साबुन, डेटॉल की तरह कीटाणुनाशक है ‘सैनिटाइजर’, वित्त मंत्रालय ने कहा-18 प्रतिशत GST लगेगा
By भाषा | Published: July 15, 2020 06:20 PM2020-07-15T18:20:08+5:302020-07-15T18:20:08+5:30
एडवांस रूलिंग प्राधिकरण की गोवा पीठ ने हाल ही में व्यवस्था दी कि अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर पर जीएसटी के तहत 18 प्रतिशत शुल्क लगेगा। हालांकि उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने ‘हैंड सैनिटाइजर’ को अनिवार्य वस्तु की श्रेणी में रखा है, लेकिन जीएसटी कानून के तहत छूट वाले सामान की अलग सूची है।
नई दिल्लीः सरकार ने बुधवार को कहा कि सैनिटाइजर भी साबुन, डेटॉल समेत अन्य के समान कीटाणुनाशक है जिस पर जीएसटी व्यवस्था के तहत 18 प्रतिशत शुल्क लगता है।
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ‘हैंड सैनिटाइजर’ के विनिर्माण में उपयोग होने वाले विभिन्न रसायन, पैकिंग सामग्री और कच्चा माल सेवा समेत अन्य पर भी 18 प्रतिशत माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगता है। बयान में कहा गया है, ‘‘सैनिटाइजर भी साबुन, कीटाणुरोधी तरल पदार्थ, डेटॉल समेत अन्य के समान कीटाणुनाशक है जिस पर जीएसटी व्यवस्था के तहत 18 प्रतिशत शुल्क लगता है।’’
मंत्रालय ने कहा कि सैनिटाइजर और उसी प्रकार के दूसरे सामानों पर जीएसट दर कम करने से उल्टा शुल्क ढांचा तैयार होगा। यानी कच्चे माल पर तैयार उत्पाद के मुकाबले अधिक शुल्क। इससे ‘हैंड सैनिटाइजर’ बनाने वाले घरेलू विनिर्माताओं के साथ-साथ अयातकों को नुकसान होगा।
वित्त मंत्रालय ने इस बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि जीएसटी दर कम करने से सैनिटाइजर का आयात सस्ता हो जाएगा। अगर तैयार माल के मुकाबले कच्चे माल पर अधिक कर लिया जाएगा तो इससे घरेलू उद्योग को नुकसान होगा।
बयान के अनुसार, ‘‘जीएसटी दर में कमी से आयात सस्ता होगा। यह देश की आत्मनिर्भर भारत की नीति के खिलाफ होगा। उल्टा शुल्क ढांचा से अगर विनिर्माताओं को नुकसान होता है, ग्राहकों को भी अंतत: इसका लाभ नहीं होगा।’’ एडवांस रूलिंग प्राधिकरण की गोवा पीठ ने हाल ही में व्यवस्था दी कि अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर पर जीएसटी के तहत 18 प्रतिशत शुल्क लगेगा। हालांकि उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने ‘हैंड सैनिटाइजर’ को अनिवार्य वस्तु की श्रेणी में रखा है, लेकिन जीएसटी कानून के तहत छूट वाले सामान की अलग सूची है।
कोविड-19 की सस्ती दवाइयों को बढ़ावा क्यों नहीं दिया जा रहा: संसदीय समिति
संसद की एक समिति ने बुधवार को वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को कोविड-19 की सस्ती और देश में निर्मित आसानी से उपलब्ध दवाइयों को बढ़ावा देने को कहा। सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि समिति ने औषधि कंपनियों द्वारा पेश की जा रही महंगी दवाइयों का उपयोग करने की सलाह को रोकने और उनकी कीमतों को भी नियंत्रित करने को कहा।
सूत्रों ने बताया कि गृह मामलों की स्थायी समिति की एक बैठक में समिति के सदस्यों ने कोविड-19 की दवाइयों की अधिकतम कीम सीमा भी तय किये जाने की मांग की। गृह मामलों पर स्थायी समिति की बैठक में केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल और अन्य अधिकारी उपस्थिति थे।
बैठक की अध्यक्षता कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने की। समिति के सूत्रों ने बताया कि दलीय भावना से ऊपर उठते हुए समिति के सदस्यों ने सवाल किया कि कोविड-19 के उपचार के लिये अक्सर महंगी दवाइयों की सलाह क्यों दी जा रही है? समिति के सदस्यों ने दवाइयों की कालाबाजारी पर चिंता प्रकट की। समिति के सदस्यों ने तीन सस्ती और आसानी से उपलब्ध दवाइयों का नाम लेते हुए सवाल किया कि इन दवाइयों के समान रूप से कारगर होने के बावजूद भी इन्हें बढ़ावा क्यों नहीं दिया जा रहा है?