार्थियों के लिए बहुत कुछ किया है और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों तथा विकसित देशों को रोहिंग्या के आश्रय के लिए और योगदान करना चाहिए। मोमिन का यह बयान ब्रिटेन के विदेश और राष्ट्रमंडल राज्यमंत्री लॉर्ड अहमद के बयान के बाद आया है। अहमद ने सोमवार को मोमिन का आह्वान किया था कि वह बांग्लादेश के दक्षिण पश्चिम तट के पास बंगाल की खाड़ी में खड़े उस नौका को देश में प्रवेश करने की अनुमति दें जिसमें करीब 500 रोहिंग्या फंसे हुए हैं।
मोमिन और अहमद के बीच बातचीत की जानकारी रखने वाले अधिकारी ने बताया, ‘‘बांग्लादेश के लिए 500 कोई बड़ी संख्या नहीं जब 11 लाख रोंहिग्या को मानवीय आधार पर शरण दी गई है जबकि हम विकासशील देश हैं और संसाधनों की कमी है।’’ उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में म्यांमा के रखाइन प्रांत में सेना की कार्रवाई के बाद करीब दस लाख रोहिंग्या बांग्लादेश शरणार्थी बनकर आए जो बांग्लादेश के कॉक्स बाजार स्थित शिविर में रह रहे हैं।
म्यांमा पर रोहिंग्या को वापस लेने और नागरिक अधिकार देने को लेकर अंतरराष्ट्रीय दबाव है। मोमिन ने अहमद से कहा कि नौका बांग्लादेश के तट पर नहीं है और उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि क्षेत्र के अन्य देशों को नजरअंदाज कर क्यों बांग्लादेश को ही शरण देने के लिए कहा जा रहा है। उन्होंने कहा कि दक्षिण पूर्व एशिया के देशों और विकसित देशों को विस्थापित लोगों को शरण देने के मामले में कंधे से कंधा मिलाकर जिम्मेदारी लेनी चाहिए। मोमिन ने ब्रिटेन को सलाह दी कि वह समुद्र में फंसे रोहिंग्या के बचाव के लिए शाही पोत भेजे और उन्हें शरण दे।
बांग्लादेश के विदेशमंत्री को उद्धृत करते हुए अधिकारी ने बताया, ‘‘ विदेशमंत्री को डर है इस स्थिति में म्यांमा के रखाइन प्रांत में बाकी बचे रोहिंग्या भी बांग्लादेश में दाखिल होने की कोशिश करेंगे क्योंकि सेना द्वारा उन्हें मारने और उन्हें अपनी जमीन से हटाने का अभियान जारी है।’’ उन्होंने चिंता जताई कि यूरोपीय संघ सहित विभिन्न देश म्यांमा में लगातार निवेश कर रहे हैं और मानवाधिकार संगठन इस मुद्दे पर मुखर नहीं है। उल्लेखनीय है कि सात अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों और संयुक्त राष्ट्र में शरणार्थी मामलों के उच्चायुक्त सहित सहायता एजेंसियों ने बांग्लादेश और क्षेत्र के अन्य देशों की समुद्र में बिना पर्याप्त खाना-पानी के फंसे लोगों के बचाने के प्रति नीति की आलोचना की थी।