'पत्थर खाकर जिंदा नहीं रह सकते, दिल्ली में कोई किसी का नहीं', लॉकडाउन के ऐलान के बाद सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल घर जाने को मजबूर हैं ये मजदूर
By पल्लवी कुमारी | Published: March 26, 2020 10:07 AM2020-03-26T10:07:55+5:302020-03-26T10:07:55+5:30
भारत में कोरोना का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। हर दिन नए मामलों की संख्या में इजाफा हो रहा है। बुधवार को कोरोना संक्रमित लोगों का आंकड़ा 600 के पार चला गया। इस दौरान कल (25 मार्च) को 70 नए मामले सामने आए।
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के मद्देनजर की गई लॉकडाउन की वजह से दिहाड़ी मजदूरों का काम-धंधा ठप्प हो गया है। दिल्ली-एनसीआर में उत्तर प्रदेश ,बिहार, एमपी, राजस्थान के रह रहे रोज कमाने और खाने वाले शख्स और मजदूरों का बुरा हाल है। रोजगार बंद होने की वजह से यह पैदल ही अपने घर जाने को मजबूर हैं। 25 मार्च से देश में 21 दिनों का लॉकडाउन है। इस दौरान रेलवे और बस सेवा भी बंद है, जिसकी वजब से ये लोग सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलने को मजबूर है। सरकार के तमाम आश्वासनों के बावजूद न तो अपने मालिकों की तरफ से इन लोगों को कोई मदद मिल रही है और ना मकान मालिक या राशन देने वाले उनपर मेहरबान हो रहे हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया से लगभग 10 घंटे पैदल चलने के बाद बात करते हुए ठेका मजदूर अंकित कुमार ने कहा, मेरठ से 135 किलोमीटर दूर सहारनपुर में मेरा घर है। पिछले कुछ दिनों से कोई आय नहीं है और आने वाले महीने में कोई उम्मीद दिख रही है। मेरे पास छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। मुझे अभी कुछ दूर और चलना होगा।
Delhi: Daily wage workers walk near Delhi-Ghazipur border for their homes in different districts of Uttar Pradesh. A woman says, "We have no money left as we don't get any work here. What shall we eat? If we would not leave the city, we would die of hunger". #CoronavirusLockdownpic.twitter.com/WcZHY4jt9X
— ANI (@ANI) March 26, 2020
कोई साधन नहीं मिल रहा है तो पैदल ही जाएंगे: दिहाड़ी मजदूर
वहीं दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर दिल्ली और यूपी पुलिस के कड़े पहरे के बीच 20-21 साल के कुछ लड़कों को पैदल चलते हुए देखा गया। जब पुलिस ने इनसे रोककर पूछा कि, कहां जा रहे हो तो इन्होंने कहा, वे लोग हापुड़ जा रहे हैं। पुलिस ने पूछा- इतनी दूर कैसे जाओगे? बस-ट्रेनें तो चल नहीं रही हैं। एक लड़के ने जवाब दिया- कोई साधन नहीं मिला, तो पैदल ही जाएंगे।
पुलिस ने पूछताछ की तो पता चला कि पैदल जा रहे ये युवा लड़के गांधी नगर इलाके में दिहाड़ी पर मजदूरी करते थे। लॉकडाउन की वजह से वहां काम ठप हो गया है।
हम पत्थर खाकर जिंदा नहीं रह सकते: दिल्ली में काम करने वाला दिहाड़ी मजदूर बंटी
एनडीटीवी ने एक दिल्ली में काम करने वाले मजदूर बंटी की कहानी लिखी है। बंटी का गांव दिल्ली से 150 किलोमीटर दूर है। उसे अपने तीन बच्चों के साथ घर पहुंचने में 2 दिन लगेंगे। न तो उनके पास पर्याप्त पैसा है और न ही भोजन। बंटी अपनी पत्नी और बच्चों के साथ पैदल ही दिल्ली से यूपी के अपने गांव जाने को मजबूर है।
बंटी का कहना है, "दिल्ली में कोई भी आपकी मदद नहीं करता है, जिस तरह से लोग गांव में करते हैं। हम नमक या चटनी के साथ रोटी खा सकते हैं। लेकिन वह शांतिपूर्ण होगा। लेकिन यहां, हमारे पास कुछ भी नहीं है। दिल्ली में कोई भी किसी की मदद नहीं करता है।" बंटी का कहना है, हम यहां (दिल्ली) में क्या खाएंगे? कोई भी पत्थर नहीं खा सकता है।
24 मार्च की रात से बड़ी संख्या में मजदूरों ने शुरू किया पलायन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 24 मार्च को पूरे देश में 21 दिनों के कंप्लीट लॉकडाउन की घोषणा के बाद बड़ी संख्या में दिहाड़ी मजदूरों ने पलायन शुरू किया। मंगलवार रात से ही बड़ी तादाद में लोग अपना बोरिया-बिस्तर लेकर यूपी, बिहार, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब में स्थित अपने घरों के लिए निकल पड़े।
मजदूरों के पलायन की चर्चा सोशल मीडिया पर भी
प्रधान मंत्री जी ने यह नही बताया कि जो लाखों लोग रास्ते मे फंसे हैं वो घर कैसे पहुंचे?साधन न मिलने से कुछ लोग जयपुर से बिहार के लिए पैदल चल दिये हैं।कितने दिन में पहुचेंगे।@INCIndia
— Dr. Udit Raj (@Dr_Uditraj) March 25, 2020
मन व्यथित कर देने वाली खबरें आ रही हैं। कोई दिल्ली से पैदल 200 किमी बुंदेलखंड जा रहा है। तो कोई अपने रिक्शे से बिहार निकल गया।
— Anupam | अनुपम (@AnupamConnects) March 25, 2020
कई परिवार हैं जो अब शहर में रह नहीं सकते क्यूंकि काम नहीं है, पैसे नहीं बचे।
सरकार ध्यान दे कि कहीं कोरोना से बचते बचते लोग भुखमरी से न मरने लग जाए!
मुसीबत के मारे
— Ajit Anjum (@ajitanjum) March 26, 2020
गरीब बेचारे
मेरे अपार्टमेंट से सटे इस हाइवे पर एक दर्जी एक परिवार पैदल ही अलीगढ़ के लिए निकल गया है .एक
रोजी-/रोटी की आफत ऊपर से घर जाने का साधन नहीं.
रोज कमाने रोज खाने वाले ऐसे करोड़ों लोग करें तो क्या करें ?@narendramodi जी
ऐसे लोगों के लिए कुछ करिए pic.twitter.com/98fKypH9av