कोरोना के कहर के बीच 44 लाख टीके बर्बाद, हाईकोर्ट नाराज, कहा-जो टीका लगवाना चाहता हो उसे लगाओ...

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 20, 2021 08:17 PM2021-04-20T20:17:02+5:302021-04-20T20:17:51+5:30

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि खबरों के अनुसार हर दिन छह प्रतिशत टीके बर्बाद हो रहे हैं और अब तक 10 करोड़ में से 44 लाख टीके बर्बाद हो चुके हैं.

Corona havoc 44 lakh vaccines ruined amidst High Court angry apply to anyone who wants to get vaccinated | कोरोना के कहर के बीच 44 लाख टीके बर्बाद, हाईकोर्ट नाराज, कहा-जो टीका लगवाना चाहता हो उसे लगाओ...

पीठ ने कहा कि इस बार युवा अधिक प्रभावित हो रहे हैं और कई युवाओं की जान जा चुकी है.

Highlightsटीकों की सबसे अधिक बर्बादी तमिलनाडु में हुई है. आप जिस किसी का भी टीकाकरण कर सकते हैं, उसे टीका लगाएं.चाहे 16 साल का व्यक्ति हो या 60 साल का, सभी को टीकाकरण की जरूरत है.

नई दिल्लीः देश में कोरोना वायरस संक्रमण के कहर के बीच उचित प्रबंधन के अभाव में कोविड के लगभग 44 लाख टीके बर्बाद हो गए हैं.

वैक्सीन की कमी के बीच कोविड टीकों की 'भारी बर्बादी' पर खासी नाराजगी जताते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज केंद्र सरकार को जमकर आड़े हाथ लिया. अदालत ने सरकार से कहा कि जो कोई भी व्यक्ति टीका लगवाना चाहता हो, उसे टीका लगाया जाना चाहिए ताकि इसकी बर्बादी नहीं हो.

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि खबरों के अनुसार हर दिन छह प्रतिशत टीके बर्बाद हो रहे हैं और अब तक 10 करोड़ में से 44 लाख टीके बर्बाद हो चुके हैं. टीकों की सबसे अधिक बर्बादी तमिलनाडु में हुई है. अदालत ने केंद्र से कहा, ''यह बहुत बड़ी बर्बादी है. यह टीका उन्हें दें, जो लोग इसे लगवाना चाहते हैं. आप जिस किसी का भी टीकाकरण कर सकते हैं, उसे टीका लगाएं.

चाहे 16 साल का व्यक्ति हो या 60 साल का, सभी को टीकाकरण की जरूरत है. महामारी भेदभाव नहीं करती.'' पीठ ने कहा कि इस बार युवा अधिक प्रभावित हो रहे हैं और कई युवाओं की जान जा चुकी है. अदालत ने कहा, ''यदि दिन के अंत में शीशी में कुछ डोज बाकी हैं, तो उन्हें जरूरतमंद लोगों को दिया जाए. भले ही ऐेसे व्यक्ति टीकाकरण के लिए निर्धारित श्रेणी में नहीं आते हों.''

विवेक का इस्तेमाल करें, वरना लोग एक-दूसरे की जान ले लेंगेः अदालत ने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार प्रत्येक राज्य की जरूरतों और स्थिति के आधार पर रेमडेसिविर जैसी दवाइयों और संसाधनों का आवंटन कर रही है. अदालत ने कहा, ''यदि ऐसा नहीं हुआ तो लोग एक-दूसरे की जान ले लेंगे. संसाधनों और दवाओं के आवंटन में विवेक का इस्तेमाल नहीं किए जाने से हम बर्बाद हो जाएंगे.''

उद्योग ऑक्सीजन का इंतजार कर सकते हैं, मरीज नहींः दिल्ली में कोरोना संक्रमितों के लिए ऑक्सीजन की कमी के मसले पर केंद्र सरकार से सवाल करते हुए अदालत ने पूछा कि क्या उद्योगों की ऑक्सीजन आपूर्ति कम कर संक्रमितों को मुहैया कराई जा सकती है? पीठ ने सरकार से कहा, ''उद्योग इंतजार कर सकते हैं, मरीज नहीं. मानव जीवन खतरे में है.''

सुनवाई के दौरान केंद्र ने अदालत को सूचित किया कि फिलहाल दिल्ली में ऑक्सीजन की आपूर्ति में कोई कमी नहीं है और कुछ उद्योगों को छोड़कर ऑक्सीजन के अन्य तरह के औद्योगिक इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है. केंद्र ने दिल्ली सरकार के अस्पतालों को करीब 1,390 वेंटिलेटर मुहैया करवाए हैं.

क्यों बर्बाद हुए टीके? टीकाकरण अभियान से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि शुरुआत में लोगों ने टीके लगवाने में कम रु चि ली. टीके की एक शीशी में 10 से 12 लोगों को डोज दिया जा सकता है. एक बार शीशी खोलने के बाद करीब आधे घंटे में उसका पूरा इस्तेमाल हो जाना चाहिए. यदि इस तय समय में इसका पूरा इस्तेमाल नहीं हुआ, तो वह बेकार हो जाती है.

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